आसाराम केस में सुनवाई टली, कोरोना पॉजिटिव होने के चलते हाईकोर्ट में पेश नहीं हुए

जोधपुर (jodhpur) जेल में यौन उत्पीड़न के आरोप में आजीवन सजा काट रहे आसाराम मामले (asaram bapu case) में सुनवाई टल गई है।

Update: 2022-03-07 12:15 GMT

जोधपुर (jodhpur) जेल में यौन उत्पीड़न के आरोप में आजीवन सजा काट रहे आसाराम मामले (asaram bapu case) में सुनवाई टल गई है. अब अगली सुनवाई 22 मार्च को होगी. तत्कालीन डीसीपी अजय पाल लांबा (ajaypal lamba) को कोर्ट में पेश करने के आदेश के बाद आज हुई सुनवाई में सरकारी वकील के हाजिरी माफी पेश करने के बाद राजस्थान हाईकोर्ट (rajasthan highcourt) ने सुनवाई के लिए नई तारीख दी है. मिली जानकारी के मुताबिक वरिष्ठ न्यायाधीश संदीप मेहता की खंडपीठ में सोमवार को मामले की सुनवाई होनी थी जिसमें तत्कालीन डीसीपी लांबा को अपना बयान दर्ज करवाने पहुंचना था लेकिन उनके कोरोना पॉजिटिव होने के कारण वह नहीं पहुंच सके. ऐसे में सरकारी अधिवक्ता की तरफ से पेश की गई हाजिरी माफी पर होईकोर्ट ने नई तारीख दी.

बता दें कि हाईकोर्ट में आसाराम के वकीलों की तरफ से पिछली सुनवाई में पेश किए गए प्रार्थना पत्र पर कोर्ट ने तत्कालीन डीसीपी अजय पाल लांबा को बयान दर्ज करवाने के लिए तलब किया था. आसाराम के वकीलों की ओर से एक प्रार्थना पत्र पेश किया जो लांबा कि किताब से संबंधित है.नाबालिग रेप मामले में आसाराम को जोधपुर की विशेष अदालत ने सजा सुनाई है जिसमें उस पर जोधपुर के आश्रम में 15 अगस्त 2013 की रात नाबालिग से बलात्कार का आरोप है. आसाराम को इंदौर से गिरफ्तार कर एक सितंबर 2013 को जोधपुर लाया गया तब से वह जेल में है.
लांबा आज नहीं पहुंचे हाईकोर्ट
मालूम हो कि लांबा ने आसाराम की गिरफ्तारी पर एक किताब लिखी है जिसको आधार बनाकर आसाराम के वकील ने तत्कालीन डीसीपी लांबा जो कि इस केस में जांच अधिकारी थे उनकी साक्ष्य करवाना चाहते हैं, इसी को लेकर हाईकोर्ट में एक प्रार्थना पत्र पेश किया गया था. तत्कालीन डीसीपी लांबा ने ही आसाराम को गिरफ्तार किया था और अपराध स्थल की जांच करते हुए उन्होंने वीडियोग्राफी भी करवाई थी जिसको लेकर अब आसाराम के वकील दोबारा साक्ष्य करवाना चाहते हैं.
केस फिर कैसे हुआ जिंदा
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक अजयपाल लांबा ने अपनी किताब के पेज नंबर-7 पर लिखा है कि आसाराम को गिरफ्तार करने के दौरान वह टीम के साथ वो जोधपुर के मणाई आश्रम गए थे और उन्होंने जांच के लिए अपने मोबाइल से एक वीडियो बनाया. अब आसाराम के वकीलों का कहना है कि लांबा ने यह बात कोर्ट से छिपाई जिसके पीछे तर्क दिया जा रहा है कि लांबा ने पहले ही आश्रम का वाडियो बनाकर पीड़िता को दिखाया और फिर रेप का झूठा केस बनाया गया.


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