भरतपुर। भरतपुर जमीन बेचने के नाम पर किसी को ठगने में यूआईटी ने भूमाफिया को भी पीछे छोड़ दिया। पहले तो एक भूखंड को नीलाम कर 1.64 करोड़ रुपए ले लिए। जब खरीददार ने रजिस्ट्री कराने को कहा तो यूआईटी ने प्लाट जाने से ही मुकर गई। अब पीड़ित को अधिकारियों की ड्योढी पर न्याय के लिए गुहार लगानी पड़ रही है। मामला योजना 14 के प्लॉट नंबर डी-13 से जुड़ा है। यूआईटी ने पांच अलग-अलग योजनाओं के 21 प्लाटों की नीलामी की विज्ञप्ति निकाली। जिनका अगस्त 2021 में ई-ऑक्शन किया। इसमें बिल्डिंग मैटीरियल मार्केट की भूखंड संख्या डी-13 भी था। कॉर्नर पर स्थित यह प्लाट 30.83 बाई 30 मीटर का है। नीलामी में 925 वर्ग मीटर के इस भूखंड की बोली 1,64,66,425 रुपए में छूटी। यूआईटी ने 7 सितंबर 21 को बोली की पुष्टि कर जवाहर नगर निवासी हरेन्द्र जैन को डिमांड नोटिस जारी कर दिया। ट्रस्ट की टाइम लाइन के अनुसार उन्होंने पूरी रकम जमा करा दी। पहले तो पट्टा जारी करने का आग्रह करने पर अधिकारी अनसुना करते रहे। जब वह मिलने गए तो किसी तरह का प्लॉट बेचे जाने से ही इंकार कर दिया।
संबंधित भूखंड को लेकर कोर्ट में एक अन्य केस पेश हुआ। जिसमें यूआईटी सचिव कमलराम मीना नामजद पक्षकार हैं। कोर्ट के तलब करने पर उन्होंने लिखित जवाब पेश किया। जिसमें उन्होंने लिखा कि हरेन्द्र जैन ने खुद ही इस भूखंड को यूआईटी का मानते हुए कीमत अपनी ओर से जमा करा दी। यूआईटी ने संबंधित भूखंड किसी भी व्यक्ति को नहीं बेचा और ना ही भविष्य में बेचा जाएगा। यूआईटी सचिव ने कुछ लोगों के साथ मिल मेरे साथ धोखाधड़ी की है। मैं उनके पास कई बार गुहार लगाई। तो बाद में आना कह कर बैरंग लौटा दिया। पट्टा जारी करने की कई अर्जियां दी तो कोई जवाब नहीं दिया।
सरकारी विभाग से नियमानुसार खरीदे प्लाट में भी ऐसा होगा तो फिर अफसर और भूमाफिया में क्या फर्क रह गया? - हरेन्द्र कुमार जैन, पीड़ित आईपीसी की धारा 340 और 420 बनता है। तत्काल क्रिमिनल केस का नोटिस दें। नोटिस सिविल केस में भी सहायक होगा। जवाब मिलता है तो उसके आधार पर संबंधित धाराओं में इस्तगासा पेश करना चाहिए। दीपक चौहान, एडवोकेट, क्रिमीनल मैटर्स नीलामी छूटने पर बोली दाता को जारी डिमांड नोटिस एक तरह से कांट्रेक्ट है। ऐसे में परफॉर्मेंस ऑफ कांट्रेक्ट का केस कर सकता है। इस मामले में कोई आपराधिक मामला बनता है और अच्छा होगा।