जयपुर। मानव अंग एवं ऊत्तक प्रत्यारोपण के लिए फर्जी एनओसी जारी होने के मामले में चिकित्सा शिक्षा विभाग एक्शन मोड में है। अतिरिक्त मुख्य सचिव श्रीमती शुभ्रा सिंह प्रकरण में निरंतर गहन मॉनिटरिंग कर रही है। उनके निर्देशों के बाद चिकित्सा शिक्षा आयुक्त की अध्यक्षता में गठित उच्च स्तरीय समिति ने जांच प्रक्रिया को तेज कर दिया है। सोमवार को समिति ने इस प्रकरण में सवाई मानसिंह मेडिकल कॉलेज के पूर्व प्रधानाचार्य एवं नियंत्रक डॉ. सुधीर भण्डारी, स्टेट ऑर्गन एण्ड टिश्यु ट्रांसप्लांट ऑर्गनाइजेशन के संयुक्त निदेशक रहे डॉ. अमरजीत मेहता एवं सवाई मानसिंह अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक डॉ. अचल शर्मा को नोटिस जारी कर प्रत्यारोपण से जुड़ी सूचनाएं मांगी हैं एवं वस्तुस्थिति से अवगत कराने को कहा है।
चिकित्सा शिक्षा आयुक्त श्री इकबाल खान की ओर से डॉ. सुधीर भण्डारी को जारी नोटिस में उनके एसएमएस मेडिकल कॉलेज के प्रधानाचार्य पद के कार्यकाल के दौरान आयोजित राज्य स्तरीय प्राधिकार समिति की बैठकों, उनमें लिए गए निर्णयों, जारी किए गए अनापत्ति प्रमाण पत्रों से संबंधी जानकारी अविलंब उपलब्ध कराने को कहा गया है। नोटिस में डॉ. भण्डारी से पूछा गया है कि सोटो के गठन हेतु एनओटीपी गाइडलाइन के अनुसार चैयरमेन का पद स्वीकृत नहीं है, लेकिन उनके द्वारा प्रधानाचार्य पद से हटने के बाद भी सोटो चैयरमेन के रूप में पत्राचार किया गया है। सोटो राजस्थान में उनकी भूमिका, कार्य प्रणाली, सोटो वेबसाइट के संधारण एवं मॉनिटरिंग के संबंध में पूरी जानकारी मांगी गई है।
इसी प्रकार सोटो राजस्थान के सुगम कार्य संचालन, प्लानिंग एवं नेशनल ऑर्गन टिश्यु ट्रांसप्लांट प्रोग्राम गाइडलाइन के अनुसार गतिविधियों के क्रियान्वयन हेतु गठित की गई स्टीयरिंग कमेटी, उनमें नामित होने वाले सदस्यों आदि के बारे में भी उनसे जानकारी मांगी गई है। सोटो के कार्य क्षेत्र एवं गाइडलाइन की पालना के संबंध में वस्तुस्थिति से अवगत कराने को कहा गया है। राज्य में किए जा रहे मानव अंग प्रत्यारोपण के डोनेशन एवं ट्रांसप्लांट (जीवित एवं मृत्तक) की सूचना सोटो के माध्यम से नेशनल रजिस्ट्री पर साझा किया जाना अपेक्षित है। डॉ. भण्डारी से इस संबंध में सोटो के माध्यम से हुए सभी प्रकार के मानव अंग प्रत्यारोपण की सूचना मय दस्तावेज उपलब्ध करवाने को कहा गया है।
डॉ. अमरजीत मेहता को जारी नोटिस में उनसे सोटो की कार्य प्रणाली, सोटो वेबसाइट के संधारण एवं मॉनिटरिंग की जानकारी उपलब्ध कराने को कहा गया है। साथ ही, सोटो के माध्यम से हुए सभी प्रकार के मानव अंग प्रत्यारोपण की सूचना मय दस्तावेज मांगी गई है। इसके अतिरिक्त 7 मई, 2022 से आदिनांक तक स्टीयरिंग कमेटी द्वारा किए गए कार्यों का विवरण भी उनसे मांगा गया है।
इसी प्रकार चिकित्सा अधीक्षक को जारी नोटिस में कहा गया है कि एसएमएस अस्पताल में नजदीकी रिश्तेदारों तथा पति-पत्नी के बीच होने वाले अंग प्रत्यारोपण की अनुमति के लिए चिकित्सा अधीक्षक की अध्यक्षता में कॉम्पीटेंट अथॉरिटी का गठन किया गया था। समिति ने विगत एक वर्ष में इस समिति की बैठक कब-कब आयोजित की। इन बैठकों के बाद मार्च, 2024 तक जारी एनओसी का विवरण भी उपलब्ध करवाने को कहा गया है।
साथ ही, अधीक्षक से पूछा गया है कि मानव अंग एवं ऊतक प्रत्यारोपण अधिनियम के तहत निकट रिश्तेदारों से भिन्न व्यक्तियों के बीच प्रत्यारोपण का राज्य स्तरीय प्राधिकार समिति द्वारा अनुमोदन आवश्यक है। इन प्रत्यारोपण के लिए राज्य प्राधिकार समिति से अनुमति प्राप्त की गई अथवा नहीं। अगर अनुमति नहीं ली गई तो समिति के क्षेत्राधिकार के बाहर प्रत्यारोपण किस आधार पर हुए। चिकित्सा अधीक्षक को इन सभी बिंदुओं का जवाब तीन दिन में प्रस्तुत करना होगा।
उल्लेखनीय है कि फर्जी एनओसी की सूचना प्राप्त होने पर अतिरिक्त मुख्य सचिव श्रीमती शुभ्रा सिंह ने स्व संज्ञान लेते हुए मामले में प्रभावी जांच-पड़ताल के लिए भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो को इसकी जानकारी दी थी और एक उच्च स्तरीय समिति का गठन भी किया था। इसके बाद विगत दिनों मामले में प्रभावी जांच के लिए एफआईआर भी दर्ज करवाई गई है। अतिरिक्त मुख्य सचिव के मार्गदर्शन एवं निर्देर्शन में उच्च स्तरीय समिति लगातार प्रकरण में गहन जांच कर रही है। प्रकरण से जुडे़ सभी पक्षों को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया जा रहा है।