Jaipur: जीएसटी का सरलीकरण के साथ इन्कम टैक्स नियमों में बदलाव जरूरी

हेल्थ फॉर ऑल और वन नेशन वन टैक्स लागू हो

Update: 2024-07-17 10:35 GMT

कोटा: केन्द्रीय बजट से कोटा को आशा और अपेक्षा विषय को लेकर मंगलवार को दैनिक नवज्योति कार्यालय में परिचर्चा आयोजित की गई। परिचर्चा में उद्योग वाणिज्य, व्यापार, इकॉनॉमिस्ट, मैनुफैक्चरर, सामान्य व्यापारी, टैक्स जीएसटी, होटल और पर्यटन, किराना, सीए, कामर्स फ्रोफेसर, मेडिकल एन्ड हेल्थ, कोटा स्टोन सहित सभी सैक्टर के विषय विशेषज्ञों ने हिस्सा लिया। ढाई घंटे चली परिचर्चा में विशेषज्ञों ने कई ऐसे महत्वपूर्ण सुझाव दिए जिससे कोटा प्रगति के पथ पर और अधिक तेजी से अग्रसर हो सके। प्रस्तुत हैं उसके अंश :

केन्द्रीय बजट से कोटा की आशा और अपेक्षा

- इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ होटल मैनेजमेंट की जरूरत।

- इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट खुले।

- पर्यटन के साथ विश्व विद्यालयों में पर्यटन संबंधी संबंधी कोर्स शुरू हों।

- नियमों का सरलीकरण हो जिससे इन्वेस्टर कोटा आ सकें।

- वन नेशन वन न्यायालय शुरू हों।

- एमएसएमई में बदलाव के साथ रेल कॉरिडोर व रोड कॉरिडोर बनें।

- नये पर्यटन सर्किट बनें जिससे कोटा जुड सके।

- जीएसटी का सरलीकरण के साथ इन्कम टैक्स नियमों में बदलाव जरूरी।

- स्टार्टअप इको सिस्टम को डवलप कर कृषि आधारित उद्योगों को बढ़ावा देना चाहिए।

- टैक्स से मध्यमवर्गीय परिवार पीड़ित, सोना बेचने पर तो कम से कम टैक्स नहीं लगे।

जीएसटी मुक्त हो किराना

किराना हर घर की महती जरूरत है। समाज में हर वर्ग का व्यक्ति महंगा राशन से दुखी है। सरकार ने खाद्य सामग्री पर जीएसटी लगाकर राशन के दाम बढ़ा दिए। आगे से ही माल महंगा आता है और रिटेलर तक पहुंचते पहुंचते उसके दाम और बढ़ जाते हैं। हर व्यापारी अपना टैक्स निकालना चाहता है, जिसकी वजह से सामग्री और महंगी हो जाती है। ऐसे में सरकार को आने वाले बजट में किराना को जीएसटी से मुक्त करना चाहिए।

-पवन दुआ, अध्यक्ष किराना व्यापार संघ

छूट नहीं मिले लेकिन टैक्स कम होना चाहिए

सरकार ने हर वस्तु पर टैक्स लगा रखा है वह भी 18 फीसदी। इससे कई वस्तुएं महंगी हो गई और आम आदमी की पहुंच से दूर हैं। सरकार को चाहिए कि भले ही छूट नहीं दे लेकिन टैक्स नियम का सरलीकरण होना चाहिए। यहां तक कि बीमा किश्त पर टैक्स लगाना लगत है। सोना बेचने पर टैक्स लगा रखा है। जबकि मध्यम वर्गीय परिवार मजबूरी में ही सोना बेचता है। पहले वैट सिस्टम काफी सरल था। जिससे सरकार के खजाने में हर साल अधिक टैक्स जमा हो रहा था। जबकि जीएसटी पेचीदा होने से शुरुआत में तो वह काफी कम जमा हुआ। उसे फिर से ढर्रे पर आने में ही करीब तीन साल लग गए।

- आशीष राज

सिलेंडर व खाद्य सामग्री पर घटे टैक्स

गृहणियां हर बार बजट में उनके लिए कुछ अच्छा होने की उम्मीद रखती है। सरकार को सिलेंडर, दाल, चावल सहित अन्य खाद्य सामग्री से टैक्स हटाना चाहिए। सिलेंडर के दाम लगातार बढ़ रहे हैं। जिससे रसोई का बजट ही गड़बड़ा जाता है। हर छोटी-छोटी चीजों के लिए महिलाओं को परेशान होना पड़ता है। वहीं, सरकार ने जो खाद्य सामग्री बीपीएल, एपीएल लोगों के लिए फ्री की उन्हें तो मिल नहीं रही। गरीब आदमी को गेहूं नहीं मिल रहा। जिन्हें मिल रहा है वो दुकानों पर आधी कीमत में बेच रहा है। गरीबों को उनका हक मिले, इसके लिए सरकार को प्रभावी मॉनिटरिंग कर जांच करनी चाहिए।

मधु कुमावत, गृिहणी

कोटा में खुले रिफायनरी व सौलर एनर्जी प्लांट

बीकानेर जैसी रिफायनरी प्लांट कोटा में खुले तो यहां के बहुत से लोगों का भला होगा। बीटेक व एमटेक करने वाले इंजीनियरिंग के विद्यार्थियों को सीधा रोजगार मिल सकेगा। वहीं, सौलर एनर्जी को बढ़ावा दिया जाना चाहिए। झालावाड़ रोड पर बहुत जगह खाली पड़ी है, जहां सौलर एनर्जी प्लांट लग सकता है। सरकार को आगामी बजट में रिफायनरी व सौलर प्लांट की सौगात देनी चाहिए। इससे पेट्रोल-डीजल की खपत कंट्रोल हो सकेगी साथ ही वायुमंडल को प्रदूषित होने से बचा सकेंगे।

- मुकुल विजय, एमटेक स्टूडेंट

एमएसएमई एक्ट के नियम को हटाए सरकार

बजट में आम जनता की नजरें हमेशा टैक्स स्लैब पर रहती है। पिछले तीन चार सालों से जो बजट आ रहे हैं, उनमें लगातार टैक्स में सेविंग को प्रमोट न करके टैक्स स्लैब को चेंज किया जा रहा है। जिससे टैक्स की नई स्लैब में अमाउंट कम करके लोगों को फायदा पहुंचाया जा रहा है। जिससे लोगों की सेविंग करने की आदत रही है वो बदलती जा रही है। सरकार ने पिछले बजट में एमएसएमई एक्ट को इनकम टैक्स एक्ट में एप्लीकेबल कर दिया है। जिससे व्यापारियों के बीच सामंजस्य की कमी हो गई। जिससे वे आपस में व्यापार नहीं कर रहे।

- प्रकाश चौधरी, अध्यक्ष, सीए कोटा ब्रांच आईसीएआई

स्टार्टअप ईको सिस्टम विकसित हो

स्टार्टअप इको सिस्टम को डवलप किए जाने की आवश्यकता है। जिन उद्योगों में रोजगार कम है वहां अधिक बजट इनवेस्ट किया जा रहा है। ऐसे में कृषि आधारित उद्योगों को बढ़ावा देना चाहिए। जिससे ग्रीन इकोनोमी मजबृत होगी। कोटा को हाइटेक सिटी बनाया जाना चाहिए। यहां ऑल इंडिया मैनेजमेंट इंस्टीट्यूट आने चाहिए। कोटा में प्राइवेट टूरिज्म की दृष्टि से पर्यटन सर्किट बनना चाहिए।

- डॉ. गोपाल सिंह, अर्थशास्त्री

उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए मिले बजट

केन्द्र सरकार को चाहिए कि उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए बजट उपलब्ध करवाए। प्रदेश में बिजनेस सेंटर विकसित होने चाहिए। इनवेस्टर को प्रमोट करने की जरूरत है। यह तभी संभव होगा जब उन्हें प्रोत्साहन दिया जाएगा। कोटा औद्योगिक नगरी था इसे फिर से उसी श्रेणी में लाने के लिए प्रयास करने होंगे।

-अनुज माहेश्वरी, सचिव दी एसएसआई एसोसिएशन

शिक्षा से खत्म हो 18 प्रतिशत जीएसटी

एजुकेशन सेक्टर पर बजट ज्यादा होना चाहिए, अभी बजट 3प्रतिशत से भी कम है। जबकि, यूनिस्को की गाइड लाइन के अनुसार जीडीपी का 6 प्रतिशत बजट शिक्षा पर होना चाहिए। क्योंकि, वर्तमान में एजुकेशन सेक्टर बहुत ही लॉ कंडीशन में चल रहा है। नई शिक्षा नीति लागू की है, जिससे कुछ परिवर्तन हुए हैं लेकिन फंडामेंटल लेवल पर बहुत सारी चीजों पर प्रयास होना बाकी है। डिजिटल एजुकेशन प्लेटफॉर्म पर जो भी विद्यार्थी एजुकेशन लेता है उसे 18प्रतिशत जीएसटी देनी पड़ती है।

- अनिता माहेश्वरी, सहायक आचार्य, राजकीय गर्ल्स कॉमर्स कॉलेज

टूरिस्ट स्टडी कोर्स लागू हो

कोटा में पर्यटन के नाम पर सिर्फ चम्बल रिवर फ्रंट है। घरेलू पर्यटक ही यहां नहीं आ पा रहा। ऐसे में विदेशी पर्यटकों को आकर्षित करना बड़ी चुनौती है। पर्यटक बूंदी तक आकर ही निकल जाते हैं। कोटा में एयरपोर्ट होना चाहिए। लेकिन जिन शहरों में एयरपोर्ट नहीं हैं वहां भी पर्यटन का विकास हुआ है। ऐसे में केन्द्र सरकार को चाहिए कि पर्यटन स्टडी कोर्स लागू किया जाए। कोटा में बिजली, पानी व रेल की कनेक्टिविटी काफी अच्छी है। ऐसे में यहां पर्यटन के क्षेत्र में अधिक संभावनाएं हैं। इसके लिए यहां उसी स्तर के होटल, परिवहन व अन्य संसाधनों को भी विकसित किया जाए। रा’य सरकार द्वारा पेश बजट में पर्यटन के लिए जो बजट दिया है वह प्रदेश के अन्य शहरों के लिए है उसमें कोटा को कुछ नहीं मिला। यहां पर्यटन के लिए चम्बल सफारी को प्रमोट किया जाना चाहिए। कोटा में ट्यूरिज्म एजुकेशन के लिए विशेष पाठ्यक्रम सरकार के स्तर पर विश्वविद्यालय या कॉलेजों में शुरू किए जाएं। साथ ही सेंटर भी खोले जाएं ताकि, ट्यूरिज्म को बढ़ावा मिल सके।

- अनुकृति शर्मा प्रोफेसर ट्यूरिज्म

कोटा स्टोन से खत्म हो जीएसटी

कोटा स्टोन कोटा की पहचान है। सरकार को आम बजट में कोटा स्टोन से जीएसटी हटानी चाहिए, ताकि इसका आयात निर्यात बढ़े और रोजगार के अवसर तेजी से बढ़ सके।

- हरिश प्रजापति, कोटा स्टोन इंडस्ट्रीज

पेट्रोल-डीजल पर भी लागू हो जीएसटी

पेट्रोल-डीजल आवश्यक वस्तु की श्रेणी में आते हैं। उसके बाद भी पंजाब में इनकी रेट कम है और राजस्थान में अधिक है। वह भी थोड़ा अंतर नहीें काफी अधिक अंतर है। पेट्रोल-डीजल महंगा मिलने के कारण ही सीएनजी और इलेक्ट्रिक वाहनों की डिमांड अधिक होने लगी है। ऐसे में केन्द्र सरकार को चाहिए कि वह पेट्रोल-डीजल पर जीएसटी लागू करे। जिससे पूरे देश में इनकी एक समान रेट रहे। जीएसटी काउंसिल में यह मामला जाने के बाद भी अभी तक लागू नहीं हुआ है। सरकार को इस मामले में पहल करनी होगी।

- तरूमीत सिंह बेदी, अध्यक्ष पेट्रोलियम डीलर्स एसोसिएशन

कोटा में भी खुले होटल मैनेजमेंट इंस्टीट्यूट

कोटा में ट्यूरिज्म को प्रमोट करने की जरूरत है, क्योंकि इससे स्थाई रोजगार बढ़ेगा। यहां थर्मल की अप स्ट्रीम से लेकर गरड़िया तक चंबल सफारी होती है, इतने लंबे रुट पर सफारी पूरे देश में कहीं नहीं है। राजस्थान सरकार ने इंफ्रास्ट्रेक्चर डवलप करने के लिए 5 हजार करोड़ रुपए डिक्लेयर किया है। महत्वपूर्ण बात यह है कि बजट में जो घोषणाएं हों, उसे प्राथमिकता से अमल में लाया जाए। केंद्र सरकार ने होटल मैनेजमेंट के लिए रानपुर में जगह दी हुई है। लेकिन पिछले 5 सालों में यहां कोई भी गतिविधियां नहीं हुई। इंडियन इंस्ट्यिूड होटल मैनेजमेंट कॉलेज कोटा में खुले। इसके अलावा प्राइवेट सेक्टर में भी कॉलेज खोले जाएं। बूंदी में जैतसागर, नवल सागर सहित धार्मिक, आध्यात्मिक व एडवेंचर पर्यटन हैं। उसी से हम कनेक्टेड हैं। हमारे पास भी किशोर सागर, चंबल सफारी, चंबल रिवर फ्रंट, सिटी पार्क, सेवन वंडर सहित कई धार्मिक व एडवेंचर पर्यटन स्थल हैं। फिर भी हमारे यहां बूंदी के बराबर पर्यटक नहीं आते। जरूरत है तो प्रचार प्रसार व अतिथि सत्कार की।

- अशोक माहेश्वरी, संभागीय अध्यक्ष होटल फेडरेशन ऑफ राजस्थान

उद्योगों के लिए नियमों का हो सरलीकरण

भारत और राजस्थान में बाहरी देशों के उद्यमी आकर उद्योग लगाना चाहते हैं लेकिन यहां नियम इतने अधिक पेचीदा हैं कि इनवेस्टर पीछे हट जाते हैं। नियमों में सरलीकरण किया जाए तो उद्योग लगेंगे। कलस्टर डवलपमेंट स्कीम बनाने की आवश्यकता है। साथ ही उद्योगों के लिए पानी और बिजली भी आवश्यक है। इनकी उपलब्धता सरल होनी चाहिए। फूड सेफ्टी एक्ट ऐसा हो जिसमें अमानक वस्तुओं को नष्ट करने की जगह उनका पशु आहार में उपयोग किया जा सके। वन नेशन वन न्यायालय और वन नेशन वन टैक्स लागू होना चाहिए। की व्यवस्था हो। एमएसएमई की पॉलिसी काफी पुरानी हो चुकी है उसमें बदलाव किया जाना चाहिए। उद्योगों के लिए पुराना रिकॉर्ड रखने की समय सीमा तय होनी चाहिए। साथ ही सभी के लिए कलेंडर वर्ष एक ही होना चाहिए।

- गोविंद राम मित्तल, संस्थापक अध्यक्ष दी एसएसआई एसोसिएशन

हेल्थ फॉर ऑल लागू हो

कोटा में पर्यटन की अपार संभावनाएं हैं। जिस तरह से कोटा में कोचिंग के लिए सरकार के स्तर पर नहीं निजी स्तर पर प्रयास किए गए। जिसके बढ़ने से यह शिक्षा नगरी के रूप में बना था। उसी तरह से यहां पर्यटन सर्किट बनाने के लिए भी सरकार पर निर्भर रहने के स्थान पर पर्यटन से जुड़े व्यवसाईयों को संगठित होकर काम करना होगा। वहीं हैल्थ फोर ऑल लागू हो। साथ ही हैल्थ सेक्टर के बजट को बढ़ाने की आवश्यकता है। एआई टूल सिस्टम लागू हो। टेली मेडिसिन व व टेली रेडियोलोजी सिस्टम पर फोकस किया जाना चाहिए। मेडिकल में जांच के उपकरण बनाने के लिए देश में संसाधन नहीं है। अधिकर उपकरण बाहर से आते हैं। इस कारण से जांच महंगी होती है। देश में ही मेडिकल व जांच के उपकरण बनाने की व्यवस्था हो और बाहर से आने वाले उपकरणों पर कस्टम ड्यूटी समाप्त हो तो जांच सस्ती हो सकती है।

- डॉ. विजय सरदाना, पूर्व प्रचार्य, मेडिकल कॉलेज कोटा

स्टार्टअप बूस्ट करने को फंडिंग हो आसान

एमबीए की डिग्री के भरोसे ही स्टूडेंट्स को नौकरी नहीं मिलती। इसके लिए स्किल डवलपमेंट की जरूरत है। इंडस्ट्री की आवश्यकता के अनुसार सिलेबस डिजाइन हों और प्रोफेशनल वर्कशॉप, इंडस्ट्री विजिट करवाई जाए ताकि विद्यार्थियों को ग्राउंड लेवल के साथ ग्लोबल एक्सप्रिंस हो सके। कई स्टूडेंट्स ऐसे हैं जो अपना स्टार्टअप करना चाहते हैं लेकिन फंडिंग नहीं होने से रोजगार की राह और कठिन हो जाती है। हम चाहते हैं सरकार आने वाले बजट में फंडिंग को लेकर नीति बनाएं।

- लवीना, एमबीए स्टूडेंट, कोटा विवि

बीमा किश्त पर टैक्स लगाना गलत

सरकार ने जीएसटी लागू किया है लेकिन उसकी स्लैप में इतनी अधिक पेचीदगियां हैं कि हर किसी के लिए उन्हें पूरी तरह से समझ पाना मुश्किल है। जीएसटी की स्लैप का सरलीकरण तो किया ही जाए। साथ ही बीमा किश्त पर टैक्स लगाया जा रहा है। यह गलत है इसे समाप्त किया जाना चाहिए। वरिष्ठ नागरिकों को मिलने वाली सरकारी दवाईयों की खर्च सीमा तय की गई है। उसे बढ़ाया जाना चाहिए। 43 बी में बदलाव होना चाहिए। साथ ही कोटा में आईआईटी व आईआईएम जैसे इंस्टीट्यूट की आवश्यकता है। केन्द्र सरकार को बजट में इनके लिए प्रावधान करना चाहिए।

- एम.एम. शर्मा, वरिष्ठ अधिवक्ता

देशभर में लागू हो फॉरेन करेंसी होल्डिंग अकाउंट

सरकार को इंडिया में फोरेन करेंसी होल्डिंग अकाउंट को अलाव करना चाहिए। ताकि, विदेशी करेंसी जब इंडिया में ट्रांसफर हो तो वह उसी करेंसी में ही रहे, रुपए में कन्वर्ड न हो और ट्रांजेक्शन नेट बैकिंग के द्वारा आसानी से हो जाए। अब तक हो यह रहा है, अमेरिका से जब भारत में किसी व्यापारी के खाते में डॉलर ट्रांसफर होते हैं तो वह ऑटोमेटिक रुपए में कन्वर्ड हो जाते हैं। जब उसे वापस अमेरिका में ट्रांजेक्शन करना होता है तो इंडियन करेंसी को फिर से डॉलर में कन्वर्ड करवाने के लिए बैंकों के चक्कर काटने पड़ते हैं और अनावश्यक फॉर्मल्टी से जुझना पड़ता है। साथ ही इंटरनेशनल ट्रांसजेक्शन में इंडिया को नुकसान होता है। इसलिए, सरकार को भारत में फोरेन करेंसी होल्डिंग अकाउंट को मंजूरी देना चाहिए ताकि, डॉलर बैंक खाते में डॉलर के रूप में ही रहे ताकि, जरूरत पड़ने पर डॉलर ही भेजा जा सके।

- नवीन कुमार चार्टड अकाउंटेंट एवं एक्सपर्ट इंटरनेशनल टैक्सेशन

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