शिक्षा को बेहतर बनाने के लिए स्वास्थ्य और पोषण भी जरूरी, तभी आएगी जागरूकता
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करौली। करौली आयुष्मान भारत योजना के तहत जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान (डाइट) के प्रांगण में चल रहे स्वास्थ्य एवं कल्याण दूत पुनश्चर्या प्रशिक्षण शिविर में आरएससीईआरटी के प्रशिक्षकों ने शिक्षकों को हिंसा एवं रोकथाम की जानकारी दी। प्रशिक्षण समन्वयक महेश बाबू गुप्ता ने बताया कि प्रशिक्षु शिक्षकों को कहा जा रहा है कि शिविर में सीखी गई विधियों को छात्र-छात्राओं के जीवन में ढालकर उन्हें शिक्षा व स्वास्थ्य के प्रति जागरूक करें। वाइस प्रिंसिपल गिरीश बाबू गुप्ता, डिप्टी को-ऑर्डिनेटर मनीष महेरा ने बताया कि विद्यार्थी को बेहतर जीवन जीने का अधिकार है, इसके लिए पढ़ाई के साथ-साथ अपने स्वास्थ्य पर ध्यान देना बेहद जरूरी है।
उन्होंने छात्रों को नैतिक मूल्यों जैसे मानसिक स्वास्थ्य, पोषण, स्वच्छता, स्वस्थ जीवन शैली को बढ़ावा देने, मादक द्रव्यों के सेवन की रोकथाम और इंटरनेट और सोशल मीडिया के सुरक्षित उपयोग को बढ़ावा देने के बारे में जागरूक करने पर जोर दिया। स्वच्छ भारत-स्वस्थ भारत योजना की शुरुआत प्रधानमंत्री ने 2018 में चिकित्सा एवं शिक्षा विभाग की देखरेख में की थी। यह कार्यक्रम राजस्थान में पायलट प्रोजेक्ट के रूप में चल रहा है। पहले चरण में इसे 7 जिलों में शुरू किया गया था और इसमें 6 मॉड्यूल संचालित किए गए थे. वर्तमान में करौली सहित 9 जिलों में इसका संचालन किया जा रहा है। इसमें अब 11 मॉड्यूल शामिल हैं। उन्होंने प्रशिक्षु शिक्षकों से कहा कि यदि विद्यार्थियों को अपने स्वास्थ्य को सुधारने की आदत सिखाई जाए तो वे स्वस्थ रहेंगे, तभी हमारा समाज, प्रदेश और देश प्रगति के पथ पर अग्रसर होगा। डाइट प्राचार्य पुष्पेंद्र कुमार शर्मा ने बताया कि शिक्षा के साथ स्वास्थ्य पर नियमित चर्चा की जाए। ताकि विद्यार्थियों को स्वस्थ रखा जा सके।