Jaipur: पूर्व गहलोत सरकार की एक और स्कीम का नाम बदला गया

भजनलाल सरकार ने बदला नाम

Update: 2024-11-26 09:32 GMT

जयपुर: भजनलाल सरकार ने पिछली गहलोत सरकार की एक और योजना का नाम बदल दिया है। राज्य सरकार की ओर से जारी आदेशों में अब इंदिरा गांधी शहरी रोजगार गारंटी योजना का नाम बदलकर मुख्यमंत्री शहरी रोजगार गारंटी योजना कर दिया है। बता दें कि इस योजना के तहत सरकार शहरी क्षेत्र के बेरोजगारों और उनके परिवार को 100 दिन का निश्चित रोजगार उपलब्ध करवाती है।

यह योजना सितंबर 2022 में तत्कालीन गहलोत सरकार द्वारा शुरू की गई थी। इस योजना के तहत शहरी बेरोजगारों को ग्रामीण बेरोजगारों की तर्ज पर 100 दिनों का निश्चित रोजगार दिया जाता है। शहरी रोजगार गारंटी योजना के तहत जरूरतमंद परिवारों को जनाधार से जॉब कार्ड बनवाकर रोजगार मिलता है। यह योजना केंद्र के महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) की तर्ज पर शुरू की गई थी।

इन योजनाओं के नाम पहले भी बदले गए थे

सत्ता में आने के बाद भजनलाल सरकार ने 5 जनवरी 2024 को इंदिरा रसोई का नाम बदलकर अन्नपूर्णा रसोई कर दिया. सरकार ने इंदिरा रसोई का नाम बदलने के साथ ही इसमें भोजन की मात्रा 150 ग्राम बढ़ा दी है. पहले एक व्यक्ति एक समय में दो प्लेट भोजन ले सकता था। अब एक समय में एक व्यक्ति को एक ही प्लेट मिलती है।

चिरंजीवी स्वास्थ्य बीमा योजना का नाम बदलकर केंद्र की आयुष्मान योजना में विलय कर दिया गया। इसका नाम बदलकर मुख्यमंत्री आयुष्मान आरोग्य योजना (एमएए) कर दिया गया। सरकार ने न सिर्फ चिरंजीवी योजना का नाम बदला, बल्कि सुविधा का दायरा भी कम कर दिया.

राज्य के सरकारी स्कूलों में कक्षा 1 से 8 तक के बच्चों को दूध पाउडर उपलब्ध कराने वाली मुख्यमंत्री बाल गोपाल योजना का नाम बदलकर पन्नाधाय बाल गोपाल योजना कर दिया गया है।

विदेश में पढ़ने के इच्छुक छात्रों को दी जाने वाली राजीव गांधी अकादमिक उत्कृष्टता छात्रवृत्ति योजना का नाम बदलकर स्वामी विवेकानंद अकादमिक उत्कृष्टता छात्रवृत्ति योजना कर दिया गया।

राजीव गांधी जल स्वालंबन योजना का नाम बदलकर मुख्यमंत्री जल स्वालंबन योजना कर दिया गया।

मुख्यमंत्री वरिष्ठ नागरिक तीर्थयात्रा योजना का नाम बदलकर पं. दीन दयाल उपाध्याय वरिष्ठ नागरिक तीर्थयात्रा योजना की गई।

सरकार ने इंदिरा महिला शक्ति उड़ान योजना, इंदिरा महिला शक्ति जागरूकता शिक्षा कार्यक्रम और इंदिरा महिला एवं बाल विकास अनुसंधान संस्थान योजना को मिलाकर एक योजना बनाई। अब इसे कालीबाई भील संबल योजना के नाम से जाना जाता है।

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