उच्च न्यायालय के निर्णय के आधार पर अजमेर अरबन को-ऑपरेटिव बैंक के खाताधारकों को लौटाएंगे पैसा - सहकारिता मंत्री
सहकारिता मंत्री श्री उदयलाल आंजना ने सोमवार को विधानसभा में आश्वस्त किया कि अजमेर अरबन को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड के खाताधारकों को उनका जमा पैसा लौटाने के संबंध में उच्च न्यायालय का निर्णय आने पर कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने बताया कि न्यायालय में इस मामले में विभाग द्वारा लगातार पैरवी की जा रही है।
सहकारिता मंत्री ने प्रश्नकाल के दौरान इस संबंध में सदस्यों द्वारा पूछे गये पूरक प्रश्नों का जवाब देते हुए कहा कि दी अजमेर अरबन को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड, अजमेर में वित्तीय अनियमितताओं के कारण संचालक मण्डल को भंग कर 26 फरवरी 2010 को प्रशासक नियुक्त किया गया था। उन्होंने बताया कि अवसायन के समय दोषी ऋणियों से 16 करोड़ 94 लाख रुपये का ऋण बकाया था। इसमें से 7 करोड़ 64 लाख रुपये वसूल किये गए हैं। उन्होंने बताया कि 4 करोड़ के प्रकरण उच्च न्यायालय में विचाराधीन हैं तथा 5 करोड़ के ऋण बिना गारंटी के थे, जिन्हें 2006 की ऑडिट में डूबत की श्रेणी में डाल दिया गया था। उन्होंने बताया कि 42 लाख रुपये के ऋण में प्रॉपर्टी खुर्द बुर्द हो गई है। उन्होंने बताया कि सरकार की मंशा है कि जिसने बैंक में पैसा जमा कराया है, उसका पैसा डूबे नहीं। उन्होंने बताया कि उच्च न्यायालय के स्थगन के कारण पैसा लौटाने की कार्रवाई आगे नहीं बढ़ पा रही है। उन्होंने आश्वस्त किया कि कोर्ट में विभाग द्वारा लगातार पैरवी की जा रही है तथा कोर्ट के फैसला आने के पश्चात् तदनुसार कार्रवाई की जाएगी।
इससे पहले सहकारिता मंत्री ने विधायक श्रीमती अनीता भदेल के मूल प्रश्न के लिखित जवाब में बताया कि दी अजमेर अरबन को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड, अजमेर के संचालक मण्डल को भंग कर 26 फरवरी 2010 को प्रशासक नियुक्त किया गया था। दोषी ऋणियों से वसूली हेतु राजस्थान सहकारी सोसायटी अधिनियम 2001 की धारा 99 व 100 एवं राजस्थान सहकारी सोसायटी नियम 2003 के नियम 94 के तहत प्रक्रिया अपनाकर वसूली की कार्यवाही की गई। उन्होंने कहा कि अधिनियमान्तर्गत कार्यवाही करते हुए सम्पत्ति नीलाम कर तीन ऋणियों से 51.61 लाख रूपये की वसूली की गई। उन्होंने इसका विवरण सदन के पटल पर रखा।
श्री आंजना ने कहा कि अजमेर अरबन को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड के तीन ऋणियों को माननीय राजस्थान उच्च न्यायालय से नीलामी पर स्थगन आदेश प्राप्त हुआ है। उन्होंने बताया कि स्थगन आदेशों को वैकेट कराने की प्रक्रिया जारी है एवं प्रकरण न्यायिक प्रक्रियाधीन है।