कोटा में लगेगी पशु श्मशान मशीन, 600 किलो तक के जानवरों का किया जा सकता है अंतिम संस्कार
600 किलो तक के जानवरों का किया जा सकता है अंतिम संस्कार
कोटा, इंसानों के साथ-साथ राज्य में ऐसा पहली बार होगा जब मरे हुए जानवरों का भी अंतिम संस्कार किया जा सकेगा। जल्द ही कोटा में ऐसा होने जा रहा है। इसके लिए कोटा के आरके पुरम स्थित मुक्ति धाम में अलग से श्मशान घाट बनाया जाएगा। जिसका काम चल रहा है।
यूडीएच मंत्री शांति धारीवाल ने भी इस पर सहमति जताई है। कोटा की मातेश्वरी सेवा संस्थान की तरफ से यह कदम उठाया जा रहा है। मातेश्वरी सेवा संस्थान के निदेशक गोविंद राम मित्तल ने बताया कि मनुष्य के बारे में तो हर कोई सोचता है लेकिन पशुओं को लेकर कोई भी नहीं सोचता। मृत पशुओं को उठाकर शहर की सीमा पर या जंगल में फेंक दिया जाता है। जिसके चलते हैं पर्यावरण भी प्रदूषित होता है और मानवीय दृष्टि से भी सही नहीं है।
ऐसे में जब आरके पुरम के मुक्तिधाम में पीएनजी गैस से चलने वाले श्मशान घाट की योजना बनाई गई और निर्माण कार्य शुरू किया गया तो तय हुआ कि पशुओं के दाह संस्कार की भी व्यवस्था की जाएगी। ऐसे में नगर पालिका में इस संबंध में प्रस्ताव भी बनाया गया था। कोटा में पीएनजी से चलने वाला श्मशान घाट खुल गया है। जल्द ही पशुओं के दाह संस्कार के लिए श्मशान घाट भी खोला जाएगा।
यूडीएच मंत्री शांति धारीवाल भी इसके लिए राजी हो गए हैं। गोविंद राम मित्तल ने बताया कि एक श्मशान घाट तैयार किया जा रहा है जहां 600 किलो वजन के जानवरों का अंतिम संस्कार किया जा सकेगा। 100 किलो तक वजन वाले जानवरों के दाह संस्कार में 2 घंटे लगेंगे। जो मजदूर मरे हुए जानवरों को शहर के बाहर ले गए और उन्हें फेंक दिया, वे उन्हें यहां ला सकेंगे और उनका अंतिम संस्कार कर सकेंगे।