भारत सरकार कर रही है मिड डे मील पोर्टल की मॉनिटरिंग

आयुक्तालय ने जारी किया नोटिस, मांगा जवाब

Update: 2024-04-03 07:30 GMT

कोटा: प्रारंभिक शिक्षा में कक्षा 3 से 8 तक के विद्यार्थियों के लिए दोपहर के खाने के लिए चलने वाली मिड डे मील योजना में कोटा के 1.25 लाख से ज्यादा बच्चे लाभांवित होते हैं। जिसकी प्रत्येक दिन लाभांवित और मील में परोसे जाने वाले खाने की जानकारी विद्यालयों को पीएम पोषण पोर्टल पर अपलोड करनी होती है। लेकिन कोटा सहित राजस्थान के लगभग सभी जिलों में 70 फीसदी से ज्यादा विद्यालय इसकी जानकारी अपलोड नहीं कर रहे हैं। इस पर केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय द्वारा आपत्ति जताते हुए राज्य सरकार से जवाब मांग है। जिस पर मीड डे मील आयुक्तालय द्वारा इस संबंध में जानकारी अपलोड नहीं करने पर सभी जिला शिक्षा अधिकारियों से 26 मार्च को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है, साथ ही संतोषजनक जवाब नहीं मिलने पर अनुशासनात्मक कारवाई की चेतावनी दी गई है। इससे पहले 14 मार्च को भी आयुक्तालय की ओर से विद्यालयों को नोटिस जारी किया गया था।

क्या क्या करना होता है अपलोड

हर स्कूल में मिड डे मील प्रभारी या संस्था प्रधान को हर दिन उपयोग में आए गेहूं व चावल की मात्रा भरने के साथ स्कूल में बचे खाद्यान्न की जानकारी अपलोड करनी होती है। इस पोर्टल से पता लगाया जा सकता है कि प्रदेश के किसी स्कूल में कक्षा पहली से आठवीं तक के कितने विद्यार्थियों ने पोषाहार खाया। जिसमें स्कूल में विद्यार्थियों की संख्या कम होने पर संस्था प्रधान से सवाल किया जा सकेगा। मिड डे मील में कक्षा पहली से 5वीं तक के विद्यार्थियों को रोजाना 100 ग्राम गेहूं या चावल तथा कक्षा 6 से 8वीं तक के विद्यार्थियों को 150 ग्राम गेहूं या चावल परोसा जाता है। इस मात्रा के आधार पर रोजाना स्कूल आने वाले विद्यार्थियों की उपस्थिति के अनुसार ही नापकर पोषाहार पकाया जाता है। जैसे किसी स्कूल में कक्षा एक से पांचवीं तक के 10 विद्यार्थी आए तो पोषाहार में 1000 ग्राम गेहूं या चावल का उपयोग होगा। इसी तरह कक्षा 6 से 8वीं तक 10 विद्यार्थी आने पर 1500 ग्राम खाद्यान्न का उपयोग होगा। इस तरह एक दिन में 2500 ग्राम खाद्यान्न उपयोग होने की जानकारी पोर्टल में भरनी होती है।

भारत सरकार कर रही है पोर्टल की मॉनिटरिंग

पीएम पोषण योजना के तहत संचालित आॅटोमेटेड मॉनिटरिंग सिस्टम (एमडीएमएचपी पोर्टल) पर सरकारी विद्यालयों को रोज भोजन परोसे जाने के बाद पोर्टल पर लाभार्थियों की संख्या और खाद्यान्न की जानकारी अपलोड करनी होती है। जिसकी मॉनिटरिंग भारत सरकार कर रही है। एमडीएमएचपी पोर्टल पर राजस्थान राज्य का दैनिक रिपोर्ट का स्टेट्स केवल 21.09 फीसदी रहने पर भारत सरकार ने इसे गंभीरता से लेते हुए राज्य सरकार से जवाब मांगा है। मिड डे मील योजना के आयुक्त की ओर से पोर्टल की रिपोर्ट का अवलोकन करने पर पाया है कि अपेक्षित परिणाम नहीं मिल रहे हैं। साथ ही आयुक्त ने जिला शिक्षा अधिकारियों को दिए नोटिस में दैनिक सूचना नहीं भिजवाने स्कूलों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई करने को कहा है।

कोटा के मात्र 170 विद्यालय ही कर रहे जानकारी अपलोड

एमडीएमएचपी यानी पीएम पोषण पोर्टल पर अपलोड की जाने वाली जानकारी में कोटा के स्कूल लगातार फिसड्डी साबित हो रहे हैं। क्योंकि कोटा जिले के 1 हजार 173 विद्यालयों में से हर दिन 120 से 170 विद्यालय ही जानकारी अपलोड कर रहे हैं। सोमवार को भी 1 हजार 173 विद्यालयों में से केवल 90 विद्यालयों ने ही मिड डे मील की जानकारी अपलोड की है, तथा लगभग 1 हजार विद्यालय समय पर कोई भी जानकारी अपलोड नहीं कर रहे हैं। वहीं केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय को इन विद्यालयों में मिड डे मील के तहत दिए जाने वाले खाने के बारे में उचित जानकारी नहीं पहुंच पा रही है। साथ ही कितने बच्चों को इस योजना के तहत खाना पहुंचाया गया इसकी भी जानकारी मंत्रालय को नहीं मिल पा रही है। बात करें राजस्थान की तो प्रदेश के 67 हजार 040 विद्यालयों में से मात्र 14 हजार 193 विद्यालय ही मिड डे मील की जानाकरी अपलोड कर रहे हैं। राजस्थान में जानकारी अपलोड करने वाले विद्यालयों की संख्या बिल्कुल कम होने पर केंद्रीय मंत्रालय ने इसे गंभीरता से लिया है।

इनका कहना है

जिले में 8वीं, 10वीं व 12वीं की बोर्ड परीक्षा और चुनावी कार्य के चलते डेटा अपलोड करने में परेशानी आ रही है। फिर भी सभी विद्यालयों को नोटिस देकर जानकारी अपलोड नहीं करने का कारण पूछा गया है। जिस पर जवाब आते ही आयुक्तालय को भेज दिया जाएगा। जो विद्यालय समय पर जानकारी अपलोड नहीं कर रहे हैं उनके विरूद्ध अनुशासनात्मक कारवाई की जाएगी।

- चारूमित्रा सोनी, मुख्य जिला शिक्षा अधिकारी, कोटा

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