आसींद क्षेत्र में एक दूल्हा बैलगाड़ी से बारात को लेकर दुल्हन के घर पहुंच गया
आधुनिकता का दौर और 21वीं सदी में क्या आप कल्पना कर सकते हैं कि कोई बारात बैलगाड़ी से दुल्हन के घर पहुंचे. आज के दौर में जहां दूल्हा पक्ष के लोग लग्जरी गाड़ियों और हैलीकॉप्टर तक में दुल्हन के दरवाजे तक बारात लेकर पहुंच रहे हैं,
जनता से रिश्ता। आधुनिकता का दौर और 21वीं सदी में क्या आप कल्पना कर सकते हैं कि कोई बारात बैलगाड़ी से दुल्हन के घर पहुंचे. आज के दौर में जहां दूल्हा पक्ष के लोग लग्जरी गाड़ियों और हैलीकॉप्टर तक में दुल्हन के दरवाजे तक बारात लेकर पहुंच रहे हैं, ऐसे में भीलवाड़ा में एक दूल्हा बैलगाड़ी में बारात लेकर दुल्हन के दरवाजे पर पहुंच गया. कौतूहल होना ही था, इस बारात को देखने लोगों की भीड़ लग गई.
दूल्हा एकलिंग गुर्जर आज बारातियों को बैलगाड़ी में बैठाकर दुल्हन के घर जा पहुंचा. इस दृश्य को देखने के लिए लोगों की भीड़ उमड़ रही है. इस दौरान लोग अपने मोबाइल में बैलगाड़ी के साथ सेल्फी लेते भी नजर आए. दूल्हे एकलिंग का कहना है कि उसने अपनी पुरानी परंपराओं को पुनर्जीवित करने और पर्यावरण को बचाने के लिए यह संदेश दिया है. बैलगाड़ी से बारात लेकर दुल्हन के घर तक पहुंचे एकलिंग को देखकर बुजुर्गों ने अपना समय याद किया और किस्से सुनाए. अब लोगों का कहना है कि पर्यावरण को बचाने के लिए इस तरह के कदम सबको उठाने होंगे.
बैलगाड़ी में बारात भीलवाड़ा जिले के आसींद क्षेत्र के झामरा का बाड़िया निवासी तेजमल गुर्जर के बेटे एकलिंग गुर्जर लेकर पहुंचे. बैलगाड़ी को आकर्षक ढंग से सजाया गया. बारात की बैलगाड़ी ने 4 किलोमीटर का सफर तय करते हुए कटार गांव में प्रवेश किया. दुल्हन मीना देवी गुर्जर के पिता तेजू गुर्जर ने बैलगाड़ी में आई बारात का स्वागत किया. इसके बाद विधि विधान से तेजू राम गुर्जर की पुत्री मीना का विवाह संपन्न हुआ.
अक्सर सुनने को मिलता है कि दादा और नाना की बारात बैलगाड़ी से गई थी. जिसमें ससुराल पहुंचने में कई दिनों का सफर तय करना पड़ा था. वर्तमान समय में अगर कोई यह कहे कि किसी की बारात बैलगाड़ी में जाएगी तो लोगों को मुश्किल से विश्वास होगा. कई वर्षों बाद पुरानी परंपरा से निकली इस बारात इलाके में चर्चा विषय बन गई है. बारात जिस गांव और चौराहे से निकली वहां लोग इस बरात को देखने के लिए अपने-अपने घरों से बाहर और छतों पर आ गए.