सिटी न्यूज़: शहीद हवलदार नरेश सिंहकी पार्थिव देह उनके घर बगड़ पहुंची। घर पहुंचने पर कोहराम मच गया। शहीद वीरांगना और बेटी का रो-रो कर बुरा हाल है। शहीद नरेश सिंह के घर पर बड़ी संख्या में लोग मौजूद हैं। अंतिम संस्कार की तैयारियां की जा रही हैं। इससे पहले शहीद हवलदार नरेश सिंह की पार्थिव देह शनिवार अलसुबह 4 बजे झुंझुनूं पहुंची। झुंझुनूं के बीड़ीके अस्पताल में उनकी पार्थिव देह को रखा गया। बीडीके अस्पताल से तिरंगा यात्रा के साथ शहीद की पार्थिव देह बगड़ पहुंची। रास्ते में जगह-जगह लोगों ने शहीद को नमन किया और शहादत पर गर्व महसूस किया। शहीद नरेश सिंह की पार्थिव देह दिल्ली से सड़क मार्ग से झुंझुनू पहुंची। इससे पहले जम्मू कश्मीर से हवाई मार्ग से पार्थिव देह दिल्ली पहुंची थी। दिल्ली में सेना के द्वारा गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया। इसके बाद शहीद की पार्थिव देह को परिजनों को सौंप दिया गया। जम्मू-कश्मीर में ड्यूटी के दौरान नरेश सिंह शहीद हो गए थे। हवलदार नरेश सिंह आर्मी की 7 पैरा एसएफ यूनिट में कुपवाड़ा स्थित चौकीबल में पोस्टेड थे। गुरुवार को वे गश्त के दौरान बेहोश हो गए। उन्हें मिलिट्री हॉस्पिटल ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने मृत घोषित कर दिया। नरेश की पत्नी सुदेश और बच्चे मानवी (11) व नमन (7) आगरा से बगड़ पहुंच गए हैं। शहीद नरेश सिंह का ताल्लुक हरियाणा के भिवानी जिले के सांगवान गांव से है। वहां से आकर उन्होंने 10 साल पहले झुंझुनूं के बगड़ में जमीन ली थी और वहीं बाइपास इलाके में मकान बना लिया था। पहले नरेश की पोस्टिंग आगरा थी। इसलिए परिवार उनके साथ आगरा ही रहता था।
शहीद का पार्थिव शरीर 4:15 बजे पहुंचा झुंझुनूं। जम्मू-कश्मीर में ड्यूटी के दौरान नरेश सिंह शहीद हो गए थे। हवलदार नरेश सिंह आर्मी की 7 पैरा एसएफ यूनिट में कुपवाड़ा स्थित चौकीबल में पोस्टेड थे। गुरुवार को वे गश्त के दौरान बेहोश हो गए। उन्हें मिलिट्री हॉस्पिटल ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने मृत घोषित कर दिया। पार्थिव देह पैतृक गांव के लिए झुंझुनूं से हुआ रवाना नरेश सिंह झुंझुनूं शहर के बगड़ इलाके के रहने वाले थे। गुरुवार सुबह 168 MH द्रुमुला पर गश्त के दौरान वे बेहोश हो गए थे। नरेश के बड़े भाई सुरेश सिंह ने बताया कि गुरुवार सुबह 10 बजे फोन आया तो पता चला कि शहीद हो गए हैं। नरेश की पत्नी सुदेश और बच्चे मानवी (11) व नमन (7) आगरा से बगड़ पहुंच गए है। शहीद नरेश सिंह का ताल्लुक हरियाणा के भिवानी जिले के सांगवान गांव से है। वहां से आकर उन्होंने 10 साल पहले झुंझुनूं के बगड़ में जमीन ली थी और वहीं बाइपास इलाके में मकान बना लिया था। पहले नरेश की पोस्टिंग आगरा थी। इसलिए परिवार उनके साथ आगरा ही रहता था।