झुंझुनू। झुंझुनू पशु चारे की बढ़ती कीमतों और प्राकृतिक आपदाओं के कारण फसलों के उत्पादन में होने वाले नुकसान से पशुपालकों को अब कुछ हद तक राहत मिलने लगी है। पशुओं को हरा चारा उपलब्ध कराने के लिए कृषि विभाग ने जिले में अनुदान पर संकर नेपियर घास के प्रदर्शन लगाए हैं। इस घास को हाथी घास भी कहा जाता है। खास बात यह है कि अन्य हरे चारे की तुलना में इस घास में 55 से 60% ऊर्जा तत्व और 8 से 10% प्रोटीन होता है। साथ ही किसान को बार-बार निराई, गुड़ाई या रासायनिक खाद और कीटनाशकों की भी जरूरत नहीं पड़ती। बेहद कम लागत में तैयार होने वाली इस घास से किसान हर 3 महीने में एक बीघे में कटाई करके 20 टन से अधिक उपज प्राप्त कर सकते हैं।
अंगासर के किसान सज्जन सिंह ने बताया कि बोई गई नेपियर घास की तीन कटिंग भी हो चुकी है। अधिकांश किसानों ने नेपियर घास की सीओ किस्म को प्राथमिकता दी है। अच्छी बात यह है कि नेपियर घास की प्रकृति ठंडी होने के कारण पशुओं में लू लगने की संभावना भी कम होती है। जबकि इस घास को एक बार बोना पड़ता है। इसके बाद 8 से 10 साल तक अच्छी पैदावार ली जा सकती है. हाइब्रिड नेपियर घास फरवरी से मार्च और जुलाई से अक्टूबर के बीच लगाई जाएगी। यह घास कम जगह और समय में अधिक उत्पादन दे सकती है. जिससे पशुओं को साल भर हरा चारा मिल सकेगा।
गर्मी के मौसम में पशुपालक हरे चारे की कमी से परेशान रहते हैं. घास की सिंचाई मार्च से जून तक आठ से दस दिन के अंतराल पर तथा सर्दी के मौसम में 15 से 20 दिन के अंतराल पर की जाती है। इस घास की पहली कटाई बुआई के दो महीने बाद की जाती है। इसके बाद हर माह इस घास को काटा जाएगा। इसका असर दूध उत्पादन के साथ-साथ पशुओं के स्वास्थ्य पर भी पड़ता है। कृषि उपनिदेशक ने बताया कि जिले के प्रत्येक पंचायत में दो-दो क्षेत्रों में प्रदर्शन का आयोजन किया गया है.नेपियर घास प्रदर्शनों का निरीक्षण किया जा रहा है। शेखावाटी की जलवायु के अनुरूप इनका उत्पादन अच्छा हो रहा है, जिससे किसानों को फायदा होगा।