मंदिरों में ड्रेस कोड लागू करना विधर्मियों की चाल: प्रदीप मिश्रा

Update: 2023-07-07 04:32 GMT

अजमेर: कथावाचक पंडित प्रदीप मिश्रा ने कहा- सनातन धर्म को तोड़ने की साजिश चल रही है। विधर्मियों ने नई चाल चली है। सनातन धर्म के एक-दो लोगों के कान भरने शुरू कर दिए। मंदिर में जाना है तो लड़के ऐसे कपड़े पहनेंगे, लड़कियां ऐसे कपड़े पहनेंगे। ऐसे कपड़े पहनकर मंदिर आएंगे, वैसे कपड़े पहनकर मंदिर आएंगे। कुछ दिन पहले ही उदयपुर के सबसे पुराने श्री जगदीश मंदिर में ड्रेस कोड लागू करने का पोस्टर लगाया गया था। मंदिर के बाहर लगाए गए पोस्ट में लिखा था- सभी भक्तों को सूचित किया जाता है कि श्री जगदीश मंदिर परिसर में शॉर्ट टी शर्ट, शॉर्ट जींस, बरमुंडा, मिनी स्कर्ट, नाइट सूट आदि पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। कृपया इस नियम का विशेष ध्यान रखें। ऐसा करने पर मंदिर में प्रवेश नहीं मिलेगा। इस तरह के पोस्टर सिर्फ उदयपुर के ही मंदिर में नहीं लगे हैं। पिछले कुछ महीने के अंदर राजस्थान के कई और शहरों के मंदिरों में भी ड्रेस कोड से संबंधित पोस्टर लगाए गए हैं। दूसरे राज्यों में भी इस तरह की पाबंदी लगाई गई है। इसको लेकर कथावाचक प्रदीप मिश्रा ने सवाल उठाए हैं।

पुष्कर स्थित मेला ग्राउंड में चल रहे ब्रह्म शिव पुराण कथा के दौरान गुरुवार को पंडित मिश्रा ने कहा- बेटा-बेटी मंदिर जाना धीरे-धीरे कम कर देंगे। बूढ़े-बूढ़े लोग ही मंदिर में दर्शन करने आएंगे। जवान-जवान लड़के-लड़कियां मंदिर के बाहर से ही कहेंगे- हम तो जींस पहने हैं। हम तो टी-शर्ट पहने हैं। हम मंदिर नहीं जा रहे। मंदिरों में ड्रेस कोड लागू करना विधर्मियों की चाल है। युवा पीढ़ी को धीरे-धीरे धर्म से दूर किया जा रहा है। कथावाचक मिश्रा ने मंदिर में ड्रेस कोड विवाद को विधर्मियों की चाल बताया। उन्होंने कहा कि विधर्मी हिंदू धर्म की नई पीढ़ी को धर्म से विमुख करने का प्रयास कर रहे हैं। कथा के दौरान पंडित मिश्रा ने कहा- विधर्मी लोग युवा पीढ़ी को मंदिर जाने से रोकना चाहते हैं। यदि भाषा, संस्कृति और कपड़ों के आधार पर मंदिर में प्रवेश पर पाबंदी लगी, तो नई पीढ़ी मंदिर दर्शन करने नहीं जाएगी और विधर्मियों की चाल कामयाब हो जाएगी। फिर इन्हें दूसरे धर्म में भेज दिया जाएगा। हमारे व्यक्ति ही हमारे होकर भी विधर्मियों की चाल को नहीं समझ पाते। कथावाचक ने कहा- भगवान कपड़े से कभी प्रसन्न नहीं हुए। मंदिर में भगवान श्रद्धा और भाव देखकर अपने भक्तों से प्रसन्न होते है। कपड़े तो रावण ने भी बदले थे। रावण ने संत का चोला पहन कर उसे बदनाम कर दिया और इतना बदनाम किया कि कुंभ के मेले में सबसे पहले संत के चोले को धोया जाता है, फिर भी वो साफ नहीं हो पाता।

पुष्कर के मेला ग्राउंड में कथा की शुरुआत 5 जुलाई को हुई थी। यह कार्यक्रम 11 जुलाई तक चलेगा। रोज भारी भीड़ जुट रही है। पंडाल छोटा पड़ जा रहा है। गुरुवार को पंडाल को बढ़ाया गया। ग्राउंड के बाहरी क्षेत्रों तक टेंट लगाया गया है। इसके नीचे बैठकर श्रद्धालु ब्रह्म शिव पुराण की कथा सुन रहे हैं। सावन माह के चलते कथा सुनने आए भक्तों के लिए विभिन्न संस्थाओं और भामाशाह के स्तर से सेवा कार्य कराए जा रहे हैं। कथा क्षेत्र में रोजाना 16 पानी के टैंकर लगाए गए हैं। इसके अलावा कथा स्थल पर 10 हजार पानी की बोतलें रोज उपलब्ध कराई जा रही हैं।

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