हार्ट फाउंडेशन के नाम से मुक्त हुई जमीन पर कैसे बना राजस्थान हॉस्पिटल..पढ़ें पूरी कहानी
जयपुर। टोंक रोड और जवाहरलाल नेहरू मार्ग के बीच कैप्सटन मीटर्स इंडिया प्रा. लि. को औद्योगिक प्रयोजन के लिए 23 अप्रैल, 1965 और 19 अक्टूबर, 1965 को 99 साल की लीज पर दी गई जमीन मामले की ज्यों-ज्यों तह में जाएंगे त्यों-त्यों नित नई परतें खुल रही हैं। समाजसेवा के नाम पर अवाप्ति से मुक्त कराई जमीन व्यावसायिक उपयोग के लिए दे दी। आसपास के लोगों का दावा है कि यह जमीन राजस्थान हॉस्पिटल को बेची गई है। क्योंकि पहले इस जमीन की सब लीज, रजिस्ट्री आदि होने के बाद राजस्व रिकॉर्ड में राजस्थान हॉस्पिटल के नाम जमीन दर्ज भी हो गई थी। लेकिन, अब जमीन जमाबंदी में कैपस्टन मीटर्स इंडिया लिमिटेड के नाम दर्ज है।
सूत्रों के मुताबिक नगरीय विकास विभाग द्वारा इस भूमि का कब्जा लिए जाने के पश्चात 1 अप्रैल, 1987 को धारा 48 के तहत इसमें से 5 एकड़ जमीन सशर्त अवाप्ति से मुक्त की थी। मुख्य शर्त संख्या 1 में कहा गया था कि “यह भूमि जिस प्रयोजन के लिए अवाप्ति से मुक्त की जा रही है, उसी प्रयोजन के लिए काम में ली जाएगी।” इस आदेश में राजस्व ग्राम झालाना डूंगर के खसरा नंबर 527 व 528 की 5 एकड़ भूमि अस्पताल (हार्ट अस्पताल फाउंडेशन के लिए) अवाप्ति से मुक्त की गई थी। इसका मतलब यह था कि यहां फाउंडेशन अथवा ट्रस्ट द्वारा हार्ट हॉस्पिटल बनाया जाना था। जिसमें राज्य के निवासियों को नो प्रॉफिट नो लॉस के आधार पर दिल संबंधी बीमारियों का अच्छा इलाज मिलता। जानकारों की मानें तो राजस्थान हॉस्पिटल लिमिटेड को जमीन देने के बाद अवाप्ति से मुक्त करने का उद्देश्य ही विफल हो गया। इसका उपयोग पूरी तरह व्यावसायिक श्रेणी में है। क्योंकि लिमिटेड कंपनी तो लाभ कमाने के लिए काम करेगी।
सूत्रों के मुताबिक इससे पहले कैप्सटन मीटर्स के संचालक महावीर प्रसाद जयपुरिया ने पहले इस भूमि को महावीर जयपुरिया मेडिकल फाउंडेशन के नाम दर्ज कराया था। हालांकि इसका कोई प्रामाणिक दस्तावेज उपलब्ध नहीं हो रहा है कि यह जमीन इस फाउंडेशन के नाम कैसे दर्ज हुई। जबकि इस भूमि के काश्तकारी अधिकार कैप्सटन मीटर्स इंडिया लि. के पास 99 साल की लीज पर थे। खैर, 25 जून, 1992 को महावीर जयपुरिया मेडिकल फाउंडेशन ने यह 5 एकड़ जमीन 75 साल की लीज पर राजस्थान हॉस्पिटल लि. को बेच (सब लीज) दी। खास बात यह है कि कैप्सटन मीटर्स इंडिया प्रा. लि. के पास इस जमीन की लीज के उस समय 72 साल ही बचे थे। क्योंकि कैप्सटन मीटर्स के नाम राज्य सरकार ने लीज वर्ष 1965 में की थी।
इसमें चौंकाने वाला तथ्य यह है कि राजस्व रिकॉर्ड (जमाबंदी) वर्ष 2004 में यह जमीन 99 साल की लीज पर जयपुर कैप्सटन मीटर हिस्सा 898/1100 एवं राजस्थान हॉस्पिटल लि. हिस्सा 202/1100 सब लीज 75 वर्ष दर्ज हुई। परंतु अब जमाबंदी में ग्राम झालाना डूंगर के खसरा नंबर 527 एवं 528 की यह जमीन बतौर काश्तकार कैप्सटन मीटर्स इंडिया लि. जयपुर के नाम औद्योगिक प्रयोजन के लिए 99 साल की लीज पर दर्ज है।
सरकार औऱ जेडीए अफसर चुप्पी के कारण संदेह के घेरे मेंः
खास बात यह है कि जयपुर विकास प्राधिकरण (जेडीए) के प्राधिकार वाले क्षेत्र में स्थित करोड़ों-अरबों रुपए की इस भूमि पर इतने बड़े स्तर पर हुए यूटिलिटी एवं एमीनिटी की जमीनों का बेचान, वाटर बॉडी पर कब्जा करने का पुख्ता रिकॉर्ड जानकारी में होने के बाद भी सरकार औऱ जेडीए के अधिकारी अपनी चुप्पी के कारण संदेह के घेरे में है। इसकी पुख्ता वजह यह है कि जेडीए के ही निदेशक (विधि) की ओऱ से स्पष्ट तौर पर इस संबंध में कानूनी राय देने के साथ ही इस मामले की ईडी, सीबीआई और भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो से विस्तृत जांच कराए जाने की सिफारिश की जा चुकी है। जेडीए के सूत्र बताते हैं कि अब पैनल लॉयर से फिर विधिक राय लेकर निदेशक (विधि) की राय को दफ्तर दाखिल करते हुए मामलेे में लीपापोती करने की तैयारी की जा रही है।
जन सुविधाओं को लेकर भी जेडीए और सरकार गंभीर नहींः
यहां उल्लेखनीय है कि नदी, नाले, तालाब और जोहड़ों समेत जल स्रोतों को लेकर राजस्थान हाईकोर्ट की ओर से अब्दुल रहमान बनाम सरकार और गुलाब कोठारी की याचिकाओं में दिए गए आदेश-निर्देशों के बावजूद जेडीए औऱ सरकार के अफसर सोए हुए हैं। ना तो बरसाती नाले पर सेठ जी का अतिक्रमण हटाया जा रहा है और ना ही ट्रैफिक मैनेजमेंट प्लान के मुताबिक मालवीय नगर आरओबी के नीचे की सड़क सेठ जी द्वारा कब्जा किए जाने के चक्कर में चौड़ी की जा रही है। भले ही लोग आए दिन जाम में ना फंसते रहें।