सावन में देवदर्शन को निकले गुलाबचंद कटारिया, कही ये बात
सावन के महीने में नेताओं का ईश्वर प्रेम हर ओर उमड़ता दिख रहा है. नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया की देवदर्शन यात्रा के चर्चे हैं.
सावन के महीने में नेताओं का ईश्वर प्रेम हर ओर उमड़ता दिख रहा है. नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया की देवदर्शन यात्रा के चर्चे हैं. कटारिया सावन के महीने को पाप मुक्ति का सबसे बड़ा उपाय मानते हैं. तो उनके विरोधी कांग्रेस नेता कह रहे हैं कि ऐसा करने से पाप नहीं धुलने वाले. कर्मों का फल तो भोगना ही पड़ेगा. नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया की देवदर्शन यात्रा जारी है.
कश्मीर से लेकर राजस्थान तक कटारिया शक्तिपीठों से लेकर हनुमान जी और भगवान शिव के मंदिरों में जा रहे हैं. अपने इष्ट देवों की पूजा अर्चना कर खुद के गुनाहों के लिए प्रायश्चित कर रहे हैं. कटारिया कह रहे हैं, मैं मेरी तरक्की के लिए कुछ नहीं मांग रहा, मैं कोई स्वार्थ से पूजा अर्चना नहीं कर रहा, मैं तो आत्मा की शुद्धि के लिए परमात्मा के दर पर जा रहा हूं.
सावन से जागी श्रद्धा
जब से सावन लगा है कटारिया की देवालयों में श्रद्धा हर ओर दिखाई पड़ रही है. कटारिया वैष्णों देवी के दर्शन कर आये हैं. हिमाचल की तमाम शक्तिपीठों और देवी देवताओं के आगे नतमस्तक हो आये हैं. राजस्थान के सालासर बालाजी की पूजा भी कर चुके हैं. साथ ही खाटूश्याम और मेंहदीपुर बालाजी के आगे भी कटारिया शीश नवा आये हैं.
खुद को कर्मयोगी और ईश्वर के प्रति आस्थावान करार देने वाले नेता प्रतिपक्ष दावा कर रहे हैं कि ईश्वर के आगे अपने कर्मों का हिसाब किताब करने का यह सबसे बेहतरीन मौका है. भविष्य में कोई गलती न हो, इसके लिए परमात्मा के आगे संकल्प लेने से सिद्धि जरूर मिलती है और वो भी यही सोचकर भगवान के दर पर ढोक लगा रहे हैं.
वीडी कल्ला ने कसा तंज
कांग्रेस में धार्मिक मामलों के विशेषज्ञ डॉक्टर बीडी कल्ला ने कटारिया के देवदर्शन को लेकर कहा कि मैं इसके ज्यादा गंभीरता से नहीं लेता. कल्ला के मुताबिक इंसान तब तक ही इंसान है जब तक वह धर्म, अर्थ काम और मोक्ष का लक्ष्य लेकर जीवन पथ पर आगे बढ़े. इसके बाद कल्ला ने तंज कसते हुए कहा कि कटारिया की उम्र पिचहत्तर पार हो चुकी है. उम्र रिटायरमेंट का संकेत दे चुकी है.
पार्टी का इस बाबत इशारा भी है. मगर शिखर छूने की चाह अभी भी बरकरार है. शायद यही चाहत कटारिया को इस उम्र में भी जवां बनाये हुए है. वे अपने इष्ट देवताओं को मनाकर अगले चुनाव में फिर से उस ओहदे पर पहुंचने की जरूर इच्छा पाल रहे होंगे, जिसके लिए उन्होंने जीवन के चालीस साल सियासत में खफा दिए.