मारवाड़ जंक्शन पर यात्रियों के बैठने के लिए शेड नहीं होने की वजह से भारी मुश्किल
पाली। जिले का एकमात्र रेलवे जंक्शन मारवाड़ जंक्शन कहलाने वाला रेलवे जंक्शन है, लेकिन सुविधाओं का अभाव हर जगह देखने को मिलेगा। कुछ ऐसा ही नजारा जिले के एकमात्र रेलवे जंक्शन मारवाड़ जंक्शन पर भी देखने को मिल रहा है, जहां रोजाना 180 से ज्यादा ट्रेनों का आना-जाना होता है। यहां हजारों की संख्या में दूसरे राज्यों से यात्री आते हैं, प्लेटफार्म नंबर दो, तीन व चार पर टीन शेड नहीं होने से यात्रियों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है. भीषण गर्मी में जहां पारा 40 के ऊपर पहुंच रहा है वहीं बैठने की जगह नहीं होने से यात्रियों में रोष है. छोटे बच्चे सामान लेकर चले जाएं तो कहां जाएं। यह सब प्रशासन की व्यवस्था की पोल खोलने के लिए काफी है। रेलवे प्रशासन स्टेशन पर समुचित व्यवस्था का दावा करता है, लेकिन देखा जाए तो यह कई बार से प्रशासन की उपेक्षा का शिकार हो रहा है. स्थानीय नागरिकों व सामाजिक संगठनों ने कई बार क्षेत्रीय सांसद व विधायक से गुहार भी लगाई, लेकिन आज तक कोई सुधार नहीं हुआ है।
जिले का इकलौता रेलवे जंक्शन होने के बावजूद यहां सुविधाओं का अभाव है। एक ओर रेल प्रशासन समुचित व्यवस्था का दावा कर ट्रेन उपलब्ध करा रहा है, वहीं दूसरी ओर बैठने के लिए जगह नहीं होने से लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। इतना ही नहीं स्टेशन के प्लेटफार्म नंबर दो, तीन और चार पर पेयजल उपलब्ध नहीं होने से जहां यात्रियों को परेशानी हो रही है, वहीं कैंटीन वालों को भी खासी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। बार-बार प्रशासन को अवगत कराने के बाद भी यहां कोई सुविधा उपलब्ध नहीं कराई जा सकी है। प्लेटफार्म नंबर 4 के साथ ही प्लेटफार्म नंबर दो व तीन पर असुविधा के लिए स्थानीय निवासियों ने बार-बार सांसद व विधायक को अवगत कराया, लेकिन कुछ नहीं हो सका। रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव का गृह जिला और ग्रह क्षेत्र में रेलवे जंक्शन होने के बावजूद राजनीतिक गलियारों में इस तरह की चर्चा आम हो गई है. हाल ही में रेल मंत्री के मारवाड़ जंक्शन दौरे के दौरान ग्रामीणों ने रेल मंत्री को ज्ञापन सौंपा. क्षेत्रवासियों को सिर्फ आश्वासन मिला, लेकिन सौगात नहीं मिल सकी। जिले का इकलौता रेलवे जंक्शन होने के बावजूद यहां यात्रियों को कड़ी धूप और तपती धूप में खड़ा होना पड़ता है।