विदेशों में पेस्टिसाइड व फर्टिलाइजर मुक्त मसालों की मांग

Update: 2023-01-30 14:36 GMT

कोटा: राजस्थानी एसोसिएशन आफ स्पाइसेस (रास) के तत्वावधान में जयपुर में आयोजित दो दिवसीय नेशनल स्पाइस बिजनेस मीट-2023 में रविवार को देश-विदेश के प्रमुख मसाला उद्यमियों, निर्यातकों एवं व्यवसायियों ने राजस्थान के मसाला उत्पादों की पैदावार, क्वालिटी, प्रोसेसिंग, वैल्यू एडिशन, एक्सपोर्ट एवं विपणन पर मंथन किया। रास के संस्थापक निदेशक विनीत चौपड़ा, बनवारी लाल अग्रवाल, राकेश कुमार आटोलिया, श्यामसुंदर जाजू, जोधपुर जीरा मंडी के अध्यक्ष पुरुषोत्तम मूंदड़ा, पीसीके महेश्वरन, लाडेश गोलछा, महावीर गुप्ता ने बताया कि दो दिन में छह सत्रों में देशभर से आए 600 प्रतिनिधियों ने पैनल चर्चा में भाग लिया। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने शनिवार को इस नेशनल स्पाइस मीट का उद्घाटन किया था। पैनल चर्चा में ईस्टर्न कॉडिमेंट्स प्रा.लि. अनार्कुलम के मुख्य कार्यकारी अधिकारी केके मेनन ने कहा, धनिया, जीरा, सौंफ, मिर्च, सरसों की प्रोसेसिंग कर अमेरिका, यूरोप, अफ्रीका, मिडिल ईस्ट के देशों को एक्सपोर्ट कर रहे हैं। यदि किसानों की पैदावार को सोर्टिंग व क्लिनिंग से उच्च क्वालिटी उत्पाद बनाया जाए तो उनकी आय दो से तीन गुना बढ़ सकती है।

प्रथम सत्र में एक्सपोर्ट व्यापार-समस्या और समाधान पर चर्चा करते हुए मॉडरेटर मृत्युंजय कुमार झा ने कहा कि राजस्थान से जीरे का निर्यात सीरिया, टर्की, अफगान, ईरान, पाकिस्तान, श्रीलंका, बांग्लादेश, चीन व खाड़ी के देशों में अधिक हो रहा है। किरणदीप सिंह स्वानी ने कहा कि सरकार किसानों को इको फ्रेंडली केमिकल्स उपलब्ध करवाए। कुंभराज के व्यवसायी सुमित तापडिया ने बताया कि आज देश में 6 लाख मीट्रिक टन धनिए की मांग है।

पेस्टिसाइड को नियंत्रित करना होगा

कोच्ची से एबी मौरी इंडिया प्रा.लि. के निदेशक प्रकाश नम्बूदरि ने कहा कि भारत में सीधे किसानों के साथ मिलकर बेकग्राउंड एग्रीनॉमिक्स करने की जरूरत है। विदेशों में मसालों की ग्रेड पेस्टिसाइड व फर्टिलाइजर जांच से तय होती है। अच्छे दाम के लिये इसे नियंत्रित करना होगा। नेपाल के विवेक अग्रवाल ने कहा कि रास ने हमें आवाज उठाने का अवसर दिया है।

प्रदेश में मसाला पैदावार 20 फीसदी कम

दूसरे सत्र में रास द्वारा कृषि विश्वविद्यालय,जोधपुर के रिसर्च स्कॉलर्स द्वारा किए गए सेटेलाइट सर्वे की विस्तृत रिपोर्ट को प्रस्तुत किया गया। सौरभ जैन ने प्रजेंटेशन में बताया कि 20 जिलों में जीरा, सौंंफ, कसूरी मैथी, सरसों के खेतों में जाकर सेटेलाइट सर्वे किया। इस वर्ष 8519 बीघा भूमि में 19.54 प्रतिशत मसालों की पैदावार कम होने का अनुमान है। 

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