पति की मौत के साथ ही बिखर गए डॉली के 'सपने'...देवर ने घर से निकाला, दिव्यांग बेटे को गोद में उठाए काट रही सरकारी चौखट के चक्कर
कोलकाता की रहने वाली डॉली ने अरुण के साथ शादी करने के बाद जीवन के रंगीन सपनों को आंखों में पाला था. जब तक पति अरुण जिंदा था तब तक उसके हर सपने बस सच ही थे.
जनता से रिश्ता। कोलकाता की रहने वाली डॉली ने अरुण के साथ शादी करने के बाद जीवन के रंगीन सपनों को आंखों में पाला था. जब तक पति अरुण जिंदा था तब तक उसके हर सपने बस सच ही थे. लेकिन 2019 में जब पति का साथ छूटा तो मानों डॉली की जिंदगी से खुशियां ही रूठ गई. पति की मौत के बाद जैसे-तैसे जीवन की गाड़ी को पटरी पर लाने कोशिश डॉली कर ही रही थी. तभी उसके सास और ससुर की भी मौत हो गई. इसके बाद तो सिर छुपाने के लिए जो घर का सहरा था वो भी छूट गया. देवर ने डॉली को उसके दिव्यांग बेटे के साथ घर से निकाल दिया. घर से निकालने के बाद से डॉली सरकारी चौखटों के चक्कर काट रही है और हक दिलाने की गुहार लगा रही है.
कोलकाता की रहने वाली डॉली ने भरतपुर जिले के ऊंचा नगला गांव निवासी अरुण के साथ प्रेम विवाह किया. दोनों ने साल 2011 में विवाह कर लिया और डॉली कोलकाता से अपने पति अरुण के साथ ऊंचा नगला गांव आ गई. लेकिन किस्मत को शायद कुछ और ही मंजूर था. साल 2019 में अरुण की ट्रेन की चपेट में आने से मौत हो गई. उसी वक्त से डॉली पर मानो मुसीबतों का पहाड़ टूट पड़ा. पति के बाद सास और ससुर की भी मौत हो गई. अब डॉली के देवर ने दिव्यांग बेटे के साथ उसे घर से बेदखल कर दिया. पीड़िता अब बेटे के साथ दर-दर की ठोकर खा रही है. आखिर में पीड़िता ने अपने दिव्यांग बेटे के साथ जिला कलेक्टर के पास न्याय के लिए पहुंची है.डॉली ने बताया कि पति, सास और ससुर की मौत के बाद देवर ने उसको और उसके 7 वर्ष के दिव्यांग बच्चे को घर से निकाल दिया. अब उसके पास सिर ढंकने के लिए छत नहीं है और ना ही रोजी-रोटी का कोई जुगाड़ है. देवर ने घर से निकाले जाने के बाद कुछ समय तो वो दिव्यांग बेटे के साथ कोलकाता अपने पीहर में रही. लेकिन पीहर पक्ष के लोगों ने भी उसे अब अपने साथ रखने से मना कर दिया है. डॉली ने अब जिला कलेक्टर हिमांशु गुप्ता से ससुराल से बेटे और खुद को हक दिलाने की मांग की है. जिला कलेक्टर ने पीड़िता की समस्या सुनने के बाद समाज कल्याण विभाग के अधिकारियों को पीड़िता की मदद करने के निर्देश दिए हैं.
जिला कलेक्टर के निर्देश के बाद समाज कल्याण विभाग ने पीड़िता को पालनहार योजना के तहत लाभ दिलाने के लिए एक प्रार्थना पत्र लिया है. वहीं पीड़िता अब अपने दिव्यांग बेटे के साथ एक रिश्तेदार के घर पर रह रही है. पीड़िता को प्रशासन की मदद से अपने दिव्यांग बेटे और खुद को हक मिलने की आस है