इलेक्ट्रॉनिक, डिजिटल और सोशल मीडिया पर राजनीतिक विज्ञापनों का अधिप्रमाणन आवश्यक 25 और 26 जून
डूंगरपुर । भारत निर्वाचन आयोग के आदेशों की अनुपालना में प्रत्येक राजनीतिक दल को अपने प्रचार-प्रसार के विज्ञापनों का अधिप्रमाणन करवाना आवश्यक है। वहीं, नामांकन दाखिल करने के उपरांत प्रत्याशी की ओर से राजनीतिक विज्ञापन का अधिप्रमाणन करवाना होगा। भारत निर्वाचन आयोग के निर्देश पर जिला स्तर पर एमसीएमसी कमेटी का गठन कर दिया गया है।
जिला निर्वाचन अधिकारी अंकित कुमार सिंह ने बताया कि प्रत्येक राजनीतिक दल को चुनावी विज्ञापन का न्यूज चौनल, एफएम पर प्रसारण से पूर्व विज्ञापन को एमसीएमसी कमेटी से अधिप्रमाणित करवाना होगा। सोशल मीडिया, ब्लक एसएमएस, ऑडियो अथवा वीडियो संदेश सहित ई-पेपर में दिये जाने वाले विज्ञापनों का भी प्रकाशन एवं प्रसारण से पूर्व कमेटी द्वारा अधिप्रमाणन प्राप्त किया जाना आवश्यक है। मतदान दिवस के एक दिन पूर्व और मतदान दिवस के दिन समाचार पत्रों में प्रकाशित होने वाले राजनीतिक विज्ञापनों का भी अधिप्रमाणन करवाना अनिवार्य है।
ऐसे करें आवेदन
आवेदक को अनुलग्नक-अ में आवेदन करना होगा, जिसके साथ विज्ञापन की दो ई-कॉपी और प्रमाणित ट्रांसक्रिप्ट, आवेदित विज्ञापन के प्रसारण की लागत, प्रत्याशी या दल के लिए यह विज्ञापन उपयोगी होगा यह कथन प्रमाणित करना होगा, यह भी बताना होगा कि विज्ञापन की समस्त लागत का भुगतान चेक या ड्राफ्ट के माध्यम से किया गया है। राष्ट्रीय एवं राज्य स्तरीय राजनीतिक दलों द्वारा विज्ञापन प्रसारण से तीन दिवस पूर्व, जबकि अन्य द्वारा विज्ञापन प्रसारण से सात दिवस पूर्व आवेदन करना होगा। अधिप्रमाणन समिति द्वारा आवेदन प्राप्ति के दो दिन में आवेदनकर्ता के सूचित किया जाएगा। समिति द्वारा दिए गए सुझावों को प्रत्याशी द्वारा आगामी 24 घंटे में विज्ञापन में परिवर्धन कर पुनः समिति के समक्ष रखना होगा। कमेटी अनुलग्नक -ब में प्रमाण पत्र जारी करेगी।
विज्ञापन में इन बातों का रखें ध्यान
सुप्रीम कोर्ट एवं भारत निर्वाचन आयोग के निर्देशानुसार, विज्ञापन प्रसारण में केबल टेलीविजन नेटवर्क (विनियमन) अधिनियम, 1995 और केबल टेलीविजन नेटवर्क नियम 1994 के प्रावधानों का ध्यान रखा जाना आवश्यक है। इसके अनुसार, किसी भी केबल ऑपरेटर को ऐसे किसी भी विज्ञापन को प्रसारित या पुनः प्रसारित करने से प्रतिबंधित किया जाता है जो कि निर्धारित कार्यक्रम कोड और विज्ञापन कोड के अनुरूप नहीं है तथा जिनसे ‘‘धर्म, नस्ल, भाषा, जाति या समुदाय या किसी भी अन्य आधार पर शत्रुता को बढ़ावा देने की संभावना है अथवा जिससे धर्म, नस्लीय, भाषाई या क्षेत्रीय समूहों या जातियों या समुदायों के बीच वैमनस्य या शत्रुता, घृणा या द्वेष की भावना बढ़ने या जिससे सार्वजनिक शांति भंग होने की संभावना हो‘‘। केबल सेवा में दिया गया कोई भी विज्ञापन इस प्रकार डिजाइन किया जाए कि वह देश के कानूनों के अनुरूप हो और उपभोक्ता की नैतिकता, शालीनता और धार्मिक संवेदनशीलता को ठेस न पहुंचाए। किसी भी ऐसे विज्ञापन की अनुमति नहीं दी जाएगी जो किसी भी ‘‘नस्ल, जाति, रंग, पंथ और राष्ट्रीयता का उपहास करता हो, भारत के संविधान के किसी भी प्रावधान के खिलाफ हो और किसी भी रूप में लोगों को अपराध के लिए उकसाता हो अथवा अव्यवस्था या हिंसा का कारण बनता हो या कानून का उल्लंघन करता हो या हिंसा या अश्लीलता का महिमामंडन करता हो‘‘। साथ ही आर. पी. एक्ट, 1951 की धारा-126 के प्रावधानों की पालना भी आवश्यक है। राजनीतिक विज्ञापनों में अन्य देशों की आलोचना, धर्मों या समुदायों पर हमला, कुछ भी अश्लील या अपमानजनक, हिंसा के लिए उकसाना, न्यायालय की अवमानना, समकक्ष, राष्ट्रपति और न्यायपालिका की सत्यनिष्ठा पर आक्षेप, राष्ट्र की एकता, संप्रभुता और अखंडता को प्रभावित करने वाली कोई भी चीज, किसी भी व्यक्ति के नाम से कोई आलोचना आदि नहीं पाए जाने चाहिए। राजनीतिक विज्ञापनों को प्रमाणित करते समय आदर्श आचार संहिता में उल्लेखित राजनीतिक दलों और उम्मीदवारों के लिए ‘क्या न करें’ के मापदंडों को भी ध्यान में रखा जाएगा। मंदिर, मस्जिद, चर्च, गुरुद्वारा या किसी भी पूजा स्थल, धार्मिक पाठ, प्रतीकों, नारों का चुनाव प्रचार के पोस्टर, वीडियो, ग्राफिक्स, संगीत आदि में उपयोग, रक्षा कर्मियों की तस्वीरें और रक्षा कर्मियों से जुड़े समारोहों की तस्वीरें, अन्य दलों के नेताओं या कार्यकर्ताओं के निजी जीवन के किसी भी पहलू (जो उनकी सार्वजनिक गतिविधियों से नहीं जुड़े हों), असत्यापित आरोपों या विकृतियों के आधार पर अन्य पार्टियों या उनके कार्यकर्ताओं की कोई आलोचना नहीं की जा सकती। किसी राजनीतिक दल या उम्मीदवार के खिलाफ विज्ञापनों की भी अनुमति नहीं दी जा सकती।