Jaipur: अहिल्याबाई होल्कर की 300वीं जयंती पर पुणे में आयोजित हुई विशेष परिचर्चा

Update: 2024-10-01 13:06 GMT
Jaipur जयपुर । राज्यपाल श्री हरिभाऊ बागडे ने कहा कि अहिल्याबाई होळकर युग प्रवर्तक ऐसी नारी थी जिन्होंने देश में लोक कल्याणकारी सुशासन की नींव ही नहीं रखी, भारतीय अध्यात्म और धर्म की परम्परा को भी निरंतर पोषित किया। उन्होंने अहिल्याबाई को दूरदर्शी और प्रजा हित में शासन करने वाली देश की ऐसी महिला शासक बताया जिन्होंने भारतीय संस्कृति और अध्यात्म के मूल्यों का भी जन—जन में प्रसार किया।
श्री बागडे मंगलवार को पुणे में एस.एन.डी.टी. महाविद्यालय में अहिल्याबाई होळकर की 300 वीं जयंती पर आयोजित 'मातोश्री अहिल्याबाई का लोक कल्याणकारी सुशासन' विषयक परिचर्चा में संबोधित कर रहे थे। उन्होंने अहिल्याबाई होळकर की मां नर्मदा के प्रति श्रद्धा के कारण उसके निकट महेश्वर को अपनी राजधानी बनाने, वहां पर प्रजा को संतान की तरह मानते हुए उनके लिए जन—कल्याण का कार्यों की चर्चा करते हुए उनके सुशासन से सीख लेने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि अहिल्याबाई ने अपने शासन में ऐसे अनेक करों के कानूनों को समाप्त किया जो प्रजा हित में नहीं थे। उन्होंने कृषि और उद्योग धंधों को सुविधा देकर उनके विकास के लिए किए उनके कार्यों, महेश्वर में वस्त्र उद्योग स्थापित करने और आम आदमी की समस्याओं के समाधान के लिए निरंतर कार्य करने की चर्चा करते हुए उनके लोक कल्याण कार्यों और शासन से प्रेरणा लेने पर जोर दिया।
राज्यपाल ने तीर्थाटन से पर्यटन की भारतीय संस्कृति में विकास के लिए अहिल्याबाई के किए कार्यों को भी याद किया। उन्होंने कहा कि उन्होंने धार्मिक स्थल पर धर्मशालाएं बनाई, मुगल आक्रांताओं द्वारा तोड़े मंदिरों का जीर्णोद्धार किया, लोगों के लिए नदियों पर घाट बनाए और कुओं, बावड़ियों का निर्माण कर लोक—माता की उपाधि पाई। उन्होंने उनकी 300 वीं जयंती पर्व पर युवा पीढ़ी को लोक कल्याण और उनके सुशासन के पाठ पढ़ाए जाने पर जोर दिया।
प्रदर्शनी देखी, वृक्ष रोपण किया—
राज्यपाल ने कॉलेज में अहिल्याबाई होळकर के जीवन पर आयोजित प्रदर्शनी भी देखी और वृक्ष रोपण किया।
राज्यपाल संत तुकाराम आश्रम पहुंचे, गायों को चारा खिलाया—
इससे पहले राज्यपाल श्री बागडे ने पुणे स्थित संत तुकाराम आश्रम पहुंचे। उन्होंने वहां संत तुकाराम की पूजा अर्चना की। उन्होंने बाद में उनके संदेशों को याद दिलाते हुए उनके आदर्श अपनाए जाने पर जोर दिया। उन्होंने वहां आश्रम में गौशाला में गायों का चारा खिलाया और और सभी को परोपकार के कार्य करने का आह्वान किया।
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