कोटा । नगर निगम कोटा उत्तर व कोटा दक्षिण का गठन हुए दो साल होने को है। लेकिन अभी तक भी दोनों निगमंो में नेता प्रतिपक्ष की नियुक्ति नहीं की गई है। बिना नेता प्रतिपक्ष के ही भाजपा पार्षद बोर्ड बैठकों में भी शामल हो रहे हैं। नगर निगम बोर्ड का गठन नवम्बर 2020 में हुआ था। अगले महीने बोर्ड का गठन हुए दो साल पूरे होने वाले है। दोनों नगर निगमों में कांग्रेस के बोर्ड बने हैं। बोर्ड बनने के तीन माह में समितियों का गठन होना चाहिए। लेकिन दोनों निगमों में निर्धारित समय में समितियों का गठन नहीं हो पाया था। जिससे यह मामला राज्य सरकार के पाले में चला गया था। राज्य सरकार ने करीब तीन महीने पहले नगर निगम कोटा दक्षिण में तो 22 समितियों का गठन कर दिया है। लेकिन कोटा उत्तर नगर निगम में अभी तक भी समितियां नहीं बनी हैं। इधर भाजपा की ओर से दोनों निगमों में से एक में भी नेता प्रतिपक्ष की नियुक्ति नहीं की गई है। जिससे भाजपा पार्षद बोर्ड बैठकों में भी बिना किसी नेतृत्व के शामिल हो रहे हैं। हालत यह है कि राज्य सरकार द्वारा गठित मेला समिति दोनों नगर निगमों की संयुक्त रूप से बनाई गई । उस समिति में नेता प्रतिपक्ष को भी सदस्य बनाया गया है। लेकिन नेता प्रतिपक्ष नहीं बनने से मेला समिति में भी भाजपा पार्षदों का प्रतिनिधित्व नहीं हो पा रहा है। हालांकि सूत्रों के अनुसार भाजपा की ओर से दोनों नगर निगमों में महापौर के प्रत्याशी रहे पार्षदों को ही नेता प्रतिपक्ष बनाया जा सकता है। इधर नगर निगम कोटा उत्तर की महापौर मंजू मेहरा का कहना है कि समितियों के गठन का अधिकार राज्य सरकार के पास है। सरकार चाहेगी तभी समितियों का गठन होगा। वहीं भाजपा प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया ने बताया कि शीघ्र ही कोटा के दोनों नगर निगमों में नेता प्रतिपक्ष की नियुक्ति कर दी जाएगी।