शहद प्रसंस्करण इकाई से बढ़ी किसानों की आय, ब्रांडिंग कर बाजार में बेच रहे

मधुमक्खी पालन में किसानों का रुझान बढ़ता जा रहा है

Update: 2023-06-01 08:55 GMT
कोटा। कोटा मधुमक्खी पालन में किसानों का रुझान बढ़ता जा रहा है। ऐसा इसलिए कि जिले के किसान कृषि अनुसंधान केंद्र में लगी प्रोसेसिंग यूनिट में शहद की प्रोसेसिंग के बाद अपने ब्रांड से बाजार में बेचकर अच्छी कमाई कर रहे हैं। केंद्र से मिले आंकड़ों के मुताबिक हर साल जिले के करीब 600 से 700 किसान शहद प्रोसेसिंग के लिए कृषि अनुसंधान केंद्र पहुंच रहे है। केंद्र से हर साल 60 से 70 क्विंटल शहद प्रोसेसिंग के बाद किसान बाजार में अच्छे दाम पर बेच रहा है।
जिले में सांगोद व इटावा क्षेत्र में किसान मधुमक्खी पालन से जुड़े है। बिना प्रोसेसिंग के शहद बाजार में 70 से 100 रूपए किलो बिकता है। जबकि प्रोसेसिंग के बाद 150 से 250 रूपए किलो तक रेट मिल जाती है। कृषि अनुसंधान विज्ञान केंद्र में शहद प्रोसेसिंग का 8 रूपए किलो का चार्ज लिया जाता है। इसके अलावा पैकिंग की सुविधा भी दी जाती है। प्रोसेसिंग व पैकिंग के बाद किसान अपना ब्रांड बनाकर शहद को बाजार में बेच कर अच्छा मुनाफा कमा रहे है। कृषि अनुसंधान केंद्र कोटा के निदेशक डॉक्टर प्रताप सिंह ने बताया कि सरकार का उद्देश्य है कि किसान परंपरागत खेती के साथ-साथ मधुमक्खी पालन से भी जुड़े। इससे किसान को अतिरिक्त इनकम भी हो सकती है। केंद्र में मधुमक्खी पालन से जुड़े किसान आकर प्रोसेसिंग यूनिट में आकर शहद की प्रोसेसिंग करवा रहे है। प्रोसेसिंग यूनिट में शहद की नमी को कम किया जाता है।
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