साइबेरियन सारस के बाद राजहंस ने भी मोड़ा मुंह

राजहंसों (Flamingo) का केवालदेव राष्ट्रीय उद्यान (Keoladeo National Park) से मोहभंग कई कारणों से हुआ है. पक्षी विशेषज्ञ भोलू अबरार ने बताया कि जब उद्यान में पर्याप्त मात्रा में प्राकृतिक जल स्रोतों से स्वच्छ पानी आता था

Update: 2021-11-20 09:02 GMT

जनता से रिश्ता। राजहंसों (Flamingo) का केवालदेव राष्ट्रीय उद्यान (Keoladeo National Park) से मोहभंग कई कारणों से हुआ है. पक्षी विशेषज्ञ भोलू अबरार ने बताया कि जब उद्यान में पर्याप्त मात्रा में प्राकृतिक जल स्रोतों से स्वच्छ पानी आता थाऔर उनके लिए पर्याप्त हैबिटाट (Habitat) (प्राकृतिक वास) उपलब्ध था, तब तक यहां बड़ी संख्या में राजहंस (Flamingo) आते थे. लेकिन बीते दो दशक से उद्यान में पानी और भोजन की उपलब्धता में कमीं के साथ ही इनकी संख्या में भी कमी आने लगी है. पक्षी विशेषज्ञ डॉ के पी सिंह ने बताया कि फ्लेमिंगो पक्षी (Flamingo) को नमकीन और स्वच्छ पानी चाहिए. प्रदूषित पानी में फ्लेमिंगो पक्षी (Flamingo) प्रवास नहीं करता. स्वच्छ और नमकयुक्त मिट्टी वाले स्थान पर ही फ्लेमिंगो का भोजन उपलब्ध हो पाता है. प्रदूषित पानी में फ्लेमिंगो का भोजन धीरे धीरे नष्ट या फिर कम हो जाता है, इसलिए ये पक्षी ऐसे स्थान से दूरी बना लेते हैं.

डॉ के पी सिंह ने बताया कि घना में आने वाले गोवर्धन ड्रेन के पानी में हैवी मेटल के पॉल्यूटेड कंटेंट हैं. यदि ऐसे पानी को घना के हैबिटाट में डाला जाएगा तो वह उसके पूरे हैबिटाट को खराब कर देगा. फ्लेमिंगो (Flamingo) के लिए प्रदूषित पानी जहर के समान है.
पर्यावरणविद डॉ केपी सिंह ने बताया कि एक तरफ जहां केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान (Keoladeo National Park) में बीते वर्षों में लगातार फ्लैमिंगो की संख्या कम हो रही है, वहीं भरतपुर से 35 किलोमीटर दूर उत्तर प्रदेश के जोधपुर झाल (Jodhpur Jhal) में फ्लेमिंगो (Flamingo) की संख्या में काफी इजाफा हुआ है. इसकी खास वजह यही है कि घना के अंदर फ्लैमिंगो (Flamingo)का हैबिटाट धीरे धीरे खत्म हो रहा है, जोधपुर झाल का हैबिटाट अभी तक प्योर है.
पर्यावरणविद (Environmentalist) डॉ केपी सिंह ने बताया कि केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान (Keoladeo National Park) में यदि फिर से राजहंस (Flamingo) की संख्या बढ़ानी है और उसे आकर्षित करना है तो सबसे पहले उद्यान के हैबिटाट (Lacking Habitat Facility) को देखना होगा कि उसे कितना नुकसान हुआ है. हैबिटाट का री-कन्स्ट्रक्शन (Habitat Re construction) किया जाना चाहिए. इसके साथ ही देखना होगा कि अगर प्रदूषित पानी (Polluted Water) जा रहा है तो उसे रोका कैसे जाए या फिर उसे ट्रीट किया जाए. राजहंस की जरूरत का हैबिटाट तैयार करना होगा. तभी राजहंस घना की तरफ लौट सकेगा.


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