प्रतापगढ़। प्रतापगढ़ जिले के वन क्षेत्र में इन दिनों हरे पेड़ों पर कुल्हाड़ी चल रही है। ऐसे में यहां पेड़ों की संख्या कम होती जा रही है। जिससे पर्यावरणविदें में रोष है। बताया गया कि इन क्षेत्रों में गत कई वर्षों से अवैध कटाई का खेल चल रहा है। जिससे यहां की हरियाली भी कम होती जा रही है। ऐसे में जिले में वन विभाग की ओर से गठित की गई वन सुरक्षा समितियों की ओर से भी चिंता जताई है। वन विभाग और प्रशासन पर इन गतिविधियों पर अंकुश लगाने की मांग की गई है। जिले के देवगढ़ रेंज में गत कई वर्षों से पेड़ों की अवैध कटाई हो रही है। इस संबंध में वन सुरक्षा एवं प्रबंधकीय समिति ने देवगढ़ रेंजर को ज्ञापन देकर सुरक्षा दीवार की मांग की है। वन सुरक्षा समिति के अध्यक्ष मन्नालाल मीणा ने बताया कि चिकलाड़ वन खंड के पश्चिमी-दक्षिणी तरफ खूंटगढ़, बोरका वेला, आड़ावेला गांव की जमीन इस क्षेत्र से मिलती है। यहां कई बाहर के लोगों ने अतिक्रमण कर रखा है। यहां हरे पेड़ों को काटकर खेती करना शुरू कर दिया है। यहां कई लोगों ने कब्जा भी बेच दिया है।
जब भी वन सुरक्षा समिति के सदस्य मौके पर जाते है, जो विवाद किया जाता है। हाल ही में उछा वेला जगह पर भी पेड़ काट दिए गए है। यहां कब्जे के लिए सीमांकन किया जा रहा है। इसे लेकर समिति के सदस्यों ने यहां प्लांटेशन करने और कार्रवाई की मांग की है। जंगल में वन माफिया की ओर से पेड़ों की कटाई को सामान्य तरीके से अंजाम दिया जाता है। पर्यावरणविदें और वन कर्मचारियों ने बताया कि कटाई से पहले झाड़ियाें को साफ किया जाता है। इसके बाद बड़े पेड़ों की कटाई की जाती है। जिसके बाद पेड़ों के गट्टों को छोटे आकार में काटा जाता है। यहां से वाहनों में भरकर बाहर पहुंचाया जाता है। वन क्षेत्र में कई जगह पेड़ों की अवैध कटाई हो रही है। जिले के धरियावद रेंज के मउड़ीखेड़ा, मलाड़ा ब्लॉक पीपलीखेड़ा, सीहाड़, अरामपुरा, मायदा, मांडकला समेत सीतामाता वन्यजीव अभयारण्य में भी कई जगह अवैध रूप से पेड़ों की कटाई की जा रही है। वन क्षेत्र को बचाना ही हमारा प्रथम कर्तव्य है। हम वन क्षेत्र में अवैध गतिविधियों को रोकने के लिए कार्रवाई करते है। विभाग की ओर से वन क्षेत्र में गश्त की जाती है। इस दौरान पकड़ में आने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई भी की जाती है। देवगढ़ क्षेत्र में भी अवैध कटाई की शिकायतें मिली है। इस पर स्टाफ को निर्देश दिए गए है कि वहां जाकर सख्त कार्रवाई की जाए।