चिकित्सा विभाग के संयुक्त निदेशक बता रहे हैं एंबुलेंस की हालत
जिले के अस्पतालों का निरीक्षण
बीकानेर: मैं शुक्रवार को जिले के अस्पतालों का निरीक्षण करने निकला। नोखा जिला हॉस्पिटल का निरीक्षण करने के बाद हॉस्पिटल से बाहर निकला ही था कि 108 एम्बुलेंस का ड्राइवर मरीज को एम्बुलेंस में बिठाते दिखाई दिया, जबकि यह उसका काम नहीं था। उससे पूछताछ की तो सामने आया कि वो नर्सिंगकर्मी है। उसने बताया कि 15 दिन मैं गाड़ी चलाता हूं और 15 दिन ड्राइवर।
सुनकर हैरानी हुई। जिसके कंधों पर मरीज की जान बचाने की जिम्मेदारी है, वे ही मरीज की जान सांसत में डाल रहे हैं। एक कर्मचारी भला दो कर्मचारियों का काम कैसे कर सकता है। नियमानुसार 12 घंटे में ड्यूटी बदलनी होती है, लेकिन ऐसा नहीं होता। इससे भी ज्यादा हैरान करने वाली बात ये है कि अब तक ऐसे केस पकड़ में क्यों नहीं आए। कक्कू हॉस्पिटल में भी यही हाल दिखा। वहां भी एंबुलेंस कर्मचारियों ने ड्यूटी को 15-15 दिन के लिए बांट रखा था।