मानसून की बेरुखी, पानी की कमी से मुरझाने लगी फसलें, किसान मायूस

Update: 2023-08-20 11:27 GMT
प्रतापगढ़। प्रतापगढ़ जिले में गत एक पखवाड़े से बारिश नहीं हो रही है। ऐसे में खरीफ की फसलों में सूखाग्रस्त होने की समस्या हो गई है। हालात यह है कि फसलें मुरझाने लगी है। ऐसे में भूमिपुत्रों में चिंता गहराने लगी है। वहीं गांवों में इदं्रदेव को मनाने के जतन किए जाने लगे है। गौरतलब है कि जिले में गत एक पखवाड़े से बारिश नहीं हुई है। ऐसे में पथरीले खेतों में तो फसलें सूख गई है। जबकि मैदानी इलाकों में भी खेतों में दरारें पडऩे लगी है। पानी के अभाव में फसलें दम तोडऩे लगी है। सोयाबीन की फसल में इन दिनों फूल आने की अवस्था चल रही है। ऐसे समय में पानी नहीं मिलने पर काफी नुकसान हो गया। वहीं मक्का की फसलों के पत्ते सूखने लगे है।
स्वरूपगंज. क्षेत्र में लंबे समय से बारिश नहीं होने की वजह से किसानों की परेशानी बढ़ रही है। दिन पर तेज धूप निकलने से व तेज हवा चलने से फसलों में सूखापन भी देखा जा रहा है। यहां क्षेत्र में पिछले बीस दिन से बारिश नहीं हुई है। जिससे किसान चिंतित है। इधर किसानों की ओर सेे इंद्र हवन, खेड़ा देवत पूजन आदि कर इंद्रदेव को मनाने के लिए जतन कर बारिश की कामना की जा रही है। फसलों पर तेज गर्मी का असर होना शुरू हो गया है। अगर यही स्थिति रही तो किसानों को भारी नुकसान का सामना करना पड़ सकता है। बारिश नहीं होने के चलते किसान भी नहीं व्यापारी वर्ग भी चिंतित हैं। इधर किसानों ने निराश होकर मोटर पंप से सिंचाई चालू कर दी है। छोटीसादड़ी. उपखंड क्षेत्र के अन्य गांव में बारिश नहीं होने से किसान चिंता में है। उड़द, मूंगफली, मक्का, सोयाबीन की फसलों पर तेज धूप की वजह से रिंग कटर, इल्ली भी अधिक नुकसान पहुंचा रहा है। इधर सारी फसले अपने पूरे यौवन पर हैं। बारिश की देरी की वजह से फसलों पर फूल झडऩे शुरू हो गए हैं। फसलों में पौधे की बढऩे की क्षमता खत्म हो चुकी है। जिससे फसल में पैदावार प्रभावित हो सकती हैं। किसान बता रहे हैं कि 25 से 30 फीसदी फसल में नुकसान हो चुका है। अगर प्रकृति की मार इसी तरह बनी रही तो आर्थिक नुकसान उठाना पड़ सकता है।
इन दिनों फसलों में बारिश की सख्त आवश्यकता है। पानी की कमी से मूंगफली, सोयाबीन, मक्का की फसल पर ज्यादा असर पड़ रहा है। अनुमान के मुताबिक बिना सिंचाई वाले क्षेत्रों में 20 से 40 फीसदी मूंगफली सोयाबीन की फसल खेतों में ही बर्बाद हो चुकी है। आने वाले समय में भी अगर बारिश नहीं होती है तो किसानों को बीज खरीदने पर आई लागत को निकालना भी मुश्किल हो जाएगा। यहां अधिकतर किसानों की रोजी रोटी खरीफ फसल व पशुपालन पर ही निर्भर है। किसानों ने करीब 140 रुपए प्रति किलो के हिसाब से मूंगफली का बीज खरीदा। इसके अतिरिक्त खेती पर की गई मेहनत और अन्य खर्च अलग से हैं। ऐसे में मौसम की मार पडऩे से कई किसानों को बैकों के कर्ज की किश्त लौटाने की भी चिंता सताने लगी है। किसानों ने कई खेतों में फसलों में हुए नुकसान का आकलन करने की मांग की है। गांव के किसान रामनारायण जणवा ने बताया कि पिछले साल फसल पककर तैयार हो गई थी। इस मौके पर बारिश हुई थी। जिससे नुकसान हो गया इस बार बारिश नहीं हो रही हैं। बंशीलाल मीणा का कहना हैं कि इस बार सोयाबीन कि फसल में फलियां बनाना शुरू हुई औैर बारिश बंद हो गई। इससे फसल खराब हो गई हैं। रामेश्वरलाल, ईश्वरलाल जणवा आदि का कहना हैं कि बुवाई बिजाई खरपतवार कीटनाशक दवाई जैसे सारे खर्चे होने के बाद बारिश नहीं होने से फसलें सूख गई है।
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