Jodhpur: हाईकोर्ट ने कोचिंग स्टूडेंट्स सुसाइड मामले में अभिभावको को ठहराया जिम्मेदार
"बच्चों पर सिस्टम के साथ अभिभावकों का भी दबाव बना रहता है"
जोधपुर: कोचिंग स्टूडेंट्स के सुसाइड मामले में हाईकोर्ट ने कहा कि कई अभिभावक कहते हैं कि या तो पास हो जाना या वापस मत आना तो ऐसे में बच्चों पर सिस्टम के साथ अभिभावकों का भी दबाव बना रहता है और उनके सुसाइड करने के लिए अभिभावक भी जिम्मेदार है । इसके आगे जस्टिस इंद्रजीत सिंह और जस्टिस विनोद कुमार भारवानी की खंडपीठ ने मौखिक टिप्पणी करते हुए कहा कि बच्चों की समस्या सिस्टम की गड़बड़ी नहीं है, बल्कि वे अभिभावक हैं जो अपने बच्चों से इतनी ज्यादा उम्मीद करते हैं।
कोर्ट ने कहा कि कई माता-पिता कहते हैं कि या तो पास हो जाओ या वापस मत आना. ऐसे में बच्चों पर सिस्टम के साथ-साथ अभिभावकों का भी दबाव रहता है. कोर्ट ने यह टिप्पणी कोटा के कोचिंग सेंटरों के छात्रों के आत्महत्या मामले में खुद के कबूलनामे पर सुनवाई करते हुए की.
निर्देशों के अनुपालन में सरकार ने क्या किया?
राज्य सरकार को 8 सप्ताह के भीतर रिपोर्ट देनी होगी कि मई माह में दिए गए निर्देशों का पालन किया गया है या नहीं. इसके अलावा राज्य सरकार से यह भी बताने को कहा गया है कि राज्य में कितने कोचिंग संस्थान पंजीकृत हैं.सुनवाई के दौरान महाधिवक्ता राजेंद्र प्रसाद ने कहा कि राज्य सरकार कोचिंग संस्थानों को लेकर नियंत्रण एवं विनियमन विधेयक तैयार कर रही है. कोचिंग संस्थानों से भी सुझाव मांगे गए हैं और उन्हें भी इसमें शामिल किया जाएगा. इसमें केंद्र सरकार द्वारा दिए गए दिशा-निर्देश भी शामिल होंगे. दरअसल पिछली सुनवाई में न्याय मित्र की ओर से कहा गया था कि कोर्ट के कई आदेशों के बाद भी कोई नतीजा नहीं निकला है.
इसलिए कोर्ट ने गाइडलाइंस बनाईं और उन्हें पूरा करने के लिए सख्त कदम उठाए. इसके अलावा केंद्र सरकार की ओर से यह भी बताया गया कि उन्होंने गाइडलाइन बनाकर 16 जनवरी 2024 को राज्य सरकार को दे दी है. इन दिशानिर्देशों में कोचिंग संस्थानों के लिए कई प्रावधान किए गए हैं और उनका सख्ती से पालन किया जाना चाहिए