Jaipur: शहरी पेयजल आपूर्ति को सूचना प्रौद्योगिकी व सौर ऊर्जा आधारित बनाने चर्चा
Jaipur जयपुर । केन्द्र सरकार की बजट घोषणा के ”100 सिटीज ग्राम” पर केन्द्र व राज्य सरकार, एशियाई विकास बैंक (एडीबी) और विश्व बैंक के अधिकारियों, नीति निर्माताओं और विशेषज्ञों ने मंथन किया। दो से पांच अक्टूबर तक अपने राजस्थान दौरे के दौरान शहरी विकास के विभिन्न सेक्टर्स में संभावनायें तलाशी। यात्रा के दौरान प्रतिनिधिमंडल ने जयपुर के होटल मैरीयट में आयोजित कार्यशाला में भाग लिया और फील्ड विजिट के उपरान्त सरकार के शीर्ष अधिकारियों के साथ बैठकें कर ”100 सिटीज प्रोग्राम” पर व्यापक विमर्श किया। शहरी पेयजल आपूर्ति, सीवरेज और ठोस कचरा प्रबंधन के क्षेत्र में वर्तमान स्थिति, बेस्ट प्रेक्टिसेज और आने वाली चुनौतियों पर विस्तार से चर्चा की गई।
कार्यशाला में भारत सरकार के आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय, राज्य सरकार के स्वायत्त शासन विभाग, जयपुर, जोधपुर एवं अजमेर नगर निकाय के शीर्ष अधिकारीगण, जन. स्वा. अभि. विभाग, विभिन्न परियोजनाओं से जुडे अधिकारियों एवं विषय विशेषज्ञों ने भाग लिया।
राजस्थान शहरी पेयजल, सीवरेज एवं आधारभूत निगम लिमिटेड द्वारा आयोजित कार्यशाला में शहरी पेयजल आपूर्ति में राजस्थान में आ रही चुनौतियों जैसे गैर राजस्व जल, अधिक विद्युत खर्च, साथ ही प्राप्त राजस्व व खर्च में भारी अंतर होने की चुनौतियों को देखते हुये प्रदेश के शहरी पेयजल तंत्र को सुदृढ करने की आवश्यकता पर जोर देते हुये जन. स्वा. अभि. विभाग के प्रमुख शासन सचिव श्री भास्कर ए. सावंत ने कहा कि शहरी पेयजल आपूर्ति के संचालन एवं संधारण के लिये आवश्यक है कि सूचना प्रौद्योगिकी व सौर ऊर्जा का समावेशन कर इस तंत्र को सुदृढ किया जाये। गौरतलब है कि केन्द्र सरकार की बजट घोषणा के अनुसार इस प्रोग्राम में राज्य सरकारों एवं विभिन्न विकास बैंको की सहभागिता से पेयजल आपूर्ति, सीवेज ट्रीटमेंट और ठोस कचरा प्रबंधन पर प्रोजेक्ट और सेवा में सुधार हेतु देश के 100 बड़े शहरों को शामिल करने का निश्चय किया गया है।
कार्यशाला में स्वायत्त शासन विभाग के प्रमुख शासन सचिव श्री राजेश यादव ने प्रदेश में जलापूर्ति और सीवरेज व्यवस्था बनाने में एशियाई विकास बैंक के योगदान को याद दिलाते हुये कहा कि बढ़ते शहरीकरण के कारण अरबन प्लानिंग एक चुनौतीपूर्ण कार्य है जिसमें जमीन के अंदर और जमीन के ऊपर बहुत सारे आधारभूत विकास कार्य करने पड़ते हैं। इनमें एडीबी और विश्व बैंक के अनुभवों एवं संसाधनों की आवश्यकता है।
आरयूआईडीपी के परियोजना निदेशक श्री पीयूष सामरिया ने राज्य के विकास में रूडसिको और आरयूआईडीपी के विभिन्न चरणों के योगदान का उल्लेख करते हुये यह विश्वास दिलाया कि एडीबी और विश्व बैंक के सहयोग से आगे भी नवाचारों पर आधारित आधारभूत विकास होता रहेगा।
एडीबी के जल एवं शहरी विकास निदेशक श्री मनोज शर्मा ने 4 दिवसीय दौरे के उदेश्यों को स्पष्ट करते हुये कहा कि भारत सरकार के आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय ने जब एडीबी और विश्व बैक से ”100 सिटीज प्रोग्राम” के लिये सहयोग की अपेक्षा की तो हमें बहुत प्रसन्नता हुई। इसी परिपेक्ष्य में सभी संबंधित लोगों के साथ बैठकर पुराने अनुभवों एवं उपलब्ध ज्ञान के विश्लेषण की जरूरत थी जिसके लिये विचार-बैठक एवं क्षेत्र भ्रमण आवश्यक था। आगे की परियोजनाओं में सेवा सुधार जैसे गैर राजस्व जल में कमी की बहुत आवश्यकता है।
विश्व बैंक गु्रप के ग्लोबल डायरेक्टर (जल), श्री सरोज कुमार झा ने अपने वैश्विक अनुभवों के आधार पर इस तरफ ध्यान दिलाया कि विकसित भारत के निर्माण के लिये भारत में ग्लोबल सिटीज का निर्माण भी आवश्यक है जिसमें पानी की उपलब्धता को ध्यान में रखकर नगरों का विकास करना होगा। साथ ही अपशिष्ट जल को व्यर्थ ना समझकर इसके भी पुर्नउपयोग पर बल देना होगा।
भारत सरकार के आवास एवं शहरी मामलों के मंत्रालय के ज्वाईंट एडवाईजर श्री वी.के.चौरसिया ने ”100 सिटीज प्रोग्राम” पर विस्तार से प्रकाश डालते हुये कहा कि इस कार्यक्रम के अंतर्गत कम लागत आधारित तथा स्थानीय नेतृत्व की भावनाओं के अनुरूप स्थायी परिणाम देने वाली परियोजनाओं को शामिल करने पर बल दिया जायेगा।
विश्व बैंक की टीम से ग्लोबल एक्सपर्ट, श्री माईकल जॉंन ने दक्षिण अफ्रीका की राजधानी केपटाऊन के अपने जलापूर्ति के अनुभवों का उल्लेख करते हुये बताया कि जल की कम उपलब्धता के बीच भी जलापूर्ति को सुचारू रूप से बनाये रखा जा सकता है यदि प्रबंधन तथा जनसंवाद को व्यवस्थित रूप से लागू किया जाये।
4 दिवसीय कार्यक्रम के दौरान विभिन्न विषयों एवं योजनाओं जैसे अमृत-2, सीवरेज, जलापूर्ति, स्वच्छ भारत मिशन, ठोस अपशिष्ट प्रबंधन, संचालन एवं संधारण, राजस्व प्रबंधन एवं निवेश को बढ़ावा देने पर विभिन्न विभागों के विशेषज्ञों एवं अनुभवी अधिकारियों द्वारा प्रस्तुतियां दी गयी तथा उन पर पैनल डिस्कशन किया गया। जयपुर नगर निगम (ग्रेटर) की आयुक्त श्रीमती रूकमणी रियार ने ठोस कचरा प्रबंधन, अजमेर नगर निगम के आयुक्त श्री देशल दान ने सीवरेज और सीकर नगर परिषद के आयुक्त श्री शशिकांत ने संचालन व संधारण तथा राजस्व प्रबंधन पर प्रेजेंटेशन दिये।
कार्यक्रम में विश्व बैंक, एडीबी सहित भारत सरकार के 17 अधिकारियों एवं विशेषज्ञों के अलावा, स्वायत्त शासन विभाग, राज्य के नगर निकाय, जन. स्वा. अभि. विभाग, विभिन्न परियोजनाओं से जुड़े अधिकारियों एवं विषय विशेषज्ञों सहित 100 से अधिक लोगों ने भाग लिया। अधिकारियों एवं विशेषज्ञों की टीम ने डेलावास सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट व बीसलपुर- जयपुर पेयजल आपूर्ति लाइन पर बालावाला स्थित पेयजल पम्प हाउस और शहरी ठोस कचरा प्रबंधन हेतु लांगडियावास स्थित वेस्ट टू एनर्जी परियोजना का दौरा किया और कार्यप्रणाली को समझा और राज्य सरकार के शीर्ष अधिकारियों के साथ इस संबंध में भविष्य की योजनाओं और उनके क्रियान्वयन पर बैठकें की।
आरयूआईडीपी के अतिरिक्त परियोजना निदेशक श्री डी.के.मीणा, डा. हेमन्त कुमार शर्मा, रूडसिको के परियोजना निदेशक (इन्फ्रा) श्री अरूण व्यास, मुख्य अभियंता (एसबीएम) श्री प्रदीप कुमार गर्ग, आरयूआईडीपी के उप परियोजना निदेशक (तकनीकी), श्री कपिल गुप्ता, उप परियोजना निदेशक (प्रशासन) श्री एस.एस. खिडिया, रूडसिको के अधीक्षण अभियन्ता श्री जगन्नाथ बैरवा एवं अन्य विभागों के अधिकारियों व विशेषज्ञों ने कार्यक्रम के दौरान विशेष भूमिका निभाई।