राजस्थान में पिछले 24 घंटों में लंपी बीमारी से 2 हजार से अधिक गायों की हुई मौत

Update: 2022-08-06 13:55 GMT

जयपुर न्यूज: राजस्थान में लंपी बीमारी का कहर बढ़ता जा रहा है। पिछले 24 घंटों में लंपी बीमारी से 2 हजार से अधिक गायों की मौत हो गई है। जिसके बाद प्रदेश में लंपी बीमारी से मरने वाली गायों की संख्या 6 हजार के करीब पहुंच गई है। पशुपालन विभाग का मानना है कि औसतन एक से डेढ़ फीसदी संक्रमित गायों की मौत हो रही है। वहीं संक्रमित गायों की संख्या पांच लाख से ज्यादा हो गई है। प्रदेश में गायों में फैला यह लंपी रोग सबसे ज्यादा बाड़मेर जिले को प्रभावित कर रहा है। जहां अब तक 15 सौ से अधिक गायें दम तोड़ चुकी हैं।

राजस्थान के जोधपुर जिले के बिलाड़ा उपखंड में महामारी की तरह फैली लम्पी स्किन डिजीज से गौवंश को बचाने के लिए गौ सेवकों ने औषधीय रोटी का सहारा लेकर अनूठी पहल की है। लम्पी स्किन महामारी बीमारी से निजात दिलाने के लिए हल्दी-काली मिर्च-कड़कड़ शक्कर और देसी घी की रोटी को रामबाण औषधि मान कर यहां के गो सेवकों और भामाशाह इससे बने आटे की रोटी गौवंश को देनी शुरू की है। गौभक्त और दानदाता ने गौवंश को बचाने के लिए हर संभव कोशिश में जुटे हैं इस बीच गौसेवक फिटकरी युक्त पानी से गायों को नहला रहे हैं और साथ ही नीम की पत्तियों को जलाकर गौवंश के पास धुंआ भी कर रहे हैं। ताकि मक्खी मच्छर से संक्रमित गौवंश बच सके।

प्रदेश में गायों में फैला यह लंपी रोग सबसे ज्यादा बाड़मेर जिले को प्रभावित कर रहा है। जहां अब तक 15 सौ से अधिक गायें दम तोड़ चुकी हैं। इसके बाद गंगानगर में 840 गायों की मौत हुई है। वहीं जालौर में 708, बीकानेर में 646, नागौर में 558 और नागौर के कुचामन सिटी में 205, जैसलमेर में 250, चूरू में 124, हनुमानगढ़ में 126, पाली में 80, उदयपुर में 47, सिरोही में 36, अजमेर में 43, झुंझुनू में 5, जयपुर में 9 और सीकर जिले में 1 गाय की मौत हो चुकी है। लम्पी बीमारी राजस्थान के 17 जिलों में फ़ैल चुकी है।

प्रदेश में बढ़ रही लम्पी बीमारी पर सीएम गहलोत ने चिंता जताते हुए केंद्र सरकार से मदद की गुहार लगाई है। जिसके चलते आज केंद्रीय मंत्री पुरषोतम रुपाला राजस्थान पहुंचे है। वहीं दूसरी तरफ जोधपुर सहित पश्चिमी राजस्थान में लम्पी स्किन का प्रकोप बढ़ता जा रहा है। संक्रमित गौवंश को आइसोलेट रखने के साथ साथ गौशालाओं में हाइपो क्लोराइड का छिड़काव किया जा रहा है। प्रशासन के साथ साथ गौ सेवा विभाग के कार्यकर्ता भी गांव -गांव और ढाणी -ढाणी तक गौवंश को बचाने की कोशिश में जुटे हैं। 

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