रोडवेज में इंटरनेट का ब्रेकडाउन, नहीं चल पा रही ऑनलाइन सेवा

Update: 2023-09-05 11:10 GMT
भरतपुर। भरतपुर राजस्थान रोडवेज की बसें अब हाईटेक हो रही हैं। बसों में ऑनलाइन बुकिंग सुविधा के बाद अब टिकट लेना भी आसान हो गया है। क्यूआर कोड से ऑनलाइन भुगतान कर टिकट लेने की व्यवस्था शुरू की गई है, लेकिन इंटरनेट की समस्या व जागरुकता के अभाव में इसका लाभ बहुत कम लोग ही उठा पा रहे हैं। क्योंकि ग्रामीण क्षेेत्रों में नेट की समस्या आने पर क्यूआर कोड की व्यवस्था से टिकट नहीं मिल पाता है। हालात यह हैं कि भरतपुर एवं लोहागढ़ डिपो में इसका उपयोग कम ही हो रहा है। ऐसे में मजबूरन लोगों को रुपए ही देने पड़ते हैं। रोडवेज ने टिकट काटने की व्यवस्था को हाईटेक किया गया है। यात्री डिजिटली पैमेंट कर टिकट ले सकेंगे। विभाग ने बसों में यात्रियों के लिए क्यूआर कोड से ऑनलाइन भुगतान कर टिकट लेने की व्यवस्था शुरू की है। भरतपुर समेत प्रदेश के विभिन्न मार्गों पर चलने वाली बसों में क्यूआर कोड सेे ऑनलाइन भुगतान कर टिकट लेने की व्यवस्था की गई है।
रोडवेज प्रबंधन ने परिचालकों को टिकट काटने के लिए उपलब्ध करवाई गई मशीनों में विभाग का क्यूआर कोड इंस्टॉल किया है। टिकट काटते समय इसमें दो विकल्प आते हैं। एक कैश पैमेंट और दूसरा ऑनलाइन पैमेंट का। ऑनलाइन पैमेंट का विकल्प चुनने पर क्यूआर कोड मशीन की स्क्रीन पर आ जाता है। यात्री क्यूआर कोड को मोबाइल फोन से स्केन कर भुगतान कर देता है। राशि रोडवेज के खाते में पहुंच जाती है। भुगतान होते ही परिचालक टिकट काटकर दे देता है। परिचालक बताते हैं कि व्यवस्था तो सही है, लेकिन जागरुकता के अभाव व नेट की समस्या के कारण यह सुविधा कारगर साबित नहीं हो पा रही है। कई बार इंटरनेट की समस्या रहती है। कई गांव व कस्बों में नेट नहीं मिल पाता। जंगल व पहाड़ी इलाके में नेटवर्क नहीं मिलने पर टिकट काटने के लिए इंटरनेट की रेंज में आने का इंतजार करना पड़ता है। ऐसे में यदि कोई यात्री क्यूआर कोड के चक्कर में बस में बैठ जाते हैं, तो या तो उन्हें पैसे देने पड़ते हैं। या फिर परिचालक के मोबाइल पर पैमेंट करना पड़ता है। फिर परिचालक डिपो में रुपए जमा कराते हैं। उनका मानना है कि यदि यह व्यवस्था सुचारू रूप से चले तो खुल्ले रुपए का झंझट भी दूर हो जाता है। सुविधा अच्छी है, लेकिन इंटरनेट की समस्या है। हर जगह इंटरनेट उपलब्ध नहीं होने के कारण इस सुविधा का लोग ज्यादा लाभ नहीं उठा पा रहे हैं। साथ ही लोगों में जागरुकता का अभाव भी है।
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