तत्कालीन कमिश्नर यज्ञमित्र सिंह देव से मापपीट के आरोप में मेयर सौम्या गुर्जर सहित तीन पार्षद दोषी पाए गए हैं। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद सौम्या गुर्जर फिर से कुर्सी पर बैठी थी। अब सरकार उन्हें तुरंत पद से हटा सकती है।
जयपुर नगर निगम ग्रेटर की मेयर सौम्या गुर्जर की कुर्सी खतरे में है। सौम्या गुर्जर की तत्कालीन नगर निगम कमिश्नर यज्ञमित्र सिंह देव के साथ विवाद हुआ था। इस मामले में न्यायिक जांच रिपोर्ट में सौम्या गुर्जर को दोषी माना गया है। इसके साथ ही तीन पार्षद भी दोषी करार दिए गए हैं।
मीडिया रिपोर्टस के अनुसार संयुक्त सचिव विधिक मुदिता भार्गव ने जांच रिपोर्ट स्वायत्त शासन विभाग (डीएलबी) सचिव जोगाराम को बुधवार को सौंपी। इसमें मेयर सौम्या के साथ पारस जैन, अजय सिंह और शंकर शर्मा पर भी आरोप सिद्ध हुए हैं। ऐसे में मेयर सौम्या गुर्जर को कुर्सी से हटाया जा सकता है। तत्कालीन नगर निगम कमिश्नर यज्ञ मित्र सिंह देव के साथ हुए विवाद के बाद सरकार ने सौम्या गुर्जर को 6 जून 2021 को मेयर पद से निलंबित कर दिया था। साथ ही उनके खिलाफ न्यायिक जांच के आदेश दिए थे। इसके बाद सरकार ने शील धाभाई को जयपुर नगर निगम का कार्यवाहक मेयर बना दिया था।
बता दें कि सौम्या गुर्जर मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट पहुंच गई थी। सुप्रीम कोर्ट के फैसले से गहलोत सरकार को झटका लगा था। कोर्ट ने सौम्या गुर्जर को मेयर पद से निलंबित करने के आदेश पर एक फरवरी को स्टे दिया था। जिसके बाद सौम्या गुर्जर वापस मेयर की कुर्सी पर बैठी थीं। सरकार के निलंबन के आदेश पर स्टे के लिए सौम्या गुर्जर ने पिछले साल राजस्थान हाईकोर्ट में भी याचिका लगाई थी, लेकिन वहां से उन्हें कोई राहत नहीं मिली थी।
इस मामले में विधि विशेषज्ञों का कहना है कि राजस्थान नगर पालिका अधिनियम के सेक्शन 39 (4) में प्रावधान है कि अगर कोई जनप्रतिनिधि न्यायिक जांच में दोषी मिलता है तो उसे तुरंत पद से हटाया जाएगा। इसके लिए सरकार गजट नोटिफिकेशन जारी कर सकती है।
यज्ञमित्र सिंह देव से हुआ था विवाद
मेयर सौम्या गुर्जर और पार्षदों ने तत्कालीन कमिश्नर यज्ञमित्र सिंह देव पर बीवीजी कंपनी के साथ सांठगांठ के आरोप लगाए थे। जिसके बाद कमिश्ननर से उनका विवाद हुआ। इस पर कमिश्ननर ने ज्योति नगर थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई थी। गृह विभाग को पत्र लिखकर सुरक्षा की भी गुहार लगाई थी। सौम्या के खिलाफ मारपीट का आरोप लगाया था।