अलवर के कृषि विश्वविद्यालय में अशैक्षणिक कर्मचारियों की भर्ती के विरोध में मोर्चा

Update: 2023-07-07 04:56 GMT

अलवर:  अलवर श्री कर्ण नरेन्द्र कृषि विश्वविद्यालय में विभिन्न पदों पर निकाली गई अशैक्षणिक कर्मचारियों की भर्ती में कृषि विश्वविद्यालय में अस्थाई रूप से कार्यरत कर्मचारियों ने उनके अधिकारों की अनदेखी करने का विरोध जताया है। भर्ती में चहेतों को लाभ पहुंचाने के लिए बनाए गए फार्मूले का विरोध करते हुए क्षेत्रीय विधायक एवं कृषि मंत्री लालचंद कटारिया से उनके हक और अधिकारों को ध्यान में रखते हुए भर्ती प्रक्रिया में पुनः बदलाव कर भर्ती प्रक्रिया को शुरू करने की गुहार लगाई हैं। कृषि विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा निकाली गई अशैक्षणिक कर्मचारियों की भर्ती को दोबारा से रिवाइज कर इस भर्ती में उन्हें राहत दिए जाने की मांग की है। इस भर्ती प्रक्रिया में चयन के लिए रखे अकादमिक फार्मूला एवं जोब टेस्ट (साक्षात्कार) पर सवाल खड़े करते हुए इस फार्मूले को हटाने की मांग की है।

कृषि विश्वविद्यालय में प्लेसमेंट एजेन्सी/ठेके के मार्फत कार्यरत अस्थाई कर्मचारियों ने बताया कि विश्वविद्यालय प्रशासन ने उनके हक व अधिकारों को दरकिनार कर उनके भविष्य के साथ खिलवाड़ करते हुए भर्ती के लिए विज्ञप्ति जारी की है। अस्थाई कर्मचारी संघर्ष समिति के सुमित कुमार तंवर ने विश्वविद्यालय प्रशासन पर मनमानी कर भर्ती निकाले जाने का आरोप लगाया। उन्होंने बताया की चहेतों को लाभ पहुंचाने के लिए मनमर्जी से इस भर्ती में अकादमिक फार्मूला एवं जोब टेस्ट (साक्षात्कार) रखा गया है, जो इस भर्ती प्रक्रिया को संदिग्ध बनाता हैं।

अस्थाई कर्मचारियों ने ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज विभाग, राजस्थान सरकार, जयपुर की कनिष्ठ लिपिक भर्ती-2013 का हवाला दिया देते हुए इस भर्ती प्रक्रिया को अपनाने की मांग की।बोम के सदस्यों से भी उनके हक की मांग करने की लगाई गुहार। कृषि विश्वविद्यालय के प्रबन्ध मण्डल बैठक (बोम) के सदस्यों से मिलकर भी अस्थाई कर्मचारियों ने उनके अधिकारों के पक्ष में प्रस्ताव लेने की गुहार लगाई है।

स्थाई करने का मिला था आश्वासन भर्ती प्रक्रिया में किया नजरअंदाज संघर्ष समिति के श्रवण प्रजापत, गोपाल कुमावत, दीपक जैन, अभिषेक सेठी, गुरूपाल, दिव्या कंवर, शुभम, आशीष मांदोरिया, बनवारी, राजकुमार, रमेश, राकेश सहित अन्य अस्थाई कार्मिको ने बताया कि कृषि महाविद्यालय से विश्वविद्यालय में क्रमोन्नति होने के चलते कार्य की अधिकता बहुत ज्यादा थी। विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति, अधिकारियों एवं वर्तमान अधिकारियों-कर्मचारियों ने निरन्तर मौखिक आश्वासन देकर मात्र् 5000-7000 रूपयें प्रतिमाह के पारिश्र्रमिक पर दिन-रात कार्य करवाया। और अब भी निरन्तर कार्य कर रहें है। यहां पर कार्यरत सभी अस्थाई कार्मिकों की आर्थिक एवं पारिवारिक स्थिति बहुत खराब होने के बावजूद प्रशासन उनके भविष्य के साथ खिलवाड़ करने में लगे हुए हैं। अस्थाई कर्मचारी संघर्ष समिति ने जब से इस सम्बन्ध में अपने हक, अधिकारों के लिए लड़ाई शुरू की है तब से विश्वविद्यालय प्रशासन कार्मिकों की छवि खराब कर, झुठे आरोप लगाकर एवं अन्य कई वैकल्पिक मार्ग से बाहर निकालने की धमकी दे रहे हैं। अस्थाई कर्मचारी संघर्ष समिति ने उनके हितार्थ इस भर्ती में उन्हें जगह नहीं दिए जाने पर निरंतर लड़ाई जारी रखने का ऐलान किया है।

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