हाई सिक्योरिटी के बावजूद आखिर क्यों पेपर हो रहे लीक

Update: 2022-11-16 12:08 GMT

कोटा स्पेशल न्यूज़: हाल ही वन रक्षक भर्ती परीक्षा का पेपर लीक होने के बाद परीक्षा रद्द कर दी गई। राजस्थान में पेपर लीक होने से भर्ती परीक्षाएं रदद होना आम हो गया है। बड़ी बड़ी कई प्रतियोगी परीक्षाएं रदद हो चुकी है। नेटबंदी से लेकर जैमर तक लगवाए सुहाग की निशानियां उतरवाई, कपड़े जूते तक नहीं पहनने देते, मोबाइल घड़ी और अन्य इलेक्ट्रोनिक उपकरण परीक्षा में नहीं ले जा सकते, परीक्षा से पूर्व भारी सख्ती दिखाई जाती है। इसके बावजूद नकल गिरोह पेपर आउट करवाने में कामयाब हो जाते हैं। इससे सरकार को तो लाखों करोड़ों का नुकसान उठाना ही पड़ता है। परीक्षार्थियों को भी भारी आर्थिक और मानसिक परेशानी से गुजरना पड़ता है। आखिर इस समस्या समस्या का समाधान क्या है। इस मुद्दे को लेकर नवज्योति ने विषय विशेषज्ञोंं से बातचीत की। तो निषकर्ष निकल कर आया कि सरकार को कम्प्यूटर बैस परीक्षा करवानी चाहिए।

जिंदगी-मौत का सबब बन जाती है: सरकार की तमाम सुरक्षा के बावजूद भर्ती परीक्षाओं के पेपर लीक होना बेरोजगार युवाओं के साथ अन्नाय है। पेपर लीक होने से जहां परीक्षा कराने वाली एजेंसी या बोर्ड को नुकसान होता है वहीं, अभ्यर्थियों का कॅरियर भी दांव पर लग जाता है। एक तरफ फीस भरने से लेकर परीक्षा केंद्र पर पहुंचने तक उन पर आर्थिक भार पड़ता है, वहीं मानसिक तौर पर भी उन्हें परेशानी होती है। साथ ही समय और तैयारी का भी नुकसान झेलना पड़ता है। इतना ही नहीं, अभ्यर्थी की उम्र सीमा समाप्त हो रही हो, तो ऐसे उम्मीदवारों के लिए परीक्षा रदद होना जिंदगी-मौत का सबब बन जाती है। प्रदेश में कई युवा पेपर लीक होने के बाद सुसाइड तक कर चुके हैं। वहीं, कई जने अवसाद में चले गए। नकल गिरोह के कारण भर्ती परीक्षाओं का पूरा कैलेंडर ही गड़बड़ा जाता है। एग्जाम सेंटरों पर हाई सिक्योरिटी इंतजाम होने के बावजूद पर्चा आउट होने पर प्रशासन की व्यवस्था पर भी गंभीर सवाल खड़े होते हैं।

माफियाओं के आगे बेअसर एंटी चीटिंग कानून: 26 सितंबर 2021 को रीट भर्ती की परीक्षा का पेपर लीक होने के बाद राज्य सरकार ने 23 फरवरी 2022 को प्रतियोगी परीक्षाओं के पेपर आउट होने से रोकने और माफियाओं के खिलाफ कड़ी कार्रवाई के लिए एंटी चीटिंग कानून बनाया था। जिसके तहत परीक्षा में नकल गिरोह के पकड़े जाने पर 10 साल की सजा का प्रावधान किया गया है। इसके अलावा नकल गिरोह में शामिल आरोपियों की प्रोपर्टी भी सीज की जाएगी। चीटिंग करने या कराने वाले पर कम से कम 10 लाख से 10 करोड़ का जुमार्ना लगोगा का प्रावधान है। परीक्षा में नकल करते पाए जाने पर कम से कम 3 साल की सजा और अपराध की गंभीरता को देखते हुए सजा की अवधि 10 साल की जा सकती है। एक लाख रूपए का जुर्माना का प्रावधान है। वहीं, स्कूल-कॉलेज से लेकर हर परीक्षा दो साल तक परीक्षा नहीं दे सकेगा। इसके अलावा नकल गिरोह की सम्पत्तियां भी सीज किया जाना भी शामिल है।

कई परीक्षाएं हो चुकी रद्द: प्रदेश में पिछले 4 साल में कई सरकारी भर्ती परीक्षा रदद की जा चुकी हैं। इनमें रीट, आरएएस, कांस्टेबल, पटवारी, लाइब्रेरियन, जेईएन जैसी कई परीक्षाएं शामिल हैं। एक बार फिर वनरक्षक भर्ती परीक्षा कैंसिल होने के बाद सरकारी सिस्टम सवालों के घेरे में है। ताज्जुब की बात यह है कि राज्य ने ऐसे मामले रोकने के लिए एक नया कानून भी बनाया फिर भी मामले नहीं थम रहे। लगातार हो रही घटनाओं से सरकारी सिस्टम में भ्रष्टाचार की जड़ें किस हद तक जम चुकी है, इसकी बानगी नजर आती है।

अब तक ये परीक्षाएं हो चुकी रद्द

वनरक्षक भर्ती: वनरक्षक सीधी भर्ती परीक्षा के द्वितीय पारी का पेपर 12 नवम्बर 2022 को लीक हो गया। इस पर राजस्थान कर्मचारी चयन बोर्ड ने परीक्षा रद्द कर दी। लाखों अभ्यर्थियों ने इस परीक्षा का दो साल से इंतजार किया था।

कांस्टेबल भर्ती: पुलिस कांस्टेबल भर्ती गत मई 2022 में हुई थी। इसका पेपर भी लीक हुआ था। पेपर 14 मई की दूसरी पारी का प्रश्न पत्र आखिरकार खुद पुलिस ने रद्द कर दिया। प्रदेश के ढाई लाख से अधिक अभ्यर्थियों को दोबारा परीक्षा देनी होगी।

रीट भर्ती: राजस्थान बोर्ड ने 26 सितंबर 2021 को परीक्षा आयोजित की थी। 16 लाख से ज्यादा अभ्यर्थियों ने परीक्षा दी थी। 26 लाख ने आवेदन किया था। जांच में पता लगा था कि तीन दिन पहले ही सेंटर से ही पेपर आउट कर दिया गया। इंटरनेट बंद होने के बावजूद पेपर डेढ़ घंटे पहले ही लोगों के मोबाइल में पहुंच चुका था। 25 अधिकारी व कर्मचारी सस्पेंड किए गए। 80 से ज्यादा लोग गिरफ्तार किए गए थे। आखिरकार ये पेपर आरोपियों के हाथ कैसे और किसने पहुंचाया वह मुख्यसूत्रधार का पता नहीं चला।

पटवारी भर्ती: कर्मचारी चयन बोर्ड ने 5378 पदों के लिए 23 व 24 अक्टूबर 2021 को परीक्षा कराई थी। डमी अभ्यर्थी बैठकर नकल कराने के मामले सामने आए। भर्ती में 50 से ज्यादा गिरफ्तारी हुई। भर्ती को लेकर काफी विवाद हुए थे। इसमें 15 लाख अभ्यर्थियों ने आवेदन किया था।

जेईएन भर्ती: कर्मचारी चयन बोर्ड ने 533 पदों के लिए परीक्षा आयोजित कराई थी। 6 दिसम्बर 2020 को पेपर आउट होने पर रद्द कर दी गई। तब 12 सितम्बर को दोबारा से परीक्षा आयोजित कराई थी। भर्ती के लिए 58 हजार आवेदन हुए थे।

लाइब्रेरियन भर्ती: कर्मचारी चयन बोर्ड ने 700 पदों के लिए 29 दिसम्बर 2019 को परीक्षा कराई थी। दो घंटे पहले ही पेपर आउट हो गया था। बोर्ड ने पेपर को आउट माना। दोबारा से 19 सितम्बर 2020 को परीक्षा कराई गई थी।

आखिरी शख्स तक पहुंचे जांच:

परीक्षार्थियों को कड़ी मेहनत करने के बाद भी मानसिक, शैक्षणिक व आर्थिक नुकसान उठाना पड़ता है।

लीक पेपर के प्रत्येक मामले में कुछ दोषियों को गिरफ्तार किया जाता है लेकिन उनको पेपर उपलब्ध करवाने वाले आखिरी शख्स को पकड़कर बेनकाब किया जाना चाहिए।

आॅफलाइन परीक्षाओं के प्रश्नपत्र प्रत्येक परीक्षा केंद्र के स्ट्रांग रूम में या पुलिस थानों में रखे जाते हैं, जहां पुलिस तैनात होती है। लीक होने पर तत्काल जिम्मेदार अधिकारियों व कर्मचारियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई अमल में लाई जाए।

प्रत्येक परीक्षा के लिए जो शिक्षक पेपर तैयार करते हैं, प्रश्नपत्र लीक हो जाने पर उनकी भी जांच की जाए।

जेईई-मेन, एडवांस्ड या नीट प्रवेश परीक्षाआें की तरह परीक्षा केंद्रों पर परीक्षार्थियों के साथ डिजिटल वस्तुओं को प्रतिबंधित किया जाए।

पेपर बनाने से एग्जाम लेने तक के सिस्टम पर उठे सवाल: प्रिटिंग प्रेस से लेकर परीक्षा केंद्रों तक नकल माफिया बेरोजगार युवाओं को छलने का काम कर रहे हैं। रीट, पटवारी, जेईएन, लाइब्रेरी, कांस्टेबल, वनरक्षक भर्ती परीक्षा रदद हो गई। एक के बाद एक पेपर आउट होने से सरकार के पेपर बनाने से लेकर परीक्षा लेने तक के सिस्टम पर भी कई गंभीर सवाल खड़े हो गए। वहीं, सरकारी नौकरियों के लिए होने वाली भर्ती परीक्षाओं की गोपनीयता भंग हो गई। आंकड़ों की बात करें तो पिछले चार साल में करीब एक दर्जन से अधिक परीक्षाएं रदद हो चुकी है।

नेट बंदी से लेकर जैमर तक लगवाए फिर भी पेपर आउट: वर्ष 2021 में रीट परीक्षा के दौरान सरकार ने नेटबंदी करने का फैसला लिया था, जो कारगर नहीं रहा। बल्कि आमजन को को कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ा। इसके बाद गत मई माह में 4438 पदों के लिए हुई कांस्ट ेबल परीक्षा प्रदेश के सभी जिलों में 13 से 16 मई तक दो-दो पारियों में आयोजित हुई। इस दौरान परीक्षा में नकल रोकने के लिए नेटबंदी की बजाए जैमर लगाए गए। लेकिन इसके बावजूद जयपुर के झोटवाड़ा में गत 16 मई को परीक्षा की दूसरी पारी के दैरान एक स्कूल से पेपर लीक हो गया। जबकि, इस पारी में पौने तीन लाख अभ्यर्थियों ने परीक्षा दी थी। इस मामले में जयपुर, भतरपुर, झूंझुनूं सहित कई जिलों से 20 से आरोपियों को पुलिस ने गिरफतार किया था। लेकिन आज तक पुलिस सूत्रधार की गिरेबां पर हाथ नहीं डाल सके।

एक स्टूडेंट का एक परीक्षा पर कम से कम 40 से 60 हजार का खर्चा: को्चिंग संस्थानों से जुड़े शिक्षकों ने बताया कि एक स्टूडेंट एक भर्ती परीक्षा की तैयारी में कम से कम 40 से 60 हजार रुपए खर्च करता है। जबकि, आईएएस, आरएएस, आरजेएस सहित बड़ी परीक्षाओं की तैयारी में डेढ़ से दो लाख तक खर्चा होता है। इन परीक्षाओं की बदौलत बोर्ड करोड़ों रुपए कमाता है। जिससे सरकार का खजाने में जमकर धन बरसता है। फिर भी पर्चा आउट होने के कारण भर्ती रदद के बाद अभ्यर्थियों के साथ छलावा ही हुआ है। उन बेरोजगार के साथ जो घर से दूर छोटे-छोटे कमरों में कई सालों से तैयारी कर रहे हैं। उनके किताबें, किराए के कमरे से लेकर खाने-पीने, परीक्षा फॉर्म से लेकर सैंकड़ों किमी दूर परीक्षा देने तक लाखों रुपए खर्च हो जाते हैं। इतना त्याग के बावजूद विद्यार्थियों के साथ अन्याय हो रहा है।

सुहाग की निशानी उतरवा रहे फिर भी पेपर आउट: परीक्षा के नाम पर महिलाओं के गहने, सुहाग की निशानी और साड़ियां तक उतरवाई जा रही हैं, तो वहीं लड़कों को बनियान में परीक्षाएं दिलवाई गईं। इतना ही नहीं मन्नती धागों पर भी कैचियां चलाई। इसके बावजूद पेपर आउट होने का सिलसिला और फर्जीवाड़ा थमने का नाम नहीं रहा है। जबकि, नकल रोकने के लिए सरकार की तमाम मशीनरी एक साथ लगती है, फिर भी पेपर आउट होना सरकार की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े हो रहे हैं।

अभ्यर्थियों की जुबानी:

मानसिक, शारीरिक व आर्थिक आघात से गुजरे

दो साल से वनरक्षक भर्ती की तैयारी कर रहा था। पेपर देने के बाद नौकरी लगने की उम्मीद थी। लेकिन जैसे ही पेपर लीक होने की सूचना मिली तो मानसिक आघात पहुंचा। वर्षों की मेहनत एक ही झटके में ही बर्बाद हो गई। अब शारीरिक, मानसिक व आर्थिक

रूप से परीक्षा तैयारी करने की हिम्मत नहीं बची।

-शिवम नायक, वनरक्षक अभ्यर्थी

तीन साल पेपर की खूब तैयारी की। कोचिंग से लेकर किताबें, मॉडल पेपर सहित अन्य मेटेरियल के लिए काफी पैसा खर्च किया। वर्ष 2021 में रीट का पेपर दिया लेकिन भर्ती परीक्षा रद्द हो गई। इससे शारीरिक, मानसिक व आर्थिक नुकसान हो गया। हालांकि अब फिर से पेपर की तैयारी कर रहा हूं लेकिन पेपर आउट होने का डर सताता है।

-अजय कुशवाह, रीट अभ्यर्थी

गत वर्ष रीट भर्ती के लिए जी-जान से मेहनत की थी। आखिर में भर्ती परीक्षा रद्द हो गई। तैयारी में तीन साल लगाए थे, इससे तो अच्छा यह होता की कोई टेक्निकल कोर्स कर लेता। कम से कम एक साल बाद नौकरी तो कर कुछ पैसा कमा पाते। सरकार की लचर व्यवस्था से नकल गिरोह के हौसले बुलंद है। लगातार भर्ती परीक्षा रद्द होना बेरोजगारों के साथ भद्दा मजाक है।

-सुरेश नायक, रीट अभ्यर्थी

इनका कहना है:

एग्जाम सेंटर पर पेपर को 20 से 25 मिनट पहले ही खोला जाना चाहिए। राजसमंद में डेढ़ घंटे पहले ही खुल गया था, जो गलत है। एग्जाम से जुड़े किसी भी अधिकारी-कर्मचारी को मोबाइल साथ रखने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए।

-ओम प्रकाश बुनकर, जिला कलक्टर

जांच का दायरा बढ़ाना चाहिए: प्रतिवर्ष प्रदेश में विभिन्न भर्ती परीक्षाओं में पेपर लीक होने के मामले बढ़ते जा रहे हैं। ऐसे में सरकार को एक मॉनिटरिंग टीम गठित करना चाहिए जो गहराई से निष्पक्ष जांच करें और एग्जाम से जुड़े हर आॅफिसर से लेकर कर्मचारी तक की जवाबदेही सुनिश्चित की जाए। क्योकि, एक परीक्षा में पेपर लीक हो जाने से लाखों परीक्षार्थियों के भविष्य पर संकट खड़ा हो जाता है। वे परीक्षा शुल्क जमा करके पेपर देने जाते हैं, ऐसे में भर्ती रदद होना उनके साथ अन्याय है। पेपर की सुरक्षा में सेंध कब और कैसे लगा दी जाती है, इस दिशा में जांच का दायरा बढ़ाना चाहिए।

-डॉ. रघुराज सिंह परिहार, सहायक निदेशक शिक्षा आयुक्तालय

आनलाइन मोड पर करवाएं परीक्षा: दुनिया के विकसित देशों की तर्ज पर सरकार को भर्ती परीक्षा आॅनलाइन मोड पर कई चरणों में करवाई जानी चाहिए। जिस तरह आईबीपीएस या नेशनल टेस्टिंग एजेंसी भारत में अन्य राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिताएं आयोजत करवा रहे है। साथ ही सरकार को संभाग व जिले स्तर पर आॅनलाइन एग्जामिनेशन सेंटर स्थापित करने चाहिए ताकि आॅनलाइन परीक्षा कम समय और कम मैन पावर में पूरी हो सके। वहीं, सरकार अन्य राज्य के परीक्षार्थियों का परीक्षाओं में कोटा भी फिक्स करना चाहिए जिससे पेपर लीक करने वाली गैंग की सक्रियता समाप्त हो सके।

-डॉ. अनुज विलियमस, एसोसिएट प्रोफेसर राजकीय वाणिज्य महाविद्यालय

राजस्थान में उच्च-स्तरीय एवं संवैधानिक नोडल एजेंसी का निर्माण हो, जिसका कार्य सिर्फ परीक्षाओं का आयोजन, प्रश्न पत्रों का निर्माण एवं परीक्षा परिणाम जारी करना हो। यह एजेंसी अधिकारियों-कर्मचारियों का चयन के लिए परीक्षा लेगी लेकिन यह जाहिर नहीं करें कि किस विभाग में नियुक्ति के लिए प्रवेश परीक्षा होगी और कितने पद रिक्त हैं। राज्य के विभिन्न विभाग अधिकारियों एवं कर्मचारियों के रिक्त पदों की संख्या से नोडल एजेंसी को अवगत कराएं। प्रारंभिक परीक्षा, फाइनल परीक्षा एवं इंटरव्यू,तीन स्तरों के आधार पर चयन होने के कारण अपराधी निरूत्साहित होंगे क्योंकि इतने स्थानों पर भ्रष्टाचार को मैनेज करना आसान नहीं होगा। अपराधियों के निरुत्साहित होते ही पेपर लीक की प्रक्रिया स्वत: ही समाप्त हो जाएगी।

-देव शर्मा, एजुकेशन एक्सपर्ट

जेईई-मेन पेटर्न पर हो परीक्षा: प्रतियोगी परीक्षाएं करवाने वाली विभिन्न एजेंसियां जेईई-मेन, एडवांस्ड व नीट-यूजी का एग्जाम करवाने वाली नेशनल टेस्टिंग एजेंसी की तरह आॅनलाइन मोड पर परीक्षाएं करवाएं। इस व्यवस्था से जहां नकल गिरोह से मुक्ति मिलेगी वहीं, सरकारी मशीनरी की मशक्कत कम होने के साथ पैसा भी बचेगा। प्रदेश के सभी जिला मुख्यालयों पर आॅनलाइन एग्जाम के लिए इंफ्रास्ट्रेक्चर मौजूद है। स्कूल, कॉलेज, कॉचिंग व कई संस्थाएं कम्प्यूटर लैब है।

-नरेंद्र जैन, कम्प्यूटर विभागाध्यक्ष, राजकीय पॉलीटेक्निक कॉलेज

परीक्षा से जुड़े सभी अधिकारी व कर्मचारियों में मोरल होना चाहिए। पेपर से जुड़ी एजेंसियों की जवाबदारी तय की जानी चाहिए। साथ ही पेपर लीक करने वाले गिरोह के खिलाफ सख्त कार्रवाई हो ताकि उनमें कानून का डर बना रहे। इसके अलावा एंटी चिटिंग कानून को प्रभावी ढंग से अमल में लाया जाना चाहिए। परीक्षाओं को आॅनलाइन मोड पर की जानी चाहिए।

-डॉ. जयंत विजयवर्गीय, प्राचार्य गवर्नमेंट साइंस कॉलेज

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