शैली वाले हनुमान मंदिर पर भागवत कथा का समापन, भंडारे का हुआ आयोजन

Update: 2023-05-24 11:01 GMT
करौली। करौली मंडरायल में स्थित शैली वाले हनुमान मंदिर पर मंत्री रमेश मीणा द्वारा आयोजित श्रीमद् भागवत कथा के समापन पर विशाल भंडारे का आयोजन किया गया। भंडारे में हजारों श्रद्धालुओं ने पंगत प्रसादी ग्रहण की। इस दौरान प्रदेश कांग्रेस प्रभारी सुखजिंदर रंधावा, सह प्रभारी काजी निजामुद्दीन, पूर्व प्रभारी देवेंद्र यादव, सार्वजनिक निर्माण मंत्री भजन लाल जाटव सहित कई कांग्रेस नेता और जनप्रतिनिधियों ने शिरकत की। इस दौरान सभा को संबोधित करते हुए प्रदेश प्रभारी सुखजिंदर रंधावा ने कहा कि क्षेत्र में मंत्री ने अपने विकास कार्य और इमानदारी से लोगों के बीच धाक बनाई है। इस दौरान रंधावा ने कहा कि मीणा समाज के लोग अपनी ईमानदारी और कठिन परिश्रम के लिए जाने जाते हैं। तपती गर्मी में बड़ी संख्या में लोगों के शामिल होने पर भी प्रसन्नता जताते हुए आभार जताया। इस दौरान सह प्रभारी काजी निजामुद्दीन ने कहा कि इतनी भीड़ या तो गंगा किनारे देखने को मिलती है या फिर यहां धार्मिक आयोजन में दिखी है। धार्मिक आयोजन के दौरान 4 टीम द्वारा कन्हैया पद दंगल का भी आयोजन किया गया।
पंचायतीराज मंत्री रमेशचंद्र मीणा के पिता शंकरलाल हनुमानजी के जिस मंदिर पर दूध चढ़ाने जाते थे, उस मंदिर का मंत्री ने भव्य निर्माण कराया है। पिछले दिनों मूर्तियों की प्रतिष्ठा में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत सहित 4 कैबिनेट मंत्री आए थे। 5 से 11 मई तक यहां राम कथा और 15 से 21 मई तक भागवत कथा हुई। सोमवार को भंडारा किया गया। इसमे सवा लाख श्रद्धालुओं के लिए भोजन कराने का लक्ष्य था। दो दिन पहले से तैयारी की जा रही थी। करौली के साथ मध्यप्रदेश के वीरपुर, विजयपुर, सबलगढ़, धौलपुर, सवाईमाधोपुर, दौसा, गंगापुरसिटी के गांवों में भी न्यौता भेजा गया। 250 से 300 गाड़ियां में कार्यकर्ताओं ने 10 दिन से पहले से न्योता देना शुरू किया। मंडरायल से करीब 5 किलोमीटर दूर रोधई मार्ग पर शैली वाले हनुमानजी का मंदिर है। मंदिर का जीर्णोद्धार करवाकर लक्ष्मीनारायण, राम-दरबार, राधा रानी, अंबे माता की स्थापना करवाई है। आगरा के कारीगरों से ये मूर्तियां जयपुर में बनवाई थी। पहले यहां हनुमानजी की शिला ही थी।
शैली हनुमानजी का यह मंदिर मुगलकालीन बताया जाता है। यहां हनुमानजी स्वयं प्रकट हुए थे। बालाजी की शिला है। इसलिए शैली हनुमानजी नाम पड़ा। मंत्री के पिता शंकरलाल यहां दूध चढ़ाने जाते थे। मंत्री की भी बचपन से ही यहां के प्रति आस्था रही है। मंत्री के सहयोग से 8 महीने में मंदिर का जीर्णोद्धार करवाया है। सत्संग भवन, साधु-संतों के लिए 14 कमरे, 2 हजार लोगों की क्षमता का बड़ा हॉल, महंत भवन बनवाया है। यह मंदिर संतों की तपोस्थली रही है। 7 मई को प्राण-प्रतिषठा में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत सहित कैबिनेट मंत्री भी आए थे। जयपुर के पंडितों के निर्देशन में मूर्तियों की प्रतिष्ठा करवाई।
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