Jaipur: शिक्षा और कृषि हमारी संस्कृति और अर्थव्यवस्था की रीढ़

Update: 2025-01-11 04:59 GMT
Jaipur जयपुर । भारतीय राष्ट्रीय शैक्षणिक महासंघ, राजस्थान के 63वां वार्षिक अधिवेशन का शुभारंभ शुक्रवार को उपमुख्यमंत्री डॉ. प्रेमचंद बैरवा ने जोधपुर में किया। कार्यक्रम में उपमुख्यमंत्री डॉ. प्रेमचंद बैरवा ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के "विकसित भारत— 2047" के विजन और मुख्यमंत्री श्री भजनलाल शर्मा के "विकसित राजस्थान" के संकल्प को साकार करने की दिशा में राज्य सरकार प्रतिबद्धता से कार्य कर रही है। डॉ. बैरवा ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति— 2020 की सराहना करते हुए इसे इक्कीसवीं सदी के नए भारत की नींव बताया। उन्होंने गुरुदेव रविन्द्रनाथ टैगोर और डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम के उद्धरणों के माध्यम से शिक्षा के महत्व को रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि शिक्षकों की भूमिका विद्यार्थियों को अच्छे नागरिक और पेशेवर बनाने में
महत्वपूर्ण है।
उप मुख्यमंत्री डॉ. बैरवा ने शुक्रवार को मारवाड़ इन्टरनेशनल सेन्टर ऑडिटोरियम में आयोजित भारतीय राष्ट्रीय शैक्षणिक महासंघ राजस्थान के 63वें वार्षिक अधिवेशन में शिक्षकों से राष्ट्रीय शिक्षा नीति को प्रभावी रूप से लागू करने का आह्वान भी किया। उन्होंने उच्च शिक्षण संस्थानों में शिक्षकों की जिम्मेदारी पर जोर देते हुए सरकार द्वारा राज्य के युवाओं को वैश्विक प्रतिस्पर्धा के लिए तैयार करने के लिए 28,000 करोड़ रुपये के एमओयू की जानकारी दी। उन्होंने कहा कि राज्य के विश्वविद्यालयों को वैश्विक शिक्षा केंद्र के रूप में विकसित करने का प्रयास किया जा रहा है।
तकनीकी शिक्षा के क्षेत्र में राज्य सरकार द्वारा इंजीनियरिंग कॉलेजों को राजस्थान प्रौद्योगिकी संस्थान में अपग्रेड करने की प्रक्रिया की जानकारी देते हुए डॉ. बैरवा ने बताया कि पहले चरण में अजमेर, भरतपुर और बीकानेर के इंजीनियरिंग कॉलेजों के लिए 300 करोड़ रुपये का बजट प्रावधान किया गया है। उन्होंने शिक्षकों की समस्याओं के समाधान के लिए सरकार की प्रतिबद्धता को दोहराते हुए बताया कि विभिन्न रिक्त पदों पर भर्ती प्रक्रिया जारी है। उन्होंने कहा कि कॉलेज शिक्षा विभाग में 1936 सहायक आचार्यों की भर्ती की जा रही है, साथ ही 575 पदों पर भी भर्ती प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। पुस्तकालयाध्यक्षों और शारीरिक शिक्षकों के 247 पदों पर भर्ती भी जल्द ही पूरी की जाएगी।
शिक्षा और कृषि हमारी संस्कृति और अर्थव्यवस्था की रीढ़- श्री भागीरथ चौधरी
केन्द्रीय कृषि एवं किसान कल्याण राज्यमंत्री श्री भागीरथ चौधरी ने कहा कि हमें शिक्षा पर विशेष ध्यान देने की ज़रूरत है। पिछले कालखंड में बाहरी ताकतों ने हमारी संस्कृति को नष्ट करने की भरपूर कोशिश की, उसके बावजूद हमारे पूर्वजों ने हमारी शिक्षा एवं संस्कृति को संजो कर रखा । उन्होंने कहा कि अभी भी हमें शिक्षा के क्षेत्र में बहुत परिवर्तन करने की आवश्यकता है क्योंकि इस आधुनिकीकरण के युग में हमारी संस्कृति एवं शिक्षा पर बहुत ज़्यादा नकारात्मक असर पड़ रहा है। इसी कारण इस महासंघ का दायित्व इस चुनौती की ओर बहुत ही बढ़ जाता है और महासंघ शिक्षा नीति के क्रियान्वयन की ओर बहुत ही सराहनीय कार्य कर रहा है।
श्री चौधरी ने कहा कि किसान इस देश की रीढ़ की हड्डी है और कृषि उसकी आत्मा है। किसान और उसके परिवार के कार्य करने की कोई समय सीमा नहीं होती है वह और उसका परिवार पूरी मेहनत करके पूरे 140 करोड़ देशवासियों का पेट भरता है मगर किसान को फ़ायदा तभी होगा जब उसकी लागत कम होगी और उसको उसकी फसल का उचित मूल्य मिल सकेगा । आज के आधुनिकीकरण के युग में हमको कम से कम रसायनिक खाद का उपयोग करना चाहिये और ज़्यादा से ज़्यादा आॅर्गेनिक एवं प्राकृतिक खेती की ओर बढ़ना पड़ेगा। उन्होंने कहा कि आज हमारा देश प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में कृषि के क्षेत्र में भी बहुत ही सराहनीय कार्य कर रहा है ।
इस दौरान प्रो. सुशील कुमार बिस्सु, प्रो. नारायण लाल गुप्ता, प्रो. रिछपाल सिंह, प्रो. दीपक कुमार शर्मा भी उपस्थित रहे ।
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