तीन साल में हुई आग लगने की करीब 2 हजार घटनाएं

Update: 2023-02-23 14:54 GMT

कोटा: जिस तरह से फरवरी में ही गर्मी ने तेवर दिखाने शुरू कर दिए हैं। उस हिसाब से मार्च से जून के बीच गर्मी अधिक पड़ने की संभावना है। ऐसे में आग जनित घटनाओं के भी अधिक होने की आशंका बनी हुई है। जिसे देखते हुए आग जनित घटनाओं पर काबू पाने के लिए निगम का अग्निशमन बेड़ा पूरी तरह से तैयार है। बेड़े में न तो संसाधनों की कमी है और न ही मैन पावर की। पिछले काफी समय से संसाधनों व मैन पावर की कमी से जूझ रहे नगर निगम का अग्निशमन बेड़ा वर्तमान में काफी मजबूत स्थिति में है। गर्मी का मौसम शुरू होने के साथ ही शहर व ग्रामीण क्षेत्र में आग जनित घटनाएं भी बढ़ने की आशंका रहती है। इसे देखते हुए निगम के अग्निशमन बेड़े ने अभी से तैयारी पूरी कर ली है। मार्च से ही गर्मी का मौसम शुरू हो जाता है। उसके साथ ही जून तक करीब चार महीने कड़ाके की गर्मी पड़ती है। जिसमें जगह-जगह पर आग लगने की घटनाएं भी अधिक होती हैं। हालांकि पूर्व के वर्षों में कई बार संसाधनों की कमी व पुरानी दमकलें होने से आग वाली घटना पर पहुंचने में समय अधिक लगने समेत कई समस्याओं का सामना करना पड़ता था। लेकिन इस बार ऐसा नहीं होगा। निगम का अग्निशमन बेड़ा पूरी तरह से मजबूत स्थिति में है। फायरमैन ने अभी से इसकी तैयारी भी शुरू कर दी है। छोटे उपकरणों की सार संभाल के साथ ही दमकलों को भी सही करवा लिया गया है।

32 दमकलें और 140 फायरमैन हैं बेड़े में

शहर के विकास व विस्तार के साथ ही निगम के अग्निशमन बेड़े को भी मजबूृत किया गया है। व्यवस्था की दृष्टि से भे ही शहर को कोटा उत्तर व दक्षिण निगम में बांट दिया गया है। लेकिन आग जैसी आपात स्थिति में दोनों निगम एक साथ मिलकर काम कर रहे हैं। नगर निगम कोटा उत्तर व दक्षिण में वर्तमान में कुल छोटी बड़ी 32 दमकलें है। जिनमें दोनों में 16-16 हैं। साथ ही एक-एक 44 मीटर व 60 मीटर वाली हाइड्रोलिक लेडर भी है। वहीं दोनों निगमों में 70 स्थायी फायरमैन और 70 सिविल डिफेंस के स्वयं सेवक लिए हुए हैं। दोनों निगमों में 5-5 स्थायी ड्राइवर, 30 संविदा वाले व 4 स्थायी गोताखोर भी आपात स्थिति में आग बुझाने में भी उपयोग लिए जाते हैं। हालांकि अग्निशमन बेड़े में अभी भी पुराने शहर की तंग गलियों में आग लगने की घटना पर काबू पान के लिए मोटर बाइक दमकलों की कमी बनी हुई है।

उत्तर निगम में फायर स्टेशनों की दरकार

शहर के विकास व विस्तार को देखते हुए निगम के अग्निशमन बेडे में संसाधन व मैन पावर तो भरपूर हो गई है। लेकिन कोटा उत्तर में अभी भी फायर स्टेशनों की दरकार है। कोटा दक्षिण निगम क्षेत्र में तो भामाशाह मंडी, श्रीनाथपुरम् व रानपुर में तीन फायर स्टेशन है। जबकि कोटा उत्तर में मात्र एक सब्जीमंडी फायर स्टेशन है। जबकि कोटा उत्तर के नदी पार कुन्हाड़ी, पटरी पार रेलवे कॉलोनी और बारां रोड पर नया नोहरा क्षेत्र में फायर स्टेशनों की आवश्कता महसूस की जा रही है।

अधिकतर आग शॉर्ट सर्किट से

मार्च से जून के बीच में आग लगने की घटनाएं अधिक होती है। इसका कारण अधिकतर शॉर्ट सर्किट सामने आता है। गर्मी में एसी चलने पर उनमें लोड अधिक होने से शॉर्ट सर्किट हो जाता है। फैक्ट्रियों व ’वलन शील पदार्थ वाली जगहों में आग अधिक लगती है। ग्रामीण क्षेत्रों में पराल और खेतों में खड़ी फसल में भी आग लगने की अधिक घटनाएं होती हैं।

तीन साल में हुई करीब 2 हजार घटनाएं

शहर में पिछले तीन साल में आग लगने की करीब 2 हजार घटनाएं हुई हैं। इस हिसाब से हर साल करीब 650 से 700 घटनाएं आग लगने की होती हैं। नगर निगम के अग्निशमन विभाग से प्राप्त जानकारी के अनुसार वर्ष 2020-21 में 681 घटनाएं हुई थी। जिनमें से उत्तर में 278 व दक्षिण में 403 घटनाएं हुई। 2021-22 में कुल 600 घटनाएं हुई। जिनमें से उत्तर में 375 व दक्षिण में 225 घटनाएं हुई। इसी तरह वर्ष 2022-23 में कुल 702 घटनाएं हुई। जिनमें से उत्तर में 484 व दक्षिण में 218 घटनाएं हुई। इस तरह से पिछले तीन साल में कुल 1983 घटनाएं हुई। इनमें से अधिकतर घटनाएं निगम क्षेत्र में और कई घटनाएं ग्रामीण क्षेत्रों की भी शामिल हैं।

इनका कहना

मार्च से जून के बीच आग लगने की घटनाएं अधिक होती हैं। शहरी व ग्रामीण क्षेत्रों में हर साल 600 से अधिक घटनाएं होती हैं। उन पर काबू पाने के लिए निगम का अग्निशमन बेड़ा काफी मजबूत हो गया है। दमकलों से लेकर फायरमैन तक पर्याप्त हैं। सिविल डिफें स के स्वयं सेवक की फायरमैन के रूप में लिए हुए हैं। मोटर बाइक दमकलों का प्रस्ताव सरकार को भेजा हुआ है। शीघ्र ही उनके भी आने की संभावना है। कोटा उत्तर क्षेत्र के विकास व विस्तार को देखते हुए यहां नदी पार, पटरी पार व बारां रोड पर फायर स्टेशनों की आवश्यकता है। जिससे आग लगने की घटना होने पर दमकलों के पहुंचने का रेस्पींस समय कम हो सके।

-राकेश व्यास, सीएफओ, नगर निगम कोटा दक्षिण

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