श्रीगंगानगर न्यूज़: केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुनराम मेघवाल ने घग्घर बहाव क्षेत्र के बंधों का निरीक्षण किया। इस इस दौरान जिला परिषद के पूर्व सदस्य नरेंद्र घिंटाला ने नाली बेड में पानी के बढ़ते जलस्तर की वजह से धान की खेती को खतरे की आशंका जताई। उन्होंने कहा नाली बैड में आवक कम करने के लिए डिप्रेशन में पानी छोड़ना चाहिए ताकि धान की फसल को बचाया जा सके। इस दौरान उजागर सिंह सहित किसान व ग्रामीण मौजूद थे।
रामसिंहपुर| छोटे-छोटे अवरोधों को पार करता हुआ घग्घर का पानी रविवार शाम को आखिरकार अनूपगढ़ सीमा में पहुंच गया। इस बीच 63 जीबी के नजदीक घग्घर के बहाव क्षेत्र में बनी 1 डिग्गी चर्चा का विषय बनी रही। किसानों ने कलेक्टर, एसडीएम व सिंचाई विभाग अधिकारियों को घग्घर के बहाव क्षेत्र में बनी डिग्गी की जानकारी देते हुए इससे गांव व खेतों के पास बने बंधे टूटने की आशंका जताई। ग्रामीणों ने यह डिग्गी तोड़ने की मांग की। हालांकि अब डिग्गी में पानी भर गया। इसे तोड़ना संभव नहीं है। किसानों ने कहा कि जहां पानी 2 बीघा क्षेत्र से निकलना चाहिए था, वहीं पानी अब मात्र 40 फीट जगह से निकल रहा है। चक 55, 56 व 69 जीबी के किसानों ने बंधे मजबूत करने की मांग की।
मानकसर| घग्घर में पानी की आवक अभी भी अधिक बनी हुई है। गांव अमरपुरा जाटान व भैरूपुरा सीलवानी के किसान खेत जाने के लिए नाव का सहारा ले रहे हैं। यूं तो घग्घर में पानी की आवक होने पर खेत जाने के लिए नाव ही सहारा बनती हैं। लेकिन इस बार पानी की आवक बहुत अधिक और लगातार है। किसानों ने बताया कि नाव न हों तो उन्हें खेत जाने के लिए 50 किमी का रास्ता तय करना पड़े। जबकि नाली बैड से जाने पर यह दूरी करीब 200 से 300 मीटर ही है। किसान सुभाष भूकर (पूर्व प्रधान सूरतगढ़ पंचायत समिति), शिवभगवान, लक्ष्मण गोदारा व भोजाराम ने बताया कि गांव में चार नावें हैं।