बीमारियों के खतरे के बीच सर्द हवा से ठिठुर रहे नर्सिंग स्टूडेंट्स

Update: 2022-12-28 13:51 GMT

कोटा न्यूज़: एमबीएस व जेकेलोन अस्पताल में मरीजों को स्वच्छता का पाठ पढ़ाने वाले नर्सिंग स्टूडेंट्स खुद गंदगी-संक्रमण के बीच दिन गुजारने को मजबूर हैं। नयापुरा स्थित करीब 35 साल पुराना राजकीय नर्सिंग हॉस्टल जर्जर हो चुका है। हॉस्टल के कमरों की खिड़कियां टूटी हुई हैं। जिनमें से सर्द हवाएं कमरे में प्रवेश करती है। हॉस्टल के चारों ओर बड़े-बड़े झाड़-झंगाड़ उगे हुए हैं, जिनमें जहरीले जीव-जंतुओं की मौजूदगी से हर पल जान का खतरा बना रहता है। भवन के पीछे गंदा नाला है, जिसकी बरसों से सफाई नहीं हुई। दुर्गंध से जहां विद्यार्थियों का सांस लेना मुश्किल हो रहा है वहीं खतरनाक बीमारियों के मच्छर पनप रहे हैं। वहीं, जर्जर भवन में खिड़कियां व दरवाजे भी क्षतिग्रस्त हो रहे हैं। जिसकी भी मरम्मत नहीं करवाई गई। सर्द हवाओं से स्टूडेंट ठिठुर रहे हैं। शिकायतों के बावजूद अधिकारियों द्वारा समाधान नहीं करवाया जा रहा। इतना ही नहीं, हॉस्टल कॉरिडोर में लगे बिजली के पैनल क्षतिग्रस्त हो रहे हैं। आए दिन स्पार्किंग होने से करंट का खतरा बना रहता है। दरअसल, लंबे समय से हॉस्टल की मरम्मत नहीं करवाई गई। साथ ही सुरक्षा के इंतजाम भी नहीं हैं। हॉस्टल परिसर में पर्याप्त बिजली व्यवस्था भी नहीं है। शाम होते ही अंधेरा छा जाता है। दिन गिरता रहता हैं। पूर्व में भी सीलिंग के चलते दीवारों में करंट आने की घटना हो चुकी है।

शॉर्ट सर्किट और पानी की सप्लाई बंद: राजकीय नर्सिंग कॉलेज से जीएनएम कर रहे छात्र ने बताया कि चार क्लास अटेंड करने के बाद चार घंटे अस्पताल में डयूटी करते हैं। हॉस्टल में सुविधाओं का आभाव है। दीवारों व छतों का प्लास्टर उखड़े हुए हैं। कमरों का मेंटिनेंस भी छात्र खुद के खर्चें पर करवा रहे हैं। आए दिन छतों का प्लास्टर गिरने की घटनाएं होती है। सीलनभरी दीवारों से उठती दुर्गंध से सांस लेना मुश्किल होता है। बिजली के पैनल खुले पड़े हैं। शोर्ट सर्किट के कारण अक्सर बिजली गुल रहती है। जिससे पानी की सप्लाई बाधित हो जाती है। वहीं सुविधा घर में फर्श धंस चुका है। हमने वार्डन व प्रिंसिपल से भी शिकायत की है, लेकिन समाधान नहीं हुआ।

खिड़कियां टूटी, सर्द हवाओं से गल रहे कमरे:

हॉस्टल के कमरों की खिड़कियां टूटी हुई है। जिनसे सर्द हवाओं के प्रवेश से कमरे में गलन रहती है, जिससे छात्र सर्दी से ठिठुर रहे हैं। वहीं, हॉस्टल के आसपास बड़ी-बड़ी झाड़- झाड़ियां उगी हुई हैं, जिनमें जहरीले जीव जंतुओं की मौजूदगी बनी हुई है। उनका टूटी खिड़कियों के माध्यम से कमरों में पहुंचने का भी खतरा बना रहता है। दीवारों के पलास्टर उखड़े पड़े हैं।

कमरों के बाहर करंट का खतरा: नाम न छापने की शर्त पर नर्सिंग कर रहे स्टूडेंटस ने बताया कि हॉस्टल कॉरिडोर में कमरों के बाहर बिजली के तार लटके पड़े हैं। तार जगह-जगह से क्षतिग्रस्त हैं। बिजली पैनल कबूतरों का घोंसला बना हुआ है। तार लूज हो चुके हैं। वहीं दीवारों में अंडरग्राउड हो रही वायरिंग जगह-जगह से क्षतिग्रस्त है, जिससे करंट का खतरा बना रहता है। वहीं, बरामदे की छतों के बड़े-बड़े पलास्टर आए।

अस्पताल अधीक्षक ने नहीं दिया जवाब: इस संबंध में एमबीएस अस्पताल अधीक्षक डॉ. दिनेश वर्मा को फोन व व्हाट्सअप पर मैसेज किया था लेकिन उन्होंने न तो फोन उठाया और न ही मैसेज का जवाब दिया।

बीमारियों का खतरा: नर्सेज एसोसिएशन के वरिष्ठ उपाध्यक्ष गजेंद्र सामरिया व फरहत चिश्ती ने बताया कि जेकेलोन अस्पताल के पीछे स्थित नर्सिंग हॉस्टल लंबे समय से जर्जर अवस्था में है। हॉस्टल के चारों ओर गंदगी का अम्बार लगा हुआ है। जिससे गंभीर बीमारियों का खतरा मंडरा रहा है। वहीं, हॉस्टल परिसर में पर्याप्त बिजली व्यवस्था भी नहीं है। शाम ढलते ही परिसर में अंधेरा हो जाता है। परिसर से लेकर कमरों के पीछे तक बड़ी-बड़ी झाड़ियां उगी हुई हैं। जिसमें जहरीले जीव-जंतुओं की मौजूदगी बनी हुई है। जिससे अनहोनी का खतरा बना रहता है।

श्वान व सुअरों का आतंक: एसोसिएशन के अध्यक्ष अरुण कुमार जांगिड़ ने बताया कि हॉस्टल परिसर में दिनरात आवारा मवेशियों का जमावड़ा लगा रहता है। सबसे ज्यादा परेशानी श्वान और सुअरों की है। भोजन की तलाश में यह कमरों तक पहुंच जाते हैं। वहीं, रात में हॉस्टल आने-जाने के दौरान काटने को दौड़ते हैं। वहीं, हॉस्टल परिसर में सुरक्षा गार्ड की पर्याप्त व्यवस्था नहीं है। जिसकी वजह से गत महीनों में चोरी की कई वारदातें हो चुकी है। तीन रेजिडेंट डॉक्टरों की बाइक व कई कारों की बैट्रियां तक चुरा ले गए।

4.8 करोड़ से बनेगा नया जीएनएम हॉस्टल: एमबीएस अस्पताल परिसर में जल्द ही जी-5 कैटगरी का नया जीएनएम हॉस्टल बनेगा। जिसके लिए 4 करोड़ 8 लाख रुपए का बजट स्वीकृत हो चुका है। हॉस्टल 6 मंजिला होगा। यूआईटी सचिव को पत्र लिखकर परमिशन मांगी है। परमिशन मिलने के एक महीने बाद ही टेंडर प्रक्रिया शुरू कर दी जाएगी। आगामी वर्ष में सुविधायुक्त हॉस्टल बनकर तैयार हो जाएगा। इसका 180 जीएनएम विद्यार्थियों को लाभ मिलेगा। यहां गर्ल्स व बॉयज दोनों के अलग-अलग हॉस्टल बनेंगे।

- विष्णुदत्त यादव, प्रिंसिपल राजकीय जीएनएम कॉलेज 

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