छह विभागों की जांच में खुलासा

Update: 2023-07-31 12:30 GMT

अलवर न्यूज़: सरकार ने सरिस्का के बाघ और जंगलों को जिन अफसरों के भरोसे छोड़ा उन्हीं ने वन और राजस्व भूमियों पर कब्जे करा होटल बनवा दिए। नदी-नालों तक पर कब्जे करा दिए। तमाम शिकायतों के बावजूद ऐसे 12 अवैध होटल व रिसोर्ट सरिस्का बाघ परियोजना के कोर टाइगर हैबीटेट (सीटीएच) में बेरोकटोक चल रहे हैं। जिला कलेक्टर से लेकर वन अधिकारियों तक, सभी को इसकी खबर है। छह विभागों की टीम ने सर्वे कर रिपोर्ट भी दे दी।

भास्कर ने रिपोर्ट खंगाली तो पता चला कि वन भूमि पर बने होटलों के साथ 24 होटल-रेस्टोरेंट ऐसे भी हैं जो गैर मुमकिन पहाड़, नदी, नाले, चारागाह और सिवायचक भूमियों पर अवैध कब्जे कर बने हुए हैं। ये मामले राजगढ़ उपखंड के टहला तहसील क्षेत्र के हैं। अवैध कब्जे कराने वाले खुद अफसर ही हैं। इनमें सरिस्का में एसीएफ रहे राजस्थान वन सेवा के पूर्व अधिकारी के नाम की भूमि पर रिसोर्ट संचालित है। इसी तरह सरिस्का के सी एफ रहे भारतीय वन सेवा के अधिकारी की पत्नी के नाम दर्ज भूमि पर भी होटल निर्माण चल रहा है।

जंगलों में वन्यजीवों को बचाने के लिहाज से तीन बड़े आदेश प्रभावी हैं। इनमें पहला आदेश सुप्रीम कोर्ट का है, जो 2012 में जनहित याचिका पर दिया गया। इसमें सरकारों को जंगलों के भीतर गैर वानिकी गतिविधि बंद करने के आदेश थे। केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय ने इसकी पालना में 2016, 2018 व 2019 में सभी राज्यों के मुख्य वन्यजीव प्रतिपालकों को टाइगर प्रोजेक्टों को लेकर सी टीएच के अंदर सभी स्थाई निजी टूरिस्ट गतिविधि बंद करने के आदेश और गाइडलाइन दिए।

दूसरा आदेश वन्यजीव अधिनियम 1972 के तहत है, जिसमें बाघ परियोजना, राष्ट्रीय पार्क व अभयारण्यों के भीतर होटल, रिसोर्ट, लॉज चलाने के लिए राष्ट्रीय वन्यजीव बोर्ड की अनुमति अनिवार्य की है। तीसरा आदेश ईको सेंसेटिव जोन का है। सरिस्का के 1 किमी ईको सेंसेटिव जोन में सिर्फ अस्थाई ईको टूरिज्म की छोटे इकाई की अनुमति है। नए व्यावसायिक होटलों पर रोक है। इसके बावजूद 12 कमर्शियल होटल और रिसोर्ट बिना वन्यजीव बोर्ड की मंजूरी और ईको सेंसेटिव जोन नियमों का उल्लंघन कर संचालित हैं।

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