प्रतापगढ़। जिले में हाल ही में हुई अतिवृष्टि के कारण खरीफ की पकी और खेतों में कटी फसलों में खासा नुकसान हो गया है। जिससे किसानों को भारी नुकसान हो गया है। ऐसे में किसानों को अब सरकारी सहायता और फसली बीमा से आस है। हालांकि फसली बीमा में में कई पेचिदगियां होने से किसानों ने राहत दिलाने की मांग की है। गौरतलब है कि जिले में पहले अनावृष्टि से फसलें खराब हो गई थी। वहीं किसानों की बची आस को भी गत दिनों हुई अनावृष्टि में खत्म कर दिया। जिले में अगेती किस्म की सोयाबीन की फसलें पक चुकी थी। ऐसे में बारिश में फसलों में खराबा हो गया। वहीं कई खेतों में तो हालत यह हो गई कि फलियों में ही अंकुरण हो गया। ऐसे में किसानों को नुकसान हो गया। स्थिति को देखते हुए किसानों ने सरकार से मुआवजे और फसली बीमा से राहत दिलाने की मांग की है। करजू. गत दिनों हुई अतिवृष्टि से सोयाबीन सूखी फसल में फलियों में अंकुरित हो गई है।
करजू, रावतपुरा, साटोला, उदपुरा में भी भारी बारिश के कारण खेतों में पानी भर गया है। इससे सोयाबीन की दोनों तरह की फसलों को नुकसान हुआ है। करजू के किसान शुभम, किशन जणवा, रावतपुरा निवासी दिलीप धाकड़ आदि किसानों का कहना है कि लगातार बारिश होने के कारण खेतों में जल जमाव हो गया। इस बार जुलाई में तर कर देने वाली बारिश से किसानों के चेहरे खिल गए थे और फसलें लहराने लगी थी। इसके बाद अगस्त में बारिश सिर्फ 2 इंच बारिश हुई। इससे अधिकांश सोयाबीन की फसलें पीली पड़ गई थी और दाने कमजोर हो गए थे। जो बची थी वह भी ट्यूबवेल या अन्य जल स्रोतों के कारण जीवित थी। इस बीच सितम्बर के पहले हफ्ते के आखिरी में बारिश शुरू हुई तो किसानों की चिंता दूर हुई कि जो फसलें बची हैं उनको जीवन मिला। ये सोयाबीन की फसलें 80 से 100 दिनों वाली थी। इस बारिश से दाने फूलने लगे व अंकुरित हो गए हैं। अब शुक्रवार से लगातार हो रही बारिश से खेतों में लबालब पानी भर गया है। इनमें भी वे फसलें जो जलाशय के पास हैं उनको तो ज्यादा नुकसान हुआ है। रावतपुरा निवासी जगदीश धाकड़ ने बताया कि सितम्बर में भारी बारिश से फसलें खराब होने की स्थिति में है। इसके पहले अगस्त में हुई कम बारिश के चलते किसानों को पहली वैराइटी की सोयाबीन का नुकसान भुगतना पड़ा था।