राज्य प्रदूषण नियंत्रण मंडल में आईएएस नवीन महाजन ने रोका योजना भवन जैसा भ्रष्टाचार
जयपुर। सूचना प्रौद्योगिकी एवं संचार निदेशालय (आईटी) जैसा भ्रष्टाचार खुलने से पहले ही पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड के चेयरमैन आईएएस नवीन महाजन ने कंट्रोल कर लिया। बोर्ड के मेंबर सेक्रेटरी बी. प्रवीन ने पिछले माह 28 अप्रैल को ही एक कार्यालय आदेश जारी करके मैसर्स टीम इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस को बैन किया है। यह फर्म पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड में ही काम करने वाले एक अधिकारी भुवनेश माथुर से संबंधित बताई जा रही है। वे इसे अपनी पत्नी के नाम से चला रहे थे।
सी-स्कीम में चितरंजन मार्ग स्थित इस कंपनी का दूसरा कार्यालय सीतापुरा औद्योगिक क्षेत्र teamtesthouse के नाम से चलता है। इस कंपनी में कविता माथुर पुत्री शांति स्वरूप माथुर और अवनिता माथुर पुत्री भुवनेश माथुर डायरेक्टर हैं। शिकायतकर्ताओं का कहना है कि प्रदूषण नियंत्रण मंडल को भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) में भुवनेश माथुर के खिलाफ पद का दुरुपयोग का मामला दर्ज कराना चाहिए।
पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड की ओर से जारी कार्यालय आदेश में कहा गया है कि मैसर्स टीम इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस की किसी लैब या टेस्टिंग फैसिलिटी रिपोर्ट के आधार पर सीटीओ, सीटीई को दिशा- निर्देश जारी करने अथवा कारण बताओ नोटिस संबंधी कोई फैसला नहीं लिया जाएगा। क्योंकि यह फर्म बोर्ड में कार्यरत एक अधिकारी से संबंधित है।
बोर्ड सूत्रों के मुताबिक सीमेंट कंपनियों, रियल एस्टेट सेक्टर समेत विभिन्न क्षेत्रों में काम करने वाली कंपनियों को पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड से प्लांट लगाने और चलाने के लिए सहमति लेनी होती है। केंद्र औऱ राज्य सरकारों के करोड़ों रुपए के प्रोजेक्ट्स में भी एनवायरमेंटल क्लीयरेंस की जरूरत पड़ती है। इसके अलावा अभ्यारण्य औऱ वन क्षेत्र के आसपास अलॉट की जाने वाली खानों के लिए भी इसी तरह की सहमति जरूरी होती है। पॉल्यूशन बोर्ड इसके लिए आम तौर पर स्वतंत्र लैब से टेस्टिंग रिपोर्ट लेता है। लेकिन, बोर्ड में ही बैठे अधिकारी अपनी पत्नी और बेटी की कंपनी को बड़ी कंपनियों से लैब और टेस्टिंग आदि के काम दिलवाकर करोड़ों रुपए कमा रहे थे। इससे दूसरी लैब और टेस्टिंग फैसिलिटी वाले लोग परेशान थे। उनकी शिकायत पर बोर्ड ने यह कदम उठाया है।