जयपुर। इस राजस्थान में इस साल दिसबंर माह में विधानसभा 2023 के चुनाव होने वाले है। ऐसे में राज्य की सभी राजनैतिक पार्टिया अब इसकी तैयारियों में जुट गई है। राजस्थान की राजनीति में मेवाड़ एक अहम जगह रखता है। ऐसी धारणा बनी हुई है और आंकड़े भी बताते हैं कि जो मेवाड़ जीता, सरकार उसकी बनी है। हालांकि, पिछली बार यह मिथक टूटा था क्योंकि कांग्रेस मेवाड़ में पीछे रही फिर भी अशोक गहलोत की सरकार बन गई। यहां ऐसी भी हॉट सीट हैं, जो हमेशा चर्चाओं में रहती हैं है। क्योंकि इस क्षेत्र में कहीं कांग्रेस का गढ़ है तो कहीं बीजेपी का है। मेवाड़ और वागड़ में बीजेपी के सबसे कद्दावर नेता गुलाबचंद कटारिया हैं. ये पिछले 4 विधानसभा चुनाव से जीत हासिल करते आ रहे हैं। बड़ी बात यह है कि पूर्व केंद्रीय मंत्री गिरिजा व्यास भी मैदान में उतरीं, लेकिन कटारिया के वर्चस्व के सामने हार गईं। कांग्रेस के लिए उदयपुर शहर सीट पर जीत हासिल करना आगामी विधानसभा में सबसे बड़ी चुनौती है। राजस्थान विधानसभा चुनाव से पहले अब भारतीय ट्राइबल पार्टी भी कुछ दम भर रही है।
उदयपुर की 16 सीटों पर आदिवासियों का वर्चस्व है। उदयपुर जिले में 8 विधानसभा सीटें हैं, जिसमें से 6 बीजेपी और 2 कांग्रेस के पास हैं। मेवाड़-वागड़ की 28 में से इन सीटों को बीजेपी का गढ़ कहा जाता है। इन्हीं सीटों पर विधायक गुलाबचंद कटारिया की पकड़ है। अलग-अलग सीटों को बात करें तो गोगुन्दा सीट पर दो बार प्रताप भील बीजेपी से विधायक बने, जबकि कांग्रेस ग्रामीण जिलाध्यक्ष लाल सिंह झाला इसी विधानसभा से आते हैं। इसके अलावा, सलूम्बर सीट पर बीजेपी के अमृतलाल मीणा भी दो बार से विधायक, उदयपुर ग्रामीण से बीजेपी के फूल सिंह मीणा दो बार से विधायक, मावली विधानसभा में धर्मनारायण जोशी विधायक हैं, जो 2018 में जीते है। झाड़ोल में अभी बीजेपी से बाबूलाल खराड़ी भी 2018 में जीते है। यहां 8 में से 2 सीटों पर कांग्रेस का वर्चस्व ज्यादा है। वल्लभनगर में साल 2018 से पहले जनता सेना के रणधीर सिंह भिंडर जीते और फिर कांग्रेस के गजेंद्र सिंह शक्तावत को जीत मिली। इनका निधन होने के बाद उपचुनाव में इनकी पत्नी प्रीति शक्तावत खड़ी हुईं जिन्होंने जीत हासिल की है। साथ ही खेरवाड़ा विधानसभा सीट पर कांग्रेस के दयाराम परमार दो बार से जीत रहे हैं। यहां बीजेपी को चुनौती है।