सूचना प्रौद्योगिकी के बाद रुडसिको और डीएलबी में भी चल रहा खेल रिश्वत का खेल

Update: 2023-05-21 05:25 GMT

जयपुर। वो जो देखा है ख्वाब हमने, टेंडर हकीकत में बदल रहा है। नोटों के बीच झांकता टेंडर निकल रहा है।। जी हां, यह कोई कविता नहीं। बल्कि हकीकत है उस सरकारी व्यवस्था की जिससे ईमानदारी और पारदर्शिता की अपेक्षा की जाती है। पहले नगरीय विकास विभाग के प्रमुख सचिव कुंजीलाल मीणा और संयुक्त सचिव मनीष गोयल के दलाल की यूआईटी उदयपुर में गिरफ्तारी। अब शासन सचिवालय के पीछे स्थित सूचना एवं प्रौद्योगिकी विभाग के बेसमेंट में रखी सरकारी आलमारी से 2.31 करोड़ की नकदी और 1 किलो सोने की बरामदगी इस बात की प्रामाणिकता के लिए काफी है। हालांकि नौकरशाही और नेताओं के भ्रष्टाचार के कई मामले इससे पहले भी उजागर हो चुके हैं।

दरअसल, टेंडरों का यह खेल केवल सूचना एवं प्रौद्योगिकी विभाग ही नहीं बल्कि रुडसिको, रिडकोर और डीएलबी में भी बखूबी चल रहा है। भारत सरकार से राजस्थान को विभिन्न योजनाओं में अरबों रुपए का फंड मिलता है। इसे खर्च करने वाली नोडल एजेंसियों में एक रुडसिको के भी कमोबेश आईटी निदेशालय जैसे हालात हैं। अमरुत 2.0 योजना हो अथवा पूरे प्रदेश में यूडी टैक्स कलेक्शन के लिए एजेंसी नियुक्त करने का कार्य। वर्क ऑर्डर उसी फर्म या ठेकेदार को मिलता है, जिसे कार्यकारी निदेशक हृदेश कुमार चाहते हैं। वैसे इसके लिए बनी सभी परचेज कमेटियों में कार्यकारी निदेशक के साथ वित्तीय सलाहकार महेंद्र मोहन और परियोजना निदेशक अरुण व्यास भी मुख्य सदस्य हैं। तकनीकी सदस्य सचिव अधीक्षण अभियंता अजमेरा रहते हैं।

रुडसिको में इन दिनों अमरुत 2.0 योजना के तहत करोड़ों रुपए के कंसल्टेंसी कार्य का टेंडर चर्चा में है। कार्यकारी निदेशक द्वारा यह टेंडर फर्म विशेष को देने के पूरे प्रयास किए जा रहे हैं। इसके लिए नगरीय विकास मंत्री का नाम लेकर फर्म विशेष के पक्ष में शर्तों को बदला जा चुका है। खास खबर डॉट कॉम पहले ही बता चुका है कि यह टेंडर एन के बिल्डकॉन और शाह टेक्निकल कंसल्टेंसी को मिलेगा। क्योंकि प्री-बिड मीटिंग मेें इन फर्मों की ओर से दिए गए सभी सुझावों को मंजूर कर लिया गया है। जबकि अन्य फर्मों के सुझावों को सिरे से खारिज कर दिया गया। ताकि इन दोनों फर्मों को फिर से सर्वाधिक अंक 98.3 और 98.2 मिल सकें। इन अंकों के आधार पर ही टेंडर दिया जाएगा।

फर्मो को टेंडर में इतने अंक मिलने क्यों जरूरी हैंः

दरअसल, पहले यह टेंडर एक ही फर्म को दिया जाना था। लेकिन, टेंडर लेने को लेकर दो फर्मों एन. के. बिल्डकॉन और शाह टेक्निकल कंसल्टेंट के बीच झगड़ा हो गया। क्योंकि एक के पास सीएमओ और दूसरी फर्म के पास नगरीय विकास मंत्री की तगड़ी सिफारिश थी। इसलिए परचेज कमेटी के 29 सदस्य भी कुछ नहीं कर पाए। उनके फाइनल किए टेंडर को रुडसिको ने निरस्त कर दिया। अब दोनों फर्मों को खुश करने के लिए उसी टेंडर को दो भागों में बांटकर नए सिरे से टेंडर किए हैं। ताकि दोनों फर्मों को आधा-आधा काम दिया जा सके। नियमानुसार एक टेंडर के दो भाग करने पर कंसल्टेंसी फर्मों के लिए तकनीकी योग्यता भी आधी-आधी होनी चाहिए थी। लेकिन, रुडसिको ने ऐसा नहीं किया। अन्यथा चहेती फर्मों को टेंडर नहीं दे पाते।

तकनीकी शर्तों के 10 अंक, जिनका कोई औचित्य नहींः

तकनीकी नंबर क्या हैं, इसे सामान्य भाषा में ऐसे समझ सकते हैं कि अगर आपको दूसरी फर्म से एक अंक भी ज्यादा मिलता है तो समझिए कि आप 2 करोड़ रुपए जीत गए। अगर आपको 10 अंक ज्यादा मिले तो 20 करोड़ रुपए ज्यादा राशि होने पर भी आप टेंडर ले सकते हैं। रुडसिको ने एन के बिल्डकॉन और शाह टेक्नीकल कंसल्टेंट के लिए 10 नंबर ज्यादा रखे हैं। इसलिए अब इन दोनों फर्मों को टेंडर देने में कोई रिस्क नहीं है। लेकिन, रुडसिको की टेंडरबाजी में चल रहे इस खेल पर नगरीय विकास, आवासन एवं स्वायत्त शासन मंत्री शांति धारीवाल क्यों चुप्पी साधे हुए हैं। यह आश्चर्य का विषय है।

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