Churu: ध्वजारोहण के समय भारतीय झंडा संहिता, 2002 का करें पालन

Update: 2024-08-14 10:55 GMT
Churu चूरू । जिला कलेक्टर एवं जिला मजिस्ट्रेट पुष्पा सत्यानी ने आमजन से अनुरोध किया है कि वे स्वतंत्रता दिवस समारोह को उत्साह एवं गरिमा के साथ मनाएं। साथ ही ध्वजारोहण एवं अन्य आयोजनों के समय भारतीय झंडा संहिता, 2002 की अक्षरशः पालना सुनिश्चित करें।
उन्होंने कहा है कि भारत का राष्ट्रीय ध्वज, भारत के लोगों की आशाओं और आकांक्षाओं का प्रतिरूप है। यह हमारे राष्ट्रीय गौरव का प्रतीक है और सबके मन में राष्ट्रीय ध्वज के लिए प्रेम, आदर और निष्ठा है। यह भारत के लोगों की भावनाओं और मानस में एक अद्वितीय और विशेष स्थान रखता है। राष्ट्रीय ध्वज हमारे देश के लोगों की आशाओं एवं आकांक्षाओं का प्रतिनिधित्व करता है और इसलिए इसे सम्मान की स्थिति मिलनी चाहिए। राष्ट्रीय ध्वज के लिए एक सार्वभौमिक लगाव और आदर तथा वफादारी होती है।
उन्होंने बताया कि भारतीय राष्ट्रीय ध्वज का ध्वजारोहण प्रयोग/संप्रदर्शन राष्ट्रीय गौरव अपमान निवारण अधिनियम, 1971 और भारतीय ध्वज संहिता, 2002 द्वारा नियंत्रित है। भारतीय झंडा संहिता, 2002 को 30 दिसंबर, 2021 के आदेश द्वारा संशोधित किया गया और पॉलिएस्टर के कपडे से बने एवं मशीन द्वारा निर्मित राष्ट्रीय ध्वज की अनुमति दी गई। अब व्यवस्था है कि भारत का राष्ट्रीय ध्वज हाथ से काते गए और हाथ से बने हुए या मशीन द्वारा निर्मित, सूती/पॉलिएस्टर/ऊनी/सिल्क/खादी के कपड़े से बनाया गया हो। जनता का कोई भी व्यक्ति, कोई भी गैर-सरकारी संगठन अथवा कोई भी शिक्षा संस्था राष्ट्रीय झंडे को सभी दिनों और अवसरों, औपचारिकताओं या अन्य अवसरों पर फहरा/प्रदर्शित कर सकता है, बशर्ते राष्ट्रीय झंडे की मर्यादा और सम्मान का ध्यान रखा जाये। भारतीय झंडा संहिता, 2002 को 19 जुलाई 2022 के आदेश द्वारा संशोधित किया गया एवं भारतीय झंडा संहिता के भाग-2 की धारा 2.2 (11) के अनुसार जहाँ झंडे का प्रदर्शन खुले में किया जाता है या जनता के किसी व्यक्ति द्वारा घर पर प्रदर्शित किया जाता है, वहां उसे दिन एवं रात में फहराया जा सकता है। राष्ट्रीय झंडे का आकर आयताकार होगा। यह किसी भी आकार का हो सकता है परन्तु झंडे की लम्बाई और ऊंचाई (चौड़ाई) का अनुपात 3ः2 होगा। जब कभी राष्ट्रीय झंडा फहराया जाये तो उसकी स्थिति सम्मानजनक और पृथक होनी चाहिए। फटा हुआ और मैला-कुचैला झंडा प्रदर्शित नहीं किया जाए। झंडे को किसी अन्य झंडे अथवा झंडों के साथ एक ही ध्वज-दंड से नहीं फहराया जाए। संहिता के भाग-3 की धारा-9 में उल्लखित गणमान्यों जैसे राष्ट्रपति, उप- राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, राज्यपाल आदि के सिवाय झंडे को किसी वाहन पर नहीं फहराया जाएगा। किसी दूसरे झंडे या पताका को राष्ट्रीय झंडे से ऊँचा या उससे ऊपर या उसके बराबर में नहीं लगाना चाहिए।
भारतीय झंडा संहिता के भाग-2 के पैरा 2.2 की धारा 10 के अनुसार जनता द्वारा कागज के बने राष्ट्रीय झंडों को महत्वपूर्ण राष्ट्रीय, सांस्कृतिक और खेलकूद के अवसरों पर हाथ में लेकर हिलाया जा सकता है। महत्वपूर्ण राष्ट्रीय सांस्कृतिक और खेलकूद के अवसरों पर जनता द्वारा प्रयोग किये हुए कागज के बने राष्ट्रीय झंडों को समारोह के पूरा होने के पश्चात न तो विकृत किया जाए और न ही जमीन पर फेंका जाए। ऎसे झंडों का निपटान उनकी मर्यादा के अनुरूप एकान्त में किया जाए।
उन्होंने बताया कि अधिक जानकारी के लिए राष्ट्रीय गौरव अपमान निवारण अधिनियम, 1971 और भारतीय झंडा संहिता, 2002, गृह मंत्रालय की वेबसाइट www.mha.gov.in पर उपलब्ध है।
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