अफसरों की अक्षमता के कारण जीआरपी चौकी 14 साल से निकम्मेपन का झेल रही दंश

Update: 2023-09-03 12:13 GMT
धौलपुर। धौलपुर रेलवे यात्रियों की मदद और सुरक्षा प्रदान करनी वाली जीआरपी पुलिस धौलपुर में खुद ही असुरक्षित बनी हुई है। स्थानीय रेलवे स्टेशन स्थित राजकीय रेलवे पुलिस (जीआरपी) चौकी भवन का है। जो जर्जर होने के साथ कण्डम घोषित हो चुका है। भवन को नाकारा घोषित हुए करीब 14 साल हो चुके हैं लेकिन इसके बाद भी जीआरपी कर्मी यहां चौकी पर कामकाज करते हैं। जबकि यह भवन पूर्ण तय असुरक्षित घोषित की जा चुकी है। रेलवे की ओर से भवन के बाहर दीवार पर स्पष्ट तौर नाकारा घोषित होने की सूचना पर भी लिख दी गई है। चौकी भवन के संबंध में जीआरपी व रेलवे अधिकारियों को ज्ञात होने के बाद भी नया भवन अभी तक नहीं मिल पाया है। जबकि रेलवे की आरपीएफ को पहले ही नया भवन मिल चुका है। पहले इनका भी भवन खस्ताहाल में था। गौरतलब रहे कि जीआरपी चौकी के भवन को रेवले कई साल पहले निरीक्षण के दौरान कण्डल घोषित कर चुकी है। भवन को साल 2009 में नाकारा घोषित किया जा चुका है। इसकी जानकारी से आगरा डीआरएम को भी अवगत कराया जा चुका है। लेकिन इसके बाद भी चौकी उक्त भवन में संचालित है। नई चौकी के हिसाब से कम से कम तीन कक्ष होने चाहिए।
इसके अलावा एक मालखाना, एक हवालात, एक बैरक कक्ष सहित दस पुलिसकर्मियों के रहने के आवास के लिए क्वार्टर भी होने चाहिए। क्वार्टर चौकी के पास होने चाहिए जिससे आपात स्थिति में कर्मी ड्यूटी पर पहुंच सके। उधर, रेलवे ने चौकी भवन को कंडम करने की घोषणा कर दी। लेकिन 14 साल से नया भवन निर्माण नहीं हो पाया है। चौकी में वर्तमान में सात पद स्वीकृत है। इनमें एक प्रभारी व छह सिपाही तैनात हैं। धौलपुर जीआरपी चौकी के जर्जर होने की जानकारी मिली है। अभी एक सप्ताह पहले ही कार्यभार संभाला है। जल्द ही चौकी पर निरीक्षण किया जाएगा। उसके बाद उच्चाधिकारियों को स्थिति से अवगत कराया जाएगा। बारिश में कमरों में पानी टपकने लगता है। ज्यादा देर बारिश हो जाए तो कमरे में पानी भर जाता है। इसके साथ ही दीवार में भी दरारें हो चुकी है। लेकिन अब सुरक्षा करने वाले को ही सुविधा नहीं मिल रही है। अधिकारियों को पहले ही अवगत कराया जा चुका है। जीआरपी चौकी की हालत देखकर आपको भी शर्म आ जाएगी। आगरा मण्डल के डीआरएम समेत जीआरपी के अधिकारियों को जानकारी होने के बाद भी अभी चौकी के लिए अलग से दूसरे भवन की व्यवस्था नहीं हो पाई है। यहां विभागीय कामकाज के लिए दो कमरे हैं। इसके साथ ही एक हवालात भी बनी हुई है। लेकिन यहां पर पकड़े गए मुल्जिम भी जर्जर छत में बंद होने से कतराते हैं। बारिश व गर्मी से भवन की दीवारें चटक चुकी हैं और बरसात के दिनों में पानी टपकता है। पानी कक्षों में भर जाता है जिससे रिकॉर्ड सुरक्षित रखने में परेशानी आती है।
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