जैसलमेर में कैचमेंट एरिया सरकारी कॉलोनी में, हटाए जाएंगे मकान

Update: 2023-08-04 12:26 GMT

जैसलमेर: जैसलमेर नगर परिषद के डेडानसर रोड पर बनी जवाहिर कॉलोनी में बने कुछ मकानों को हटाने के लिए तहसीलदार ने आयुक्त नगर परिषद को पत्र भेजा है। पत्र में कहा गया कि कॉलोनी का कुछ क्षेत्र कैचमेंट एरिया में आता है, इसलिए इस क्षेत्र में बने सभी निर्माण हटाए जाएं। इस चिट्ठी से एक बार फिर हड़कंप मच गया है. पत्र को लेकर कमिश्नर लाजपाल सिंह का कहना है कि हम भी जांच कर रहे हैं और देख रहे हैं कि कहां कमी है. जैसलमेर में करीब 10 साल पहले वर्ष 2013 में नगर परिषद ने जवाहर कॉलोनी काटी थी। इसमें 1097 लोगों को प्लॉट आवंटित किए गए। दस साल पहले नगर परिषद द्वारा काटी गई कॉलोनी में कैचमेंट एरिया का ध्यान ही नहीं रखा गया। जिस पर पटवारी की शिकायत के आधार पर जैसलमेर तहसीलदार ने नगर परिषद आयुक्त को पत्र भेजकर जवाहर कॉलोनी में आवंटित भूखण्डों को निरस्त कर निर्माण कार्य हटवा दिया है।

एक शिकायत के आधार पर जैसलमेर तहसीलदार ने खसरा नंबर 36 व 45 की मौका रिपोर्ट पटवारी से कराई। इसमें तथ्यात्मक रिपोर्ट बनाकर नगर परिषद आयुक्त को डेडानसर तालाब के कैचमेंट एरिया में भूखंड आवंटन करने और उन भूखंडों पर मकान बनाने के बारे में बताया गया है। खसरा नंबर 45 से सटे खसरा नंबर 36 में 5-7 मकान और एक अस्पताल बना हुआ है। 10 साल पहले जब नगर परिषद ने कॉलोनी काटी थी तो उस समय कैचमेंट एरिया या अन्य सभी चीजों का ध्यान नहीं रखा गया था। अब 10 साल बीत जाने के बाद लोगों ने लाखों रुपये खर्च कर वहां अपना घर बना लिया है, जिसके बाद कैचमेंट एरिया की बात करते हुए घरों को हटाने की बात हो रही है.

जैसलमेर तहसील कार्यालय में एक शिकायत के आधार पर पटवारी के माध्यम से तथ्यात्मक रिपोर्ट तैयार की गई है। इस रिपोर्ट में जवाहर कॉलोनी के खसरा नंबर 36 व 45 को डेडानसर तालाब का जलग्रहण क्षेत्र बताया गया है। इन दोनों खसरों में भी खसरा नंबर 36 में 104.05 बीघे और खसरा नंबर 45 में 70.09 बीघे जमीन है। तहसीलदार के पत्र में कहा गया है कि इन दोनों खसरों में 7 मकान और एक अस्पताल निर्माणाधीन है। इन दोनों खसरों में भूखंडों को निरस्त करने और बने मकानों व अस्पतालों को हटाने के बारे में आयुक्त को लिखा गया है। नगर परिषद आयुक्त लाजपाल सिंह ने बताया कि तहसीलदार का पत्र मिल गया है और उसके आधार पर हमने जांच भी शुरू कर दी है. हालांकि आवंटन के बाद पहले भी ऐसा ही मामला सामने आया था, तब नगर परिषद ने कुछ प्लॉटों को दूसरी जगह शिफ्ट भी कर दिया था। अब एक बार फिर से तहसीलदार के पत्र पर हम अपनी तरफ से जांच करने के बाद ही किसी निर्णय पर पहुंच पाएंगे।

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