जयपुर। भारतीय मजूदर संघ एवं अखिल भारतीय आंगनबाड़ी कर्मचारी महासंघ से संबंद्ध राजस्थान आंगनबाड़ी कर्मचारी महासंघ की 15 हजार से ज्यादा आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं, सहायिका, आशा एवं ग्राम साथिन बहनों ने ''हुंकार-रैली'' निकालकर सरकार को अपनी मांगों को लेकर चेताया। यह रैली शहीद स्मारक, गवर्नमेंट हॉस्टल से शुरू होकर, सीपीएमजी ऑफिस, चौमूं हाउस सर्किल होते हुए सिविल लाइन फाटक पहुंची। जहां पर महिला कर्मचारियों का सैलाब दिखाई दे रहा था, जो अपनी मांगों को लेकर सरकार को खुले शब्दों में चेतावनी दे रहा था कि यदि उनकी मांगों पर सरकार गंभीर नहीं हुई तो आने वाले चुनावों में इसका परिणाम भुगतना पड़ सकता है।
रैली को संबोधित करते हुए आंगनबाड़ी कर्मचारी महासंघ की अध्यक्ष इंदुबाला चौहान ने कहा कि वर्तमान राजस्थान सरकार ने अभी तक हमारी मांगों को दरकिनार किया है। अब समय है कि हम संगठित होकर इस राजस्थान सरकार को नारी शक्ति को बोध कराएं। उन्होंने कहाकि अभी तो यह लड़ाई का प्रथम चरण है यदि सरकार ने हमारी मांगों पर ध्यान नहीं दिया तो आने वाले दिनों में हर घर की महिलाओं को हम लेकर जयपुर का कूच करेंगे और जयपुर में केवल नारी शक्ति ही दिखेगी। महासंघ की महामंत्री राधा शर्मा ने अपने संबोधन में कहा कि आज आंगनबाड़ी की बहने सुबह से लेकर रात तक सरकार को हर प्रकार का सहयोग करने में लगी हैं। हम बहने ही हैं जो घर-घर सरकारी योजनाओं को पहुंचा रही हैं लेकिन फिर भी सरकार सोयी हुई है, अभी तो हम सरकार को जगाने आएं हैं और सरकार यदि नींद से नहीं जागी तो हम बहनें सरकार का ''ईंट से ईंट बजाने'' का माद्दा भी रखती हैं।
महासंघ की कार्यकारी अध्यक्ष सरिता बंसल ने सभी कार्यकर्ताओं को जोशीले नारों के साथ शपथ दिलाई कि यदि सरकार ने हमारी मांगे नहीं मानी तो हम आने वाले समय में प्रत्येक घर की महिलाओं को अपने स्वाभिमान के लिए जागृत कर सरकार को जगाएंगे। मांग-पत्र के लिए मुख्यमंत्री कार्यालय से आरती डोगरा, सचिव मुख्यमंत्री का फोन आया जिसके बाद 11 सदस्यीय दल प्रभारी भोलानाथ आचार्य एवं राधा शर्मा की अगुवाई में ज्ञापन सौंपा। राज्य सरकार ने डेलीगेशन को बुलाने के बाद घंटे बैठाए रखा। साथ ही डेलीगेशन कुछ प्रतिनिधियों को बुलाया कुछ को नहीं बुलाया। साथ ही कोई वार्ता नहीं हुई। इसलिए आम सभा ने सरकार के खिलाफ निंदा प्रस्ताव पारित करते हुए प्रत्येक जगह सरकार एवं उसके मंत्रियों को काले झण्डे दिखाने सहित संपूर्ण विरोध का प्रस्ताव पारित किया।' भारतीय मजदूर संघ के मीडिया प्रभारी विकास तिवाड़ी ने बताया कि आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, मिनी कार्यकर्ता, सहायिका, आशा सहयोगिनी और ग्राम साथिनों को सरकारी कर्मचारी घोषित करने की मांग सालों से लंबित है। जब तक इन्हें सरकारी कर्मचारी घोषित नहीं करें, तब तक न्यूनतम 18 हजार रुपये दिलाने और सेवा निवृत्ति पर 5 लाख रुपए ग्रेच्युटी के अलावा 5000 रुपए पेंशन प्रतिमाह दिलाने की मांग लगातार सरकार से की जा रही है। लेकिन सरकार की ओर से कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है।