Churu : रतननगर के डॉ सुरेका के मन में मातृभूमि की सेवा का अनूठा भाव, 30 साल से हर माह फ्री कैंप

Update: 2024-07-02 10:28 GMT
Churu चूरू। राजस्थान के जाने-माने न्यूरोफिजिशयन डॉ आर. के. सुरेका के मन में अपनी जन्मभूमि रतननगर के लिए यह सेवा और कृतज्ञता का भाव ही है कि वे पिछले 30 साल से हर माह रतननगर में मिर्गी रोगियों के लिए निःशुल्क कैंप लगाते हैं, जहां परामर्श और दवा के साथ-साथ आने वाले रोगियों को को भोजन भी निःशुल्क दिया जा रहा है।
मंगलवार को इसी सीरिज का 359 वां कैंप रतननगर के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में एपिलेप्सी केयर एवं रिसर्व फाउण्डेशन, शाखा त्रिवेणी देवी सुरेका चेरिटेबल ट्रस्ट के तत्वावधान में आयोजित किया गया, जहां 525 मरीजों की जांच कर उन्हें पूरे माह की दवा निःशुल्क वितरित की गई। कैम्प के मुख्य न्यूरोफिजिशयन डॉ आर. के. सुरेका ने रोगियों एवं परिजनों से कहा कि मरीज अगर ठान ले कि मिर्गी रोग से लड़ना है तो वो मिर्गी रोग से विजय प्राप्त कर सकता है। इसके लिये मुख्य स्त्रोत या नियम यह है कि मरीज योग्य चिकित्सक से नियमित रूप से मिर्गी रोग के लिए दवाई ले एवं देवी-देवताओं, झाड़-फूंक के चक्कर में ना पड़े। मिर्गी रोगी दवाई नियमित रूप से ले एवं एक दिन भी नागा ना करें। दूसरा नियम ध्यान रखे कि रात को पर्याप्त नींद लें। नींद की कमी के कारण दौरे पड़ सकते हैं। तीसरा नियम मिर्गी रोगी को शराब व नशीले पदार्थो का सेवन नहीं करना चाहिये। इनके सेवन से ही दौरे पड़ सकते हैं। उन्होंने बताया कि मिर्गी रोगी को दौरे पड़ने पर करवट दिलाकर लिटा दे और मुंह से झाग साफ कर दें। दौरे पड़ने पर मरीज के मुंह में कपड़ा नहीं ठूंसना चाहिये, ना ही मरीज के मुंह में पानी डालना चाहिये। इस तरह मिर्गी रोगी 2 से 3 साल लगातार दवाई लेता है तो उसके दौरे ठीक हो सकते हैं। इन सभी मुख्य स्त्रोतों एव नियमों के द्वारा मिर्गी रोग पर विजय प्राप्त की जा सकती है। इस कैम्प में डॉ. रोहित सुरेका, डॉ रक्षित सुरेका, डॉ. जयसिह, डॉ. सरीन, डॉ. एफएच गौरी, ताजू खान आदि ने सहयोग दिया।
डीबी जनरल अस्पताल के पूर्व पीएमओ वरिष्ठ फीजिशियन डॉ एफएच गौरी ने बताया कि चूरू जिले के स्वास्थ्य केंद्र, रतन नगर में अप्रैल 1994 से एक मुहिम शुरू हुई थी जो अब तक अनवरत जारी है। मिर्गी से जूझ रहा चाहे बच्चा हो या बूढ़ा, किसी भी उम्र. वर्ग के व्यक्ति के लिए मिर्गी की समस्या इस मुहिम के बाद पहले जैसी कठिन नहीं रही। जयपुर के सीनियर न्यूरोलॉजिस्ट डॉ. राजेंद्र सुरेका ने यहां कैंप शुरू किया था जिसमें पहली बार 25 मरीजों का रजिस्ट्रेशन हुआ था जो आज 9 हजार तक पहुंच गया है। डॉ राजेंद्र सुरेका की इस नेक मुहिम का यह असर रहा है कि आज इस कैंप में उनसे मिर्गी का इलाज करवाने के लिए सिर्फ राजस्थान ही नहीं, बल्कि पूरे देश के अलग-अलग हिस्सों से लोग आते हैं। डॉ. सुरेका उन्हें निःशुल्क परामर्श ही नहीं बल्कि पूरे महीने की दवाई और शिविर में मौजूद सभी मरीजों को भोजन भी 30 सालों से वितरित करते आ रहे हैं। उनकी मुहिम का ऎसा प्रभाव पड़ा कि काली परछाई या देवताओं की कुदृष्टि समझे जाने वाली मिर्गी को एक गंभीर बीमारी समझ कर उसका उपयुक्त इलाज लेने वाले मरीजों की संख्या काफी बढ़ गई है। डॉ राजेंद्र सुरेका ने बताया कि इलाज से 70 प्रतिशत मरीजों के दौरे खत्म हो गए।
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