भरतपुर। भरतपुर बयाना कस्बा सहित आसपास के क्षेत्र में पिछले 2 दिनों से मानसून की झमाझम बारिश का दौर बना हुआ है। इससे जहां लोगों को उमस भरी गर्मी से राहत मिली है। वहीं फसलें सूखने से चिंताग्रस्त किसानों के चेहरे पर भी मुस्कान आ गई है, लेकिन बारिश से एक बार फिर कस्बे के बाजारों में जलभराव की समस्या बन गई। हालत यह रही कि कस्बे के छोटा बाजार, गुरुद्वारा रोड, पुरानी सब्जी मंडी इलाके की सड़कें दरिया में तब्दील होती नजर आई। सड़कों के तालाब बनने से आवागमन ठप हो गया। वहीं कई दुकानों में पानी भी भर गया। इससे सामान भीगने से दुकानदारों का नुकसान हो गया। बारिश को बंगाल की खाड़ी में बने डीप डिप्रेशन सिस्टम का असर बताया जा रहा है। पानी भरने से बाजारों में जगह लोगों की बाइकें बंद हो गई। शहर का ड्रेनेज सिस्टम बदहाल होने से यह समस्या बरसों पुरानी है, लेकिन जिम्मेदार इसकी ओर बिल्कुल ध्यान नहीं देते हैं। व्यापारियों और नागरिकों ने कई बार प्रशासन और नगर पालिका से समस्या का समाधान करने की आवाज उठाई, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हो सकी। तहसील कार्यालय स्थित बाढ़ नियंत्रण कक्ष से मिली जानकारी के अनुसार पिछले 24 घंटे में 82 एमएम बारिश रिकॉर्ड की गई है।
व्यापार महासंघ के अध्यक्ष विनोद सिंघल ने बताया कि कस्बे में पानी निकासी के लिए बने नाले जर्जर होकर ठोस कचरे से भर गए हैं। यूं तो नगर पालिका प्रशासन द्वारा हर साल नालों की सफाई कराई जाती है, लेकिन सफाई के नाम पर खानापूर्ति की जाती है। जिसके कारण थोड़ी सी बारिश में ही नाले ओवरफ्लो हो जाते हैं। इससे शहर की सड़कों पर पानी भर जाता है। वहीं नालों से गंदगी भी निकलकर रास्तों पर आ जाती है। सब्जी मंडी का तो हाल ही बेहाल हो जाता है। कई स्थानों पर नालियां नहीं होने से बारिश का पानी नहीं निकल पाता है। उधर, दुकानदारों को भी दुकान से निकलने वाला कचरा नालियों व सड़कों पर नहीं फेंकना चाहिए।
उधर, 2 दिन से बरसात का दौर जारी रहने से पहाड़ी पर बने प्राकृतिक झरने बह उठे हैं। करीब पौन घंटे तक हुई जोरदार बारिश से बयाना के निकट इमलिया कुंड स्थित झरना गअपने पूरे वेग से बहा। इस साल मानसून में पहली बार इमलिया कुंड झरना बहना शुरू हुआ है। गौरतलब है कि बयाना क्षेत्र में इमलिया कुंड, शेरगढ़ गांव, ग्वाल खो धाम और दर्र बराहना आदि क्षेत्रों में बारिशों में प्राकृतिक झरने बहते हैं। जिनकी खूबसूरती को निहारने और झरनों में नहाने का आनंद उठाने के लिए काफी संख्या में लोग पहुंचते हैं।