खाद्य सुरक्षा योजना का मामला: 2500 लाभार्थियों की ही चमकी किस्मत

Update: 2023-01-16 14:19 GMT

कोटा: जिले में खाद्य सुरक्षा योजना के तहत लाभार्थियों को राशन मिलने का इंतजार पूरा नहीं हो पा रहा है। योजना के तहत जिले में अब तक 45500 से अधिक आवेदन लंबित है। इनमें से महज 2500 ही आवेदन स्वीकृत हो पाए है। जिनके आवेदन स्वीकृत हो चुके हैँ, उनको भी राशन का लाभ मिलना शुरू नहीं हुआ है। जिले में योजना के तहत अप्रेल व मई 2022 में आॅनलाइन फॉर्म भरवाए गए थे। इनमें संबंधित विभाग को 48 हजार से अधिक आवेदन मिले थे। इनमें से अब तक केवल 2500 आवेदन ही स्वीकृति हो पाए। जबकि 75 फीसदी अभी काम बाकी है। इनमें 45500 आवेदन लम्बित चल रहे हैं। उधर, विभाग के अनुसार इस समय खाद्य विभाग की वेबसाइट पर आॅनलाइन डाटा अपडेट करने की प्रक्रिया चल रही है। जिन लोगों के आवेदन स्वीकृत किए गए हैं, उन्हें खाद्य सुरक्षा योजना का लाभ मिलने का इंतजार है।

अब मिलता है मुफ्त गेहंू

सरकार ने राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा योजना (एनएफएसए) के लाभार्थियों को नए साल में मुफ्त गेहूं की सौगात दी है। पूर्व में राशनकार्ड धारकों को दो रुपए से हिसाब से गेहूं मिलता था। अब सरकार द्वारा प्रत्येक लाभार्थी को मुफ्त में गेहूं उपलब्ध करवाया जा रहा है। प्रदेश में राज्य सरकार की ओर से राष्टÑीय खाद्य सुरक्षा योजना के तहत लाभार्थियों को दो रुपए किलो प्रति व्यक्ति के हिसाब से गेहूं उपलब्ध करवाया जाता था। राशनकार्ड के आधार पर प्रत्येक व्यक्ति को पांच किलो मिलता है। अब नए साल से गेहूं का वितरण पूरी तरह से नि:शुल्क कर दिया गया है। सभी लाभार्थियों को मुफ्त में गेहूं उपलब्ध करवाया जा रहा है।

पहले मिलता था दोगुना गेहूं

प्रदेश के राशनकार्ड धारकों को पूर्व में राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा योजना (एनएफएसए) और प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना (पीएमजीकेवाई) के तहत प्रत्येक यूनिट के हिसाब से दस किलो गेहूं दिया जा रहा था। इनमें राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा योजना के तहत दो रुपए किलो की दर से गेहंू मिलता था, जबकि प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना के तहत गेहूं नि:शुल्क उपलब्ध कराया जाता था। कोविड-19 के दौरान अप्रैल 2020 में केंद्र सरकार ने पीएमजीकेवाई शुरू की थी, जिसके अंतर्गत प्रत्येक व्यक्ति को एनएफएसए आवंटन के अतिरिक्त प्रति माह 5 किलो गेहूं मुफ्त वितरण शुरू किया गया। कोविड-19 की प्रथम लहर खत्म होने के साथ नवंबर 2020 में यह योजना बंद कर दी गई, लेकिन कोरोना की दूसरी लहर के कारण फिर से मई 2021 में यह योजना शुरू की गई थी। केन्द्र सरकार ने वर्ष 2022 के दिसंबर माह में उक्त योजना को बंद कर दिया था।

पारदर्शिता के लिए घर-घर सर्वे जरूरी

सामाजिक कार्यकर्ता अशोक कुमार का कहना है कि योजना में नए नाम जोडऩे के लिए घर-घर जाकर सर्वे किया जाना जरूरी है, ताकि काम में पारदर्शिता लाई जा सकें। संबंधित विभाग पहले तो योजना में नाम जोड़ लेता है, बाद में कोई मामला सामने आने पर गलत चयन होने का आरोप लगाते हुए संबंधित उपभोक्ता से रिकवरी करता है। इससे उपभोक्ता को नुकसान होता है। इसलिए सर्वे किया जाना चाहिए।

ये बोले लोग

करीब नौ महीने पहले खाद्य सुरक्षा योजना में आवेदन किया था। अभी तक प्रोसेस में ही चल रहा है, लेकिन अभी नाम नहीं जोड़ा गया है। खाद्य सामग्री नहीं मिलने से आर्थिक परेशानी हो रही है।

-बलवत्र शर्मा, ग्रामीण

योजना के अंतर्गत विधवा या बेसहारा लोगों को खाद्य सुरक्षा में प्राथमिकता के आधार पर जोड़े जाने का प्रावधान है लेकिन बार-बार ई-मित्र या नगरपरिषद के चक्कर काटने पड़ रहे है।

-निरमा गुर्जर, गृहिणी

खाद्य सुरक्षा योजना के तहत जिन लोगों के फॉर्म अप्रुव्ड हो चुके हैं, उनके खाद्य विभाग की वेबसाइट पर आॅनलाइन डाटा अपडेट किए जाएंगे। डाटा अपडेट होते ही बायो मेट्रिक सत्यापन पर स्वत: ही पोष मशीन से खाद्य़ सामग्री जारी कर दी जाएगी। इसकी प्रक्रिया चल रही है।

-पुष्पा हिरवानी, जिला रसद अधिकारी कोटा

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